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भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं गिरिराज गोवर्धन : भागवताचार्य गोविन्द मुद्गल महाराज

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।दावानल कुण्ड क्षेत्र स्थित दंदरौआ आश्रम में अनन्तश्री विभूषित दंदरौआ सरकार की अनुकम्पा से पूज्य महंत राधिका दास महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ से प्रख्यात भागवताचार्य गोविन्द मुद्गल महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीगिरिराज लीला प्रसंग की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि गिरिराज गोवर्धन महाराज साक्षात भगवान श्रीकृष्ण के ही प्रतिरूप हैं।उनमें और श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं है।वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति का संरक्षण करने के लिए ही गिरिराज पूजा की लीला की थी।जिससे कि लोग प्रकृति के महत्व को जानें और उसकी उपयोगिता का सही ढंग से पालन करें।
भागवताचार्य गोविन्द मुद्गल महाराज ने कहा कि ब्रज की पावन भूमि पर त्रिदेव पर्वत रूप में विद्यमान हैं। जो कि बरसाना में ब्रह्मगिरि (ब्रह्मदेव), नंदगांव में नंदीश्वर पर्वत (महादेव) एवं गोवर्धन में गिरिराज पर्वत (भगवान विष्णु) के स्वरूप हैं।इनकी पूजा व परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।इसीलिए गिरिराज गोवर्धन ब्रजवासियों के इष्टदेव हैं।
इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत नयनाभिराम और चित्ताकर्षक झांकी के दर्शन कराए गए।साथ ही गिरिराज गोवर्धन को 56 भोग लगा कर उसका प्रसाद वितरित किया गया।
महोत्सव में विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता कृष्ण चंद्र शास्त्री (ठाकुरजी), गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक अनिरुद्धाचार्य महाराज, मुख्य यजमान रामस्वरूप कटारे, श्रीमती मुन्नी देवी कटारे (ग्वालियर), भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री, श्रीराम कथा मर्गज्ञ अशोक व्यास, आचार्य विपिन बापू महाराज, मुकेश मोहन शास्त्री, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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