डॉ बचनसिंह सिकरवार
गत दिनों काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान सांसद तथा नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने अपनी तीन दिवसीय अमेरिका की यात्रा के दौरान देश और सरकार के बारे में जो कुछ कहा, उसमें कुछ भी नया नहीं है। उनके इस रवैये से कुछ उन लोगों को अवश्य निराशा हुई होगी,जो लोकसभा में एक अर्से बाद पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व सम्हालने के पश्चात् राहुल गाँधी से पूर्व से इतर रुख/रवैये/बेहतर विमर्श और परिपक्व नेता की तरह बोलने की आस/ उम्मीद लगाए हुए थे। वैसे देश में किसी भी राजनीतिक दल या विचाराधारा की सरकार हो, लेकिन देश के बाहर किसी भी दल के नेता से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सही माने में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेगा। विश्व के अधिकांश राजनेता ऐसा ही करते आए हैं,पर इससे मामले में राहुल गाँधी इस मामले में उनसे एकदम अलग हैं। तभी तो वह अपनी संकीर्ण और घटिया राजनीतिक सोच/विचारधारा से बाहर नहीं निकल पाये। फिर वह निकले भी क्यों? जब उन्हें फायदा ही झूठ और अनर्गल बोलने हो रहा हो। फिर उन्हें इस बार लोकसभा के चुनाव में सफलता ही संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने को लेकर झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करके ही मिली है। वह पराये देश में भी न केवल सरकार की झूठी-सच्ची बुराइयाँ कर, कई तरह से देश को बदनाम करते आए हैं,बल्कि अपने देश की एकता एवं अखण्डता के विरुद्ध कार्य करने, उससे नफरत/दुष्प्रचार करने वालों से भेंट करने को अपनी राजनीतिक सफलता के रूप में भी देखते हैं। उनके इस अनुचित तथा देशद्रोहपूर्ण आचरण से देश के लोगों को कितना दुःख होता है? इस पर उन्होंने शायद कभी विचार किया होगा। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करते-करते,वह कब भारत और हिन्दुओं के विरोध पर उतर आते हैं? उन्हें इसका अहसास नहीं होता, या फिर ऐसा करना उनकी आदत में शुमार है। इस बार उनके मार्गदर्शक/सलाहकार कहे जाने वाले सैम पित्रोदा ने कहा कि राहुल गाँधी पप्पू नहीं हैं,वरन् सुलझे हुए एक परिपक्व राजनेता हैं,पर अमेरिका और भारत में लोगों ने उनके वक्तव्यों को सुनकर क्या समझा होगा?ये बहुत मुश्किल/दुष्कर नहीं है।
अपने दौर की शुरुआत में ही राहुल गाँधी ने चीन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह उत्पादन पर जोर देता है,इस कारण उसके यहाँ बेरोजगारी नहीं है,जबकि भारत और अमेरिका बेरोजगारी से जूझ रहे हैं,जबकि हालत इसके विपरीत हैं। वैसे उन्हें दुश्मन मुल्क चीन की तारीफ करने की जरूरत ही क्या थी?इसके बाद राहुल गाँधी ने कहा कि भारत में लड़ाई इसकी है कि क्या देश में सिख कड़ा और पगड़ी धारण कर सकते है या नहीं? या फिर वे गुरुद्वारा जा सकते है या नहीं?उनका इससे बड़ा झूठ कुछ हो नहीं सकता। सच्चाई यह है कि देशभर में कहीं भी ऐसी कोई घटना देखने-सुनने में नहीं आयी है। वह ऐसा कह कर सरकार को बदनाम कर रहे थे,क्योंकि अमेरिका में यह सब कहकर, वे खालिस्तान समर्थक आंतकवादी और भारत में प्रतिबन्धित अलगाववादी संगठन ‘ सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरुपतवन्त सिंह पन्नू के कथन को दुहारा रहे थे। इसकी पुष्टि गुरुपतवन्त सिंह पन्नू ने उनके कथन की सराहना करके की है।दरअसल,ऐसा कह कर राहुल गाँधी सिख समेत दूसरे मजहब के लोगों के साथ होने वाले मजहबी भेदभाव की बात देश को बदनाम कर रहे थे। तदोपरान्त उन्होंने कहा कि जब भारत में भेदभाव खत्म हो जाएगा,तब आरक्षण खत्म करने योग्य परिस्थितियाँ बन सकती हैं। फिर जब इसे मुद्दे पर विरोध शुरू हो गया, तब यह कह दिया कि वह तो आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करना चाहते हैं। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर यह आरोप लगाया कि वह महिलाओं की बराबरी के विरोधी है और वह उन्हें घर में रखना चाहती है।उनका यह भी सरासर झूठ है। भाजपा की सरकार में ही आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। केन्द्र और उसकी राज्य सरकारों में भी कई महिलाएँ मंत्री पद पर आसानी हैं। प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने ही महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित कराया है। राहुल गाँधी ने एक बार फिर कहा कि भारत राज्यों का संघ है,जबकि भाजपा एक विचार मानती है।ऐसा नहीं है। वस्तुतः वह भारत को अमेरिका की भाँति राज्यों का संघ मानते है,जो सर्वथा अनुचित है।भारत में राज्यों का गठन प्रशासनिक कारणों से किया गया है,जो भारत के अभिन्न अंग हैं,पृथक देश नहीं,भले ही उनकी भाषा,खानपान अलग हो।ऐसा राहुल गाँधी अनजाने में नहीं, जानबूझकर कह कर देश की एकता और अखण्डता को कमजोर करने के इरादे से करते हैं। वे और उनकी पार्टी कभी देश को उŸार -दक्षिण में बाँटने की बात करती है,तो कभी भाषा को लेकर विवाद उत्पन्न करती आयी है। उनकी पार्टी मजहब के नाम पर तुष्टिकरण और हिन्दुओं को जातियों में बाँटकर उनकी एकजुटता तथा शक्ति को कम करने में लगी है।इसलिए ही आजकल वह जाति गणना पर पूरा जोर लगाए हुए हैं। इतना ही नहीं, काँग्रेस ईसाई मिशनरियों, मुल्ला-मौलवियों द्वारा कराये जा रहे मतान्तरण खामोश होकर समर्थन करती आयी है। सत्ता के लिए काँग्रेस को इस्लामिक कट्टरपंथियों और अलगाववादियों का सहयोग तथा सहायता से लेने तथा करने में कभी परहेज नही रहा है।
राहुल गाँधी का कहना था कि देश की राजनीति में प्रेम, सम्मान और विनम्रता गायब है,सच यह इसके लिए कोई और नहीं,स्वयं ही उत्तरदायी हैं। ‘मुहब्बत की दुकान’ नाम पर वह नफरत और बाँटने/विघटन का व्यापार करते आ रहे हैं। अपने विरोधियों पर मिथ्या आरोप लगाने तथा अभद्र भाषा बोलने में वह निष्णात हैं। मिथ्या आरोप लगाने पर न्यायालय से फटकर खा चुके हैं।अब राहुल गाँधी मजहबी, जातिगणना के नाम पर सामाजिक विघटन में लगे हुए हैं।फिर भी अपने विरोधियों पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने तथा मजहबी नफरत फैलाने का आरोप लगाते आ रहे हैं। अपने दौरे के समय राहुल गाँधी अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद और भारत की घोर विरोधी इल्हान उमर से भी मुलाकात की,जो पाकिस्तान सरकार के खर्चे पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आकर उस पर पाकिस्तान के दावे जायज ठहराने के अलावा विभिन्न मुद्दों पर भारत विरोधी बयानबाजी करती आयी हैं। राहुल गाँधी ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वर्तमान में सरकार दूसरी भाषाओं और उनकी संस्कृति को हिन्दी की तुलना में दोयम दर्जे की बताया जा रहा है,जबकि ऐसा नहीं, दक्षिण की सभी भाषाओं समेत देश के कई अन्य भाषाओं में उच्च शिक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग की शिक्षा के साथ संघ लोकसेवा तथा अन्य शासकीय सेवाओं की परीक्षाएँ करायी जा रही हैं,पहले ऐसा नहीं था। देश में राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग निष्पक्ष होकर कार्य नहीं कर रहा है, वैसे सच में ऐसा होता,तो क्या वे दो स्थानों से चुनाव जीत सकते थे?
राहुल गाँधी ने आरोप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि चीन ने लद्दाख मे चार हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया,जिससे वह निपट नहीं पाए।उनके इस आरोप का प्रतिवाद करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनका आरोप भ्रामक तथा तथ्यों से परे है, उन्हें ऐसे झूठे बयान देने से बचना चाहिए। इसके साथ संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने राहुल गाँधी के आरोप का खण्डन करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी के सŸा में आने के बाद कोई हमारी एक ईंच जमीन पर कब्जा नहीं कर पाया है।
देश और हिन्दू विरोधियों की हिमायत लेना राहुल गाँधी की फितरत में शामिल है। यही कारण है कि जब संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु की फाँसी की बरसी पर राहुल गाँधी जेएनयू पहुँचे,जहाँ छात्रों द्वारा ‘अफजल हम शर्मिन्दा हैं,तेरे कातिल जिन्दा हैं‘, ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह’ नारे लगाये जा रहे थे। इसी ये उस रोहित वेमुल्ला की आत्महत्या के बाद कर्नाटक पहुँचे,हर साल महिषासुर दिवस का आयोजन कर माता दुर्गा का अपमान और महिषासुर का महिमामण्डन किया करता था। अपनी भारत जोड़ो यात्रा के समय उस पादरी से मिले,जो भारत की भूमि का अपवित्र मानता था। राहुल गाँधी हिन्दुत्व को हिंसक कहते आए हैं। राहुल गाँधी के विगत आचरण और उनके बयानों का दृष्टिगत रखते हुए ऐसा कतई नहीं लगता है कि उनके संवैधानिक नेता प्रतिपक्ष सरीखा पर सम्हालने के बाद तनिक भी बदलाव आया है? नहीं। दरअसल,अपने को बदलना राहुल गाँधी की फितरत में ही नहीं है, ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या फिर भी देश के लोग उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख पाएँगे?
सम्पर्क-डॉ बचन सिंह सिकरवार, 63 गाँधी नगर आगरा-282003मो नम्बर-9411684054
बदलना उनकी फितरत नहीं

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