राजनीति

अब कतर भी रणनीतिक जोड़ीदार

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के द्विदिवसीय दौरे के साथ उनका मुल्क भी खाड़ी के मुल्कों की उस जमात‘ खाड़ी सदस्य परिशद्’(जीसीसी) में पाँचवें मुल्क के रूप में शामिल हो गया, जिन्हें भारत के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्ते का दर्जा हासिल है। रणनीतिक दर्जा मिलने के बाद अब दोनों मुल्कों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में व्यापक सहयोग का मार्ग प्रशस्त गया। इसके अलावा आतंकवाद, कारोबारी और आर्थिक सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाने को लेकर काफी चर्चा हुई है। एक समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए हैं। निश्चय ही इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत उन मुल्कों को धक्का लगा होगा,जो खुद को इस्लामी मुल्क होने के नाते पहला हक मानते हैं। फिर कतर को कट्टर इस्लामिक मुल्क माना जाता रहा है। ऐसे में कतर के भारत से प्रगाढ़ होते सम्बन्ध भला उन्हें कैसे सुहा सकते हैं?
ऐसा नहीं है कि कतर के भारत से रिश्तों में यह मजबूती इस दौरे से ही नहीं आयी है,इससे पहले अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी 24-25 मार्च, 2015 में भारत यात्रा पर आए थे। उनसे पहले इनके पिता अमीर शेख हमद बिन खलीफा भी 1992, 2005, 2012 में भारत आ चुके हैं। इन द्विपक्षीय दौरों के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की अलग-अलग अवसरों पर भी भेंट हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिसम्बर, 2023 को दुबई में सीओपी 208 शिखर सम्मेलन के दौरान कतर के अमीर से मुलाकात की थी। इसके सिवाय 23 सितम्बर, 2019 को न्यूयार्क में संयुक्त राश्ट्र महासभा के समय भी दोनों नेताओं की भेंट हुई थी। भारत और कतर ने 2023 में अपने रिश्तो के 50 साल पूरे किये हैं। चूँकि कतर और भारत अब राजनीतिक साझेदार भी बन गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14-15 फरवरी, 2024 को कतर की आधिकारिक यात्रा की थी। कतर में यह उनकी दूसरी आधिकारिक यात्रा था। इससे पहले अमीर शेख बिन हमद अल-थानी के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 4-5 जून, 2016 को कतर के दौरे पर गए थे। प्रधानमंत्री मोदी की सन् 2016 की कतर यात्रा से पहले नवम्बर, 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कतर यात्रा के बाद भारत की ओर से सबसे उच्च स्तर की यात्रा की। इस दौरान दोनों के बीच सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
ऐसे में दोनों देशों के बीच भविश्य की रणनीतिक सहयोग का रास्ता खुलने की आशा हो गई। खाड़ी देशों संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान, कुवैत पहले से ही भारत की रणनीतिक साझेदारियाँ में सम्मिलित हैं
2015 की पहली भारत यात्रा के समय अमीर तमीम हमद अल-थानी ने कई क्षेत्रों के सह-संचालन के लिए ईएमआइआर के अन्तर्गत/पाँच मुद्दों के पत्र पर हस्ताक्षर किये थे। इसके अलावा कैदी प्रत्यार्पण पर एक समझौता किया गया था।इस समझौते के अनुसार भारत या कतर के नागरिकों को अज्ञात और सजा के लिए सजा सुनायी गई है उनके जेल की सजाओं को बाकी सालों को बीता ने को अपने देश में प्रत्यार्पित किया जा सकता है।
इसके अमीर से पहले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अच्छी खासी दोस्ती थी, तभी तो वे अपने देश के भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को रिहा कराने में कामयाब रहे जिन पर कुछ इल्जाम में कतर की अदालत ने मौत/फाँसी की सजा सुनायी थी। उनमें से सात पिछले साल फरवरी में स्वदेश लौट आये थे। उनकी रिहाई ने भी कतर और भारत की दोस्ती को तस्दीक कर दिया था। लेकिन उनमें से एक पूर्व नौसेना अधिकारी पूर्णेन्दु तिवारी अभी कतर में ही है, एक अन्य मामले में उनका मुकदमा एक अब भी अदालत चल रहा है, जो उस मामले से अलग है, जिसमें पूर्णेन्दु तिवारी को मौत की सजा मिली थी।यद्यपि तिवारी का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी की बीच हुई बातचीत में नहीं उठाया गया , तथापि उम्मीद की जानी चाहिए कि वह जल्द रिहा को वापस भारत लौट आएँगे।
भारत का कतर से द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 14.08 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इस अवधि में कतर को भारत का निर्यात 1.7अरब अमेरिकी डॉलर रहा,वहीं इस दौरान कतर से भारत को 12.38 अमेरिकी डॉलर का आयात रहा। 2022-23में भारत और कतर के बीच 18.38 अरब डॉलर का व्यापार हुआ।कतर भारत का एलएनजी(लिक्विफाइड नेचुरल गैस), एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस), रसायन,पेट्रोकेमिकल उर्वरक , प्लास्टिक, एल्यूमिनियम केसामान बेचता है,वही भारत कतर को अनाज, ताम्बा, लोहा, इस्पात,सब्जियाँ, फल, मसाले, प्रसंस्कारित खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रिल, अन्य मशीनरी, प्लास्टिक उत्पाद, निर्माण सामग्री,कपड़ा, रसायन, मूल्यवान पत्थर, रबर आदि का निर्यात करता है।
भले ही इस्लामिक कट्टरपंथी मुल्कों को भारत के साथ खाड़ी के मुल्कों से बढ़ते और मजबूत होते रिश्ते न अच्छे लगे,पर बदलती दुनिया में ये मुल्क भी मजहबी रिश्तों की तुलना अपने कारोबारी और सुरक्षात्मक रिश्तों को तरजीह/तवज्जो देने लगे हैं। दरअसल, ये मुल्क अपनी इस हकीकत का समझ गए हैं कि उनकी तेल सम्पदा अपरमित नहीं है,जिसके खत्म/न रहने से पहले उन्हें अपने धन का निवेश और कारोबारी रिश्ते भारत सरीखे मुल्कों से बना लेने चाहिए। ,ताकि भविश्य में उनकी आमदनी का जरिया बना रहे। उनकी इस मंशा को समझते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले पाँच सालों में खाड़ी के मुल्कों को जो तवज्जो देनी शुरू की है,वह मुल्क के रणनीतिक हितों के मुताबिक है। दरअसल, कतर खाड़ी जीसीसी के छह सदस्य मुल्कों में से एक है और भारत के इनमें से सऊदी अरब, यूएई, ओमान, कुवैत समेत पाँच मुल्कों के साथ रणनीतिक सम्बन्ध स्थापित हो गए हैं। खाड़ी क्षेत्र में एक करोड़ से ज्यादा भारतीय रोजगार और कारोबार कर रहे हैं। इन्होंने वर्श 2023 में भारत में 27 अरब डालर की राशि भेजी थी। यही नहीं, इन्हीं मुल्कों से भारत अपनी ऊर्जा( पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस) आवश्यकता की पूर्ति हेतु 55 प्रतिशत करता है। ‘खाड़ी सदस्य परिशद्‘(जीसीसी) के साथ भारत मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भी बातचीत कर रहा है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर के बीच दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने पर सहमति बनी है। अब कतर के बारे में भी जान लेते है।
कतर अरबी प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी तट पर स्थित इकलौता क्षेत्रीय प्रायद्वीपीय देश है। इसके दक्षिण में जहाँ सऊदी अरब है,वहीं बाकी तीनों ओर से फारस की खाड़ी है।कतर 160 किलोमीटर लम्बी जीभ के आकार की भूमि है जिसकी नोक फारस (अरब) की खाड़ी को छूती है इसका क्षेत्रफल- 11,437वर्ग किलोमीटर और इसकी राजधानी-दोहा है। कतर की जनसंख्या- 16.96.563 से अधिक है। यहाँ के लोग के इस्लाम मजहब के हैं और अरबी, अँग्रेजी बोलते हैं। इस देश के लोगों की साक्षरता- 93.1 प्रतिशत है। कतर की मुद्रा-रियाल, है। 3 सितम्बर, 1971 में ब्रिटेन ने जब फारस की खाड़ी से अपना आधिपत्य समाप्त कर दिया, तब कतर स्वतंत्र हुआ। कतर में पूर्ण राजतंत्र है। भारत और कतर के मध्य घनिश्ठ सम्बन्ध रहे हैं। दोनों मुल्कों के बीच कूटनीतिक रिश्ते 70के दशक में शुरू हुए। कतर ने भारत में अपने दूतावास के लिए जनवरी, सन् 1973में पहले ‘चार्ज द अफेयर्स ’ की नियुक्त की थी। मई, 1974 में कतर ने अपना पहला राजदूत भारत में नियुक्त किया।
यहाँ की अधिकांश आबादी राजधानी दोहा में और इसके आसपास रहती है, वर्तमान में पाकिस्तान, ईरान और ओमान के प्रवासियों की संख्या मूल कतरवासियों से अधिक है।कतर के प्रवासियों में सबसे बड़ा भारतीय समुदाय है जिनकी संख्या 8लाख से भी अधिक है।इनमें चिकित्सक,इंजीनियर, शिक्षक,वित्त, बैंकिंग व्यवसाय ,मीडिया, श्रम सहित कई तरह के क्षेत्रों लगे हुए हैं। कतर चैम्बर ऑफ कॉमर्श एण्ड इण्डस्ट्रीज (क्यूसीसीआइ)के अनुसार कतर में 20,000से अधिक बड़ी और छोटी भारतीय कम्पनियाँ कार्यरत हैं।
तेल उद्योग से राश्ट्रीय आय का 90 प्रतिशत से भी अधिक भाग आता है,लेकिन इसमें आबादी का केवल 5प्रतिशत भाग ही काम करता है। अब तक कतर सड़क मार्ग से शेश अरब क्षेत्र से तथा वायुमार्ग द्वारा विश्व से जुड़ा है। मई, 1998 मे अमीर ने घोशणा की कि कतर अगली शताब्दी के प्रारम्भ में लोकतंत्र हो जाएगा। 1999 में महिला दिवस के अवसर पर खाड़ी देशों में पहली बार यहाँ महिलाओं ने स्थानीय परिशद के चुनावों में मतदान में हिस्सा लिया। कतर की एक महिला म्युनिसिपल कौंसिल की निर्वाचित सदस्य बनीं,यह खाड़ी क्षेत्र में पहली बार हुआ है। अमीर ने अपने छोटे पुत्र को युवराज घोशित किया।
कतर भारत के लिए प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है। भारत मुख्य रूप से कतर से पेट्रोलियम ,पदार्थ और गैस खरीदता है। एलएनजी(लिक्विफाइड नेचुरल गैस)के मामले में कतर भारत का सबसे बड़ो आपूर्तिकर्ता है।भारत अपनी एलएनजी की आवश्यकता का 40प्रतिशत से अधिक हिस्सा कतर से खरीदता है।एलएनजी के अलाव भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन,अमोनिया, यूरिया और पॉलीइथिलीन भी आयात करत है। फरवरी,2024 को पेट्रोनेटएलएनजी लिमिटेड ने कतर एनर्जी के साथ 2028से 2048तक तक हर साल 7.5 मिलियन टन((75लाख टन),एलएनजी की आपूर्ति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। 2023 में भारत के लिए चीन और दक्षिण कोरिया के बाद शीर्श तीन सबसे बड़े एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन में से एक था,वहीं कतर से आयात के मामले में भारत, अमेरिका, चीन और इटली के साथ शीर्श चार देशों में से एक है। भारत के बीच अहम रक्षा समझौते भी हैं जिसके अन्तर्गत भारतीय नौसेना और तटरक्षक के जहाज कतर का दौरा करते हैं। साझेदार देशों को अपने रक्षा संस्थानों में ट्रेनिंग स्लॉट देता है। भारत कतर दो साल में होने वाले दोहा 2020 के रूप में मेरिटाइम डिफेन्स एक्सीबिजन एण्ड कान्फ्रेंस(डीआइएमडीइएक्स) में हिस्सा लेता है।
भारत और कतर के रिश्तों में अहम चुनौती जून,2022में आयी थी,जब भाजपा की प्रवक्त नूपुर शर्मा ने एक टीवी शो में एक साथी मौलाना के भगवान शिव के बारे में अपमानजनक शब्द कहने पर पैगम्बर मुहम्मद साहब के बारे में कथित विवादित टिप्पणी की थी। उस दौरान कतर पहला देश था जिसने भारत से माफी माँग की थी। कतर ने भारतीय राजदूत को बुलाकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करायी थी।कतर के विदेश मंत्रालय की ओर जारी बयान में कड़ी नाराजगी जतायी थी। यद्यपि भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलम्बित करने की घोशणा कर दी थी।उसके इस अनुचित रुख /रवैये से भारत के इस्लामिक कट्टरपंथियों के हौसले बढ़ गए।
अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं कहा है,‘‘मेरे भाई,कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्मद अल-थानी के साथ बहुत ही उपयोगी बैठक हुई। उनके नेतृत्व में कतर ने प्रगति को नई ऊँचाइयों को हुआ है वह भारत-कतर की घनिश्ठत मित्रता के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। यह यात्रा और भी खास है,क्यों कि हमने अपने सम्बन्ध को रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया है। कतर समेत खाड़ी के मुल्कों से भारत के बढ़ते और गहन होते रिश्तों के कई आयाम हो सकते है, इसमें कई क्षेत्रों में पारस्परिक निर्भरता के साथ विकास, व्यापार, औद्योगिक गतिविधियों के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा-रक्षा भी समाहित है।अब देखना यह है कि इस दोस्ती को ये मुल्क किस मुकाम तक पहुँचाने में कामयाब हो पाते हैं?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार,63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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