पृथ्वी बहुत सुन्दर तो है ही, जहाँ पहाड़ों के अन्दर मीलों दूर फैली गुफाएँ, झरने, कुछ प्राकृतिक तो कुछ मानव जाति निर्मित गुफाएँ स्वर्ग जैसा आनन्द कराती हैं। चौरासी लाख योनियों में तरह-तरह के पक्षी, अद्भुत सुन्दर तरह-तरह के जीव-जन्तु संसार में विस्तार लिए हुए हैंं। ईश्वर की अद्भुत रचना है। इंसान एक बार पृथ्वी के दर्शन कर ले, तो स्वर्ग से भी बढ़ कर आश्चर्य चकित करने वाला अद्भुत बेमिसाल आनन्द की प्राप्ति उसके हृदय में भर जायेगी। साक्षात उसे ईश्वर के दर्शन हो जाएँगे।
चीन भी ऐसा एक अद्भुत सुन्दर पहाड़ और गुफाओं से घिरा देश है। चीन की रहस्यमयी गुफाओं में कातिल प्रयोगशाला है जहाँ तरह-तरह के विषाणु(वायरस) तैयार किये जाते हैं। चमकादड़ में पाया जाने वाला ‘कोरोना‘ नाम का वायरस चीन ने अपनी प्रयोगशाला में तैयार किया। हो सकता है कि चीन एक चालबाज देश तो है ही, उसने एक छोटा-सा परीक्षण करने के लिए ‘कोरोना वायरस’ को लीक कर दिया हो ?
चीन की कातिल प्रयोगशाला से निकला कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल कर मानव जाति के अस्तित्व को मिटा कर मौतों के अम्बार लगा रहा है। जहाँ पूरी दुनिया में हजारों लोग हर दिन हर पल मौत के आगोश में समा रहे हैं। अमेरिका जैसा महाशक्तिशाली देश, ”कोरोना वायरस’’ के कारण घुटनों के बल आ गया है, जहाँ हजारों लोग काल के मुँह में समा रहे हैं। चीन ने बड़ी चालाकी से वुहान शहर को सील कर अपनी जनता को उनके ही घरों में कैद कर दिया, जहाँ हजारों इंसानों की मौत हो गई। चीन ने अपनी जनता के शवों को सामूहिक ढेर लगाकर जलाता रहा और मौतें होती रहीं, वह जलाता रहा। चीन ने सोची-समझी नीति से कोरोना वायरस को अपने दूसरे शहरों में नहीं फैलने दिया। कोराना संक्रमण से जल्दी निजात पाकर फिर से अपने देश के जीवन को पटरी पर ले आया। चीन की दौड़ती जिन्दगी वहाँ के उद्योग कारखाने सभी चल पड़े। चीन एक विकासित देश तो है ही, ’’दुनिया में हर क्षेत्र में चीन तरह-तरह के कल पुर्जें, खिलौनों से लेकर दैनिक काम आने वाली चीजें बनाकर पूरी दुनिया के बाजारों में चीन के उत्पादों भरे पड़े हैं। यह बात अलग है कि चीन के सामान के टिकाऊ और गुणवत्ता की कोई विश्सनीयता नहीं होती।
समय की माँग है आज चीनी निर्मित उत्पाद/ सामान का पूरे भारत में बहिष्कार हो और भारतीय समुदाय के लोगों को छोट-बड़े उद्योग लगा कर चीन में बने उत्पाद/सामान को भारत में ही बनाया जाए, ताकि सामान की गुणवत्ता बनी रह सके। चीन के घटिया और नकली सामान से बचा जा सके। सरकार छोटे बड़े उद्योगो को धन/फण्ड तो जरूर देती है, लेकिन बड़े उद्योगपति ऋण का पूरा फायदा उठाते हैं और छोटे-छोट काम करने वालों को ऋण तो मिलता है, लेकिन 10-12 प्रतिशत ऋण का धन बैंक प्रबन्धक/ अथवा उनके कर्मचारी दीमक की भाँति चट कर जाते हैं। छोट-छोटे उद्योग लगाने वाले सौ में तीस-चालीस ही उद्योग सफल हो पाते हैं, जो ईमानदार आदमी हैं उन्हें उद्योग लगाने के लिए बैंक से पैसा ही नहीं मिलता। यह हमारे देश का बड़ा ही दुर्भाग्य है जब तक रिश्वत का जहर चपरासी से लेकर बाबू तक और बाबू से लेकर साहब तक और साहब से लेकर राजनेताओं तक नहीं उतरेगा ,देश आगे नहीं बढ़ेगा। इस खेल को सभी जानते हैं एक चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक। हमारे देश के प्रधानमंत्री आज तक के प्रधानमंत्रियों में से सबसे श्रेष्ठ हैं। भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया के देशों में भी मोदी जी का लोहा मानते हैं। रिश्वत की चेन अकेले मोदी जी के बस की बात नहीं है, सभी एम.एल.ए.-एम.पी. ही मिलकर इस चेन को तोड़ सकते हैं। लेकिन ऐसा सम्भव ही नहीं, असम्भव दिखायी देता है। चीन को टक्कर देनी है तो छोटे-छोटे उद्योग लगा कर गली-मोहल्लों में काम करना होगा, ताकि हम चीन को मात दे सकते हैं, तभी प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इण्डिया‘ का सपना पूरा होगा।
रामनरायनलोधी
मो. नम्बर- 8126964970
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