डॉ.बचन सिंह सिकरवार
पिछले कई माह से पड़ोसी बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा जिहादी नारे लगाते हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर निरन्तर जिस तरह बर्बर हिंसक हमले, उनकी महिलाओं से बदसलूकी, बलात्कार और उनके मठ-मन्दिरों, व्यावसायिक प्रतिश्ठानों, मकानों में तोड़फोड़, आगजनी की जा रही है और अब तक बड़ी संख्या में हिन्दू मारे और घायल हुए हैं। सैकड़ों की संख्या में मन्दिरों को अपवित्र करने से लेकर देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी तोड़ा गया हैं। ढाका के तांती बाजार स्थित पूजा मण्डप पर हमला और इस साल दुर्गापूजा के दौरान शातखीरा के जेशोरेश्वरी काली मन्दिर में चोरी हुई, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुकुट भेंट किया गया था। हिन्दू शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों से जबरदस्ती इस्तीफे लेकर सरकारी नौकरी से हटाया गया है, लेकिन वर्तमान सरकार और पुलिस-प्रशासन उन्हें सुरक्षा देने के बजाय पुलिस उनका ही उत्पीड़न करती दिखायी दे रही है। इतना ही नहीं, इस बीच मौजूदा मोहम्मद यूनुस की सरकार द्वारा सुरक्षा का झूठा भरोसा देने के अलावा कुछ भी नहीं किया गया है। इसके साथ ही सरकार द्वारा जेलों में कैद हजारों की तादाद में प्रतिबन्धित इस्लामिक संगठनों के इस्लामिक कट्टरपंथियों को रिहा किया गया है। इससे सरकार और उसके समर्थित कट्टरपंथियों/जिहादियों के असल मंसूबों को समझा जा सकता है, फिर भी दुनियाभर के मानवाधिकारों और लोकतंत्र के हिमायती तथा पैरोकार खामोश बने हुए हैं। यहाँ तक कि भारत सरकार और विशेश रूप से हिन्दुओं के संगठनों द्वारा वैसा मुखर विरोध नहीं किया जा रहा है, जैसा ऐसे मामले में वांछित है। ऐसी स्थिति में फलस्तीन पर इजरायल की छाती पीटने वाले मुसलमानों के रहनुमाओं और मुसलमानों के संगठनों से बांग्लादेशी जिहादियों की मजम्मत की उम्मीद करना ही फिजूल है। यहाँ तक कि इनमें से कुछ मुसलमानों को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीन वाजेद को भारत में पनाह देने पर ऐतराज है, जिससे उनकी मानसिकता को समझना मुश्किल नहीं।
वैसे भी यह सब करते हुए इन इस्लामिक कट्टरपंथियों को न पड़ोसी देश भारत की नाराजगी की परवाह है और न दुनिया में अपने मुल्क की छवि खराब होने की। 5 अप्रैल, 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के देश छोड़ने के बाद से इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं समेत बौद्धों, ईसाइयों पर जुल्म ढहाना शुरू कर दिया और तब से यह सिलसिला बना हुआ है। यह देखते हुए यही लगता है कि वहाँ सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। हर तरफ अराजकता व्याप्त है। यह देखते हुए यह कहना मुनासिब होगा कि इस वक्त बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थक ‘जमीयत-ए-इस्लामी‘ की हुकूमत है,जो तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिम पाकिस्तान का हिमायती/तरफदार था और इसके बांग्लादेश के बनने की खुलकर मुखालफत/विरोध करता आया है। उसे तब भी बंगला संस्कृति और बंगला भाशा के आधार पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश में तब्दील होना कुबूल नहीं था। सन् 1971 में इसने पश्चिमी पाकिस्तान सेना द्वारा बंगाली मुसलमानों और हिन्दुओं के नरसंहार में हर तरह मदद की। इसमें लाखों लोग मारे गए तथा हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्याएँ की गईं। भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के हजारों सैनिकों के बलिदान के बाद 16 दिसम्बर,1971में बांग्लादेश बना। इसके बाद जमीयत-ए-इस्लामी पाकिस्तान की हिमायत और बांग्लादेश के पंथनिरपेक्ष स्वरूप का विरोध और उस भारत की मुखालफत कर रहा है,जिसने बांग्लादेश के लिए अपने हजारो जवानों का बलिदान देने के साथ हर तरह से सहायता की थीं। सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश के सŸापलट और उसकी वर्तमान दुर्दशा के पीछे भी पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी आइ.एस.आइ. और अमेरिका शासन की साजिश बतायी जा रही है। मोहम्मद यूनुस को सŸा की कमान भी अमेरिका की बदौलत मिली है,लेकिन अमेरिका नवनिर्वाचित राश्ट्रपति डोनल्ड ट्र्रप ने मतदान से पहले अवश्य बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर किये जा रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया।
हद तो यह हो गई कि बांग्लादेश सरकार द्वारा अब इस्कान के चिन्मय कृश्ण दास को विमान से उतरते ही देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। फिर अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया गया। वैसे उनका अपराध बस इतना था कि उन्होंने मुल्क में हिन्दुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों हो रहे अत्याचारों के विरोध में जुलूस का नेतृत्व किया था। इसके बाद एक वकील ने हाईकोर्ट में मीडिया रिर्पोट के आधार पर इस्कान-बांग्लादेश पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग की गई, पर उसने उसे खारिज कर दिया। इस्कान-बांग्लादेश ने वकील की हत्या से खुद को जोड़े के आरोपों से इन्कार करते हुए इसे आधारहीन और दुश्प्रचार बताया है। इसके महासचिव चारू चन्द्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि उनका संगठन कभी भी साम्प्रदायिक या संघर्श को जन्म देने वाली गतिविधियों में नहीं रहा। अब केन्द्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करना वहाँ की सरकार की जिम्मेदारी है और यह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
अब बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने कहा,‘चिन्मय कृश्ण दास को अनुचित रूप से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। ‘अपनी पार्टी आवामी लीग के एक्स अकाउण्ट पर पोस्ट में उन्होंने कहा,‘ चटगाँव में एक मन्दिर जला दिया गया। पूर्व में मस्जिदों, दरगाहों, चर्चां, मठों और अहमदिया समुदाय के घरों पर हमले किये गए थे, उनमें तोड़फोड़ की गई थी। उन्हें लूटा गया था और आग लगा दी थी। सभी समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन और सम्पिŸा की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।’ साथ ही कहा,‘‘ मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली असंवैधानिक सरकार आम लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने में विफल रही हैं।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा विधानसभा में कहा कि वह इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहतीं, क्योंकि यह दूसरे देश से सम्बन्धित मामला है। यह मुद्दा केन्द्र सरकार को सुलझाना है और राज्य केन्द्र के निर्णय का पालन करेगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ने बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की मुश्किलों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म पर आधारित विभाजनकारी राजनीति बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए नुकसानदायक है। पार्टी ने बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार से अविलम्ब कार्रवाई करने की माँग की। अब बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न के मुद्दे पर विपक्षी दलों की चुप्पी तोड़ना सुखद है। लेकिन अब यह भी जरूरी हो गया कि भारत सरकार को पड़ोसी देश बांग्लादेश से अपने कूटनीतिक,राजनीतिक, सामरिक,आर्थिक हितों को एक ओर रखते हुए हिन्दुओं पर हो रहे अमानुशिक अत्याचारों का मुखर विरोध करते हुए वे सारे उपाय करने चाहिए,जिससे वे अपने को सुरक्षित अनुभव कर सकें।
सम्पर्क-डॉ. बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो. नम्बर-9411684054
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