कार्यक्रम

समूचे ब्रज मंडल के पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक जानकारियों से सराबोर है “चल मन वृन्दावन”

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

पिछले दिनों प्रख्यात सिने अभिनेत्री व मथुरा की सांसद श्रीमती हेमा मालिनी के द्वारा “चल मन वृन्दावन” नामक कॉफी टेबल बुक प्रकाशित हुई है।जिसकी मुख्य संपादक भी वहीं हैं।जिसमें न केवल श्रीधाम वृन्दावन की अपितु समूचे ब्रज मंडल की महिमा का विस्तृत वर्णन है।यह पुस्तक हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं में एक साथ प्रकाशित हुई है। बहुत शीघ्र यह ग्रंथ अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित किए जाने की योजना है।यह कॉफी टेबल बुक इन दिनों अत्यधिक चर्चा में है।साथ ही इसकी सर्वत्र प्रशंसा भी हो रही है।क्योंकि समूचे ब्रज का अत्यंत बारीकी से सचित्र विवरण इस ग्रंथ के अलावा किसी अन्य ग्रंथ में नहीं है।यह ग्रंथ अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक है।इसलिए इसे पढ़ने के साथ-साथ इसके दर्शन करने मात्र से भी अत्यधिक सुख व आनन्द की प्राप्ति होती है।यह कॉफी टेबल बुक पठनीय ही नहीं अपितु संग्रहणीय भी है।इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये समूचे ब्रज मंडल के पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक जानकारियों से सराबोर है।मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह ग्रंथ अपने पाठकों को ब्रज वृन्दावन में आने के लिए निश्चित ही प्रेरित करेगा।जिससे ब्रज पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा।साथ ही इस ग्रंथ के माध्यम से ब्रज की माटी की सुगंध देश-देशांतर तक फैलेगी।
“चल मन वृन्दावन” कॉफी टेबल बुक के संपादक हिन्दी व अंग्रेजी के लब्ध-प्रतिष्ठ विद्वान, प्रख्यात साहित्यकार व पत्रकार डॉ अशोक बंसल हैं।साथ ही सह संपादक श्री सुनील आचार्य, सलाहकार – जनार्दन शर्मा (सांसद प्रतिनिधि), प्रकाशक – डॉ. हरिवंश चतुर्वेदी (डायरेक्टर/प्रेसिडेंट बिमटेक फाउंडेशन, नोएडा), प्रायोजक – इंडियन ऑयल लिमिटेड, नई दिल्ली, मुद्रक -आई. एम. वर्ड. , नोएडा, ग्राफिक्स एंड आर्ट्स – श्री विकास गुप्ता एवं छायाकार श्री जुगेंद्र कुमार (नई दिल्ली) व पी.के. स्टूडियो, मथुरा हैं।
“चल मन वृन्दावन” कॉफी टेबल बुक के प्रकाशन व उसको प्राप्त सर्वत्र प्रशंसा एवं सराहना के मूल में फिल्म अभिनेत्री व सांसद श्रीमती हेमा मालिनी ही हैं।वे मथुरा की सांसद होने के दशकों वर्ष पूर्व से ही ब्रज वृन्दावन से जुड़ी हुई हैं।साथ ही उन्हें यहां से अत्यधिक प्रेम है।इस ग्रंथ का प्रकाशन उनके इसी प्रेम की उपज है।जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वो कम है।मैं उन्हें अपने अंतर्मन की अतल गहराइयों से बारम्बार बधाइयां व शुभकामनाएं देता हूं।
ग्रंथ के संपादन व प्रकाशन के लिए उसके संपादक डॉ. अशोक बंसल का योगदान भी कम नही आंका जा सकता है।उन्होंने हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं में लगभग बीसियों पुस्तक लिखकर हिन्दी व अंग्रेजी वांग्मय को समृद्ध किया है।साथ ही उनके द्वारा समय-समय पर सम-सामायिक विषयों पर लिखे गए विचारोत्तेजक लेख हम सभी के लिए प्रेरक हुआ करते हैं।वह “इंडियन एक्सप्रेक ग्रुप” के हिन्दी दैनिक “जनसत्ता” के प्रख्यात पत्रकार हैं।
सहृदय-श्रेष्ठ, डॉ. अशोक बंसल पिछले लगभग 30 वर्षों से मेरे परम् आत्मीय व घनिष्ठ मित्र हैं। मैंने उनकी जीवन यात्रा को निकट से देखा है।मथुरा के बी.एस.ए. कॉलेज में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष रहने के बावजूद भी उनकी हिन्दी भाषा पर इतनी अधिक पकड़ है, जितनी कि हिन्दी के महारथियों की भी नहीं होती है।उनके हिन्दी शब्द ज्ञान का तो कोई सानी ही नहीं है।तभी तो हम लोग मजाक में उनसे यह कहते हैं, कि शायद आपने एम.ए. (अंग्रेजी), हिन्दी माध्यम से किया होगा।तभी तो आप इतनी अच्छी हिन्दी लिख व बोल लेते हैं।वे हमारे पत्रकार जगत के गौरव हैं।सत्य, निष्पक्ष, निडर, ईमानदार, पारदर्शी एवं मिशनबद्ध पत्रकारिता करना उनके रक्त में समाहित है। मैं उन्हें भी बहुत-बहुत बधाईयां व शुभकामनाएं देता हूं।क्योंकि उन्होंने अपनी कलम के द्वारा हिन्दी वांग्मय को अत्यंत समृद्ध किया है।

About the author

Rekha Singh

Add Comment

Click here to post a comment

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0106942
This Month : 2263
This Year : 44235

Follow Me