कार्यक्रम

परम वीतरागी व भजनानंदी संत थे श्रील भक्तिकुसुम श्रमण गोस्वामी महाराज : डॉ. अच्युत लाल भट्ट

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।राधा निवास क्षेत्र स्थित श्रीभक्ति कुसुम गौडीय मठ में श्रीधर गौडीय गुरुकुल सेवा ट्रस्ट के द्वारा श्रीश्रील भक्ति कुसुम श्रमण गोस्वामी महाराज का त्रिदिवसीय 38 वां तिरोभाव तिथि वार्षिक महोत्सव एवं 16 वां गीता जयंती महोत्सव ठाकुर श्रीराधा कृष्ण व श्रीश्रील भक्ति कुसुम श्रमण गोस्वामी महाराज के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ अत्यंत धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ प्रारम्भ हो गया है।साथ ही महाराजश्री की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीभक्ति कुसुम गौडीय मठ के महंत श्रील श्रीधर महाराज ने कहा कि श्रीभक्ति कुसुम गौडीय मठ गौडीय सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है।इस मठ ने समूचे देश में श्रीकृष्ण भक्ति की लहर को प्रवाहित कर असंख्य व्यक्तियों का कल्याण किया है और कर रहा है।
चार संप्रदाय आश्रम के महंत ब्रज बिहारी दास महाराज एवं प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि पूज्य श्रील भक्ति कुसुम श्रमण गोस्वामी महाराज परम वीतरागी व भजनानंदी संत थे।वे सहजता, सरलता, उदारता व परोपकारिता आदि सद्गुणों की खान थे।यदि हम लोग उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व श्रीशुक्राचार्य पीठाधीश्वर डॉ. रमेशचंद्राचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता एक ऐसा ग्रंथ है,जिसमें देश व समाज की प्रत्येक समस्या का समाधान निहित है।यदि हम लोग इस ग्रंथ को अपने जीवन में आत्मसात कर लें, तो हमारे जीवन की अनेक बुराइयों का खात्मा हो सकता है।
महोत्सव में
भक्ति वल्लभ पद्मनाभ महाराज, अनिलआनंद महाराज, आचार्य जय कृष्ण दास, भक्ति किंकर नारायण महाराज, भक्ति किंकर गिरि महाराज, राधा चरण प्रभु, प्रमुख शिक्षाविद् पंडित जगदीश नीलम, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इससे पूर्व श्रीधर गौडीय गुरुकुल सेवा ट्रस्ट के विद्यार्थियों के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के अष्टमोध्याय गीता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।जिनमें उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।संचालन डॉ. रमेशचंद्राचार्य महाराज ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रील श्रीधर महाराज ने किया। साथ ही महोत्सव में पधारे सभी संत-विद्वानों का पटुका ओढ़ाकर स्वागत किया।

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