प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद महाराज ने भक्तों को श्रवण कराई महात्म्य की कथा
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।मथुरा रोड़ स्थित द्वारिका कुंज (मिर्जापुर वाली धर्मशाला) में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।महोत्सव का शुभारंभ आनंदम् धाम पीठाधीश्वर सद्गुरु श्री ऋतेश्वर महाराज, संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज एवं महोत्सव के संयोजक पंडित आर. एन. द्विवेदी (राजू भैया) आदि ने संयुक्त रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्वलित करके किया।
इससे पूर्व मुंगेर मंदिर, मथुरा रोड़ से कथा स्थल तक गाजे-बाजे के मध्य श्रीमद्भागवतजी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई।जिसमें असंख्य महिलाएं पीत वस्त्र पहने, सिर पर मंगल कलश धारण किए चल रही थी।इसके अलावा सैकड़ों भक्त-श्रृद्धालु श्रीहरिनाम संकीर्तन करते हुए शोभायात्रा में साथ चल रहे थे।
महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे आनंदम् धाम पीठाधीश्वर सद्गुरु श्री ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि कलयुग में जीव के कल्याण के लिए यदि सबसे सरल उपाय कोई है, तो वो श्रीमद्भागवत महापुराण की अमृतमयी कथा है।इस ग्रंथ का श्रवण करने से धुंधकारी जैसा महापापी भी प्रेत योनि से मुक्त हो गया था।इसीलिए इस ग्रंथ को मुक्ति पंथ कहा गया है।
तत्पश्चात् व्यासपीठ से प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी के द्वारा देश-विदेश से आए समस्त भक्तो-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत महापुराण के महात्म्य की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत मानवीय जीवन के बहुमूल्य सूत्रों और सिद्धांतों की संहिता है।इस ग्रंथ के श्रवण करने से जीवन तो जीवन, मृत्यु भी सुख मय बन जाती है।साथ ही इसमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के सूत्र और सिद्धांत तथा समाधान निहित हैं।उन्हें समझ कर व धारण कर जीवन में उतारने की परम् आवश्यकता है। श्रीगीता योग है, रामायण प्रयोग है, तो श्रीमद्भागवत प्रयोगशाला है।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण केवल एक ग्रंथ ही नहीं अपितु स्वयं अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्यम्य स्वरूप है।इस ग्रंथ का श्रवण जो भी व्यक्ति जिस कामना से करता है, उसकी वो कामना निश्चित ही पूर्ण होती है।
इस अवसर पर श्रीउमा शक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित आर. एन. द्विवेदी (राजू भैया), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, श्रीमती नीलम सोमानी, संजय सोमानी (गोरे गांव, मुम्बई) आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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