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भव्य शोभायात्रा के साथ प्रारम्भ हुई अष्टोत्तरशत (108) श्रीमद्भागवत कथा

प्रथम दिन श्रद्धेय डॉ. अनिरुद्ध महाराज ने श्रवण कराई महात्म्य की कथा

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।चैतन्य विहार, फेस – 2 स्थित गोविन्द धाम आश्रम में दिव्य अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन व दिव्य श्रीराधा सखी मंडल,वृन्दावन (मातृशक्ति संगठन शाखा) के तत्वावधान में महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर अष्टोत्तरशत (108) सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है। महोत्सव का शुभारंभ प्रातः काल गाजे-बाजे के मध्य निकाली गई श्रीमद्भागवतजी की भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ।जिसमें पीत वस्त्र पहने महिलाएं सिर पर मंगल कलश धारण कर साथ चल रही थीं।तत्पश्चात यजमान परिवार द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य श्रीमद्भागवत ग्रंथ एवं व्यासपीठ का पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही आरती की गई।
व्यास पीठ से प्रख्यात भागवताचार्य व प्रखर राष्ट्र चिन्तक श्रद्धेय डॉ. अनिरुद्ध महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी के द्वारा देश के विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत के महात्म्य की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि देवर्षि नारद मुनि की प्रेरणा से भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेदव्यासजी ने 18वें पुराण के रूप में श्रीमद्भागवत की रचना की थी। जिसमें 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय व 12 स्कंध हैं।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण के महात्म्य में भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की महानता को दर्शाया है। भगवान विष्णु की समस्त लीलाओं और अवतारों की कथाओं का ज्ञान कराने वाली यह कथा सकाम कर्म, निष्काम कर्म, ज्ञान साधना, सिद्धि साधना, भक्ति, अनुग्रह, मर्यादा, द्वैत-अद्वैत, निर्गुण-सगुण का ज्ञान प्रदान करती है। वस्तुत: श्रीमद्भागवत महापुराण भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का अक्षय भंडार है। इसीलिए इस ग्रंथ के श्रवण करने से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय हो जाता है और भगवान की भक्ति सहज में ही प्राप्त होती है।
महोत्सव में महोत्सव के मुख्य यजमान पुरुषोत्तम सिंह व श्रीमती आशी सिंह (लखनऊ), प्रख्यात साहित्यकार एवं अध्यात्मविद् डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. राधाकांत शर्मा व अनिल आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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