उत्तर प्रदेश

हर बार त्योहार पर हुड़दंग और खूनखराबा क्यों?

डॉं0 बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों देशभर में ‘जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी’/जुलूस-ए-मोहम्मदी के त्योहार बारावफात के जुलूसों में सम्मिलित अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ युवाओं द्वारा कई शहरों में कहीं राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में वास्तविक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ कर चक्र के स्थान पर इस्लामिक चिन्ह चाँद और तारे लगा दिए तो कहीं फलस्तीन के झण्डे लहराने,सर तन से जुदा के नारे और मन्दिरो पर पत्थर बरसाये या फिर हिन्दुओं के घरों पर सुतली बम फेंके जाने की जो घटनाएँ हुई हैं, ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ हैं,बल्कि हिन्दुओं के विभिन्न त्योहारों, धार्मिक जुलूसों यथा कांवड़ यात्रा, रामनवमी, दुर्गा पूजा, गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्रा आदि पर होती आायी हैं,ऐसी अप्रिय घटनाएँ सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए अत्यन्त घातक और देश के लिए गम्भीर आसन्न संकट को दर्शाती है। ये किसी आक्समिक घटना का परिणाम नहीं, बल्कि उन असामाजिक और देश के दुश्मनों की साजिश है, जो देश की आन्तरिक सुरक्षा को पलीता लगा कर उसकी स्वतंत्रता, एकता, अखण्डता पर चोट करना चाहते हैं, ऐसे में इनकी उपेक्षा तथा अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। ऐसी स्थिति इन्हें यह सब करने की वजहों की गहराई से पड़ताल करनी चाहिए, जो उन्हें दूसरे मजहब के हमवतनों से नफरत और उनके खून बहाने तथा गैर मुल्कों के हममजबियों से इतनी हमदर्दी और मुहब्बत का जज्बा पैदा करती है। उनसे यह सवाल किया जाना भी लाजमी है कि अगर उन्हें हममजहबी पड़ोसी मुल्क से इतनी ज्यादा मुहब्बत है,तो यहाँ रहने और वहाँ जाकर बसने में दिक्कत क्या है? वैसे भी हर बार की तरह इस बार भी किसी मुल्ला-मौलवी और इनकी हिमायती सियासी पार्टी के नेता ने इन घटनाओं की किसी भी तरह मजम्मत, निन्दा/आलोचना या मुखालफत करने की जहमत नहीं उठायी हैं, ये लोग तभी अपनी जुबान खोलते है, जब हिन्दू समुदाय के लोग उनके खिलाफ उठ खड़े होते है। तन जुदा के जब नारे लगाये जा रहे थे,तब किसी किसी सियासी पार्टी का कुछ गलत लगा और किसी अदालत को स्वतः संज्ञान लेने की जरूरत महसूस हुई। अफसोस की बात यह है कि यह सब देखते-जानते हुए भी सŸा लोलुप सियासी पार्टियाँ ही नहीं, अदालतें भी ऐसे आरोपियों के साथ गैर जरूरी हमदर्दी जताती आयी हैं,इससे इनके हौसले बुलन्द हैं।इन घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए केन्द्रीय मंत्री गिर्राज सिंह का कहना है कि जहाँ मुसलमानों की आबादी अधिक होती है,वहाँ हिन्दुओं के धार्मिक जुलूसों/यात्राओं पर पत्थर फेंके जाते हैं।
मिलादुन्नबी पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्म दिन के रूप में मनाये जाने वाला त्योहार है,जिन्हें इस्लाम के अनुयायी दुनिया को अमन, भाईचारे और इन्सानियत का पैगाम देने वाला बताते-जताते और मानते हैं, ऐसे पाक मौके पर उनके मानने वालों का यह बेजां रवैया किसी भी सूरत में कैसे जायज ठहराया जा सकता है? कम से कम ये अपने पैगम्बर का जन्म दिन तो शान्ति से मना लेते,जिससे दूसरे समुदाय के लोग भी उनसे कुछ सीख ले लेते। इसके विपरीत इन्होंने अपनी बेजा हरकतों से हिन्दुओं का ही नहीं, हर देशभक्त का दिल दुखाया है,पर इन्हें न पहले ऐसी गलतियों का अहसास था और न अब हुआ होगा। वैसे,सवाल यह है,ऐसा हो, तो कैसे?जब उन्हें ऐसा करने में कुछ गलत या नाजायज होना किसी ने बताया ही कहाँ है?
वैसे इस अवसर जहाँ उत्तर प्रदेश के आगरा के सदर क्षेत्र में राजपुर चुंगी स्थित एक दो मंजिला मकान की छत पर पाकिस्तानी झण्डा लहराया गया, उसके पास तीन युवक खड़े दिखायी दिये, वहीं फर्रूखाबाद में जुलूस में पाकिस्तान मे जुलूस में पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए गए। इसी सूबे के मुरादाबाद में जुलूस में गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा,सर तन से जुदा के नारे लगे, जबकि शिया समुदाय के मजहबी नेता ने इस नारे को न लगाने की तकीद की थी। सुरमे को मशहूर बरेली शहर में जुलूस-ए-मोहम्मदी जुलूस के मार्ग को लेकर मुस्लिम और हिन्दू पक्ष पूरी रात सड़क पर धरना देते रहे। इसी दौरान पुलिस चौकसी को खड़ी रही। फिर भी शनिदेव मन्दिर की मूर्ति को तोड़ दिया गया। इसी शहर में भगवा कपड़े पहने एक युवक से अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों ने मारपीट की। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर और बलरामपुर में गणपति प्रतिमा विसर्जन जुलूस पर पत्थराव और बहराइच जिले भीट से मोहम्मदी जुलूस जबरदस्ती निकाल कर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़े की कोशिश की। मध्य प्रदेश के पाँच शहरों में बालाघाट, रतलाम, राजगढ़,सीहोर और श्योपुर में जुलूस के दौरान फलस्तीन के झण्डे लहराए। सीहोर तथा मन्दसौर में हनुमान मन्दिर पर पत्थर फेंके गए, इनमें मन्दसौर में एक व्यक्ति घायल हो गया। श्योपर में हिन्दुओं के मन्दिर पर पत्थर और घरों में सुतली बम फेंके गए। इसके भोई मुहल्ले में सर तन से जुदा के नारे भी लगाए। रतलाम में एआइएमआइएम के नेता अकबरूद्दीन ओवैसी के उस भाशण का भी प्रसारण किया,जिसमें पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटाने पर हिन्दुओं का काट डालने की बात कही थी। कर्नाटक के चिकमंग लूर मे गणेश प्रतिमा विसर्जन की तैयारियों के बीच मोटर साइकिल सवारों के समूह फलस्तीन का झण्डे लहराने पर तनाव उत्पन्न हो गया। कर्नाटक की माड्या में गणेश प्रतिमा को लेकर विवाद हुआ।यह मिलादुन्नबी जुलूस को लेकर हिन्दू संगठनों के बीच बड़े पैमाने टकराव हो गया। राजस्थान के भीलवाड़ा और बारां में साम्प्रायिक सौहार्द बिगड़ गया।ं महाराश्ट्र के भिवाडी तथा बुलढाणा में मस्जिद और मुस्लिम बस्तियों से बिजली गुल कर गणपति विसर्जन पर पत्थरबाजी की गई।वैसे प्रश्न यह है कि क्या ये लोग पत्थरबाजी कर हिन्दुओं को डरना चाहते,ताकि वे अपने ही देश में धार्मिक त्योहार न मना पायें। अन्ततः उनकी मनमानी के आगे आत्मसमर्पण कर दें।
आगरा के फतेहपुर सीकरी में इसी 17 जुलाई को मोहर्रम की दसवीं तारीख को जुलूस में फलस्तीन का झण्डा लहराया गया,जिसमें सात नामजद और अज्ञात के खिलाफ साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की धारा में मुकदमा दर्ज कर 14 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। बाद में उन्होंने सार्वजानिक रूप से क्षमा माँगी। उसी दौरान आगरा के नाई की मण्डी थाना क्षेत्र में एक मकान पर पाकिस्तानी झण्डा फहराया गया था। यह सब उस उŸार प्रदेश में हो रहा है,जहाँ के मुख्यमंत्री को यह कहकर बदनाम किया जा रहा है कि उनका बुलडोजर सिर्फ मुसलमानों के घरों पर चलाकर उन्हें सताया जा रहा है और ये लोग राज्य सरकार की दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं।
अपने देश के इस वर्तमान माहौल के लिए भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियाँ जिम्मेदार ठहरा रही है,लेकिन सच्चाई यह है कि इसके लिए देश की सभी राजनीतिक पार्टियाँ दोशी हैं। देश के स्वतंत्र होने के साथ धर्म/मजहब के आधार पर विभाजन की पीड़ा झेलने के बाद भी राजनीतिक नेताओं ने उससे कोई सबक नहीं लिया। परिणामतः एकमुश्त वोट के लिए समाज को धर्म/मजहब और हिन्दुओं को जातियों में बाँटते और उन्हें विभिन्न मुद्दों पर आपस में लड़ाते रहे है। इसका मतान्तरण के जरिए सियासी मकसद साधने में लगे दूसरे मतों के प्रचारकों/विस्तारकों ने भरपूर फायदा उठाया। देश के स्वतंत्र होने के बाद ये लोग हिन्दुओं की आदिवासी, दलित, पिछड़ी जातियों को उच्च जातियों के खिलाफ नफरत पैदा और तरह-तरह के लालच देकर यानी छल-बल से उन्हें मतान्तरित कराया। इसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर-पूर्व में मिजोरम, नगालैण्ड, मेघालय के लोग करीब-करीब पूरी तरह से ईसाई बन गए,तो मणिपुर और अरुणाचल में भी लोग बड़ी संख्या इस ईसाई बन चुके हैं। इसके अलावा झारखण्ड, छŸासगढ़,ओडिसा, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराश्ट्र के कई जिले, केरल, तमिलनाडु में भी बड़े पैमाने पर मतान्तरण हुआ है। इन ईसाई मिशनरियों का दुस्साहस यह है कि ये पंजाब में भी दलित सिखों का ईसाई बना रहे हैं। इनका मकसद देश को ईसाई मुल्क में तब्दील करना है। ठीक इसी तरह मुल्ला,मौलवी,जमातियों ने देशभर में मस्जिदें, मदरसे कायम करने में जुटे हुए हैं। इन्होंने इनके जरिए हममजहबियों को कट्टरपंथी बना दिया है। ये लोग 712 में मोहम्मद बिन कासिम के भारत के सिन्ध हमले से लेकर अब तक इस देश में शरिया लागू करना/दारुल इस्लाम कायम करने में लगे हुए है। इसके चलते हिन्दुस्तान से अलग होकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान,बांग्लादेश,मालद्वीप इस्लामिक मुल्क बन गए।अब रह बचे को भी ऐसा बनाने के ख्वाब को हकीकत में बदले मे जुटे हुए हैं। फिर भी देश के लोग इतिहास से सबक न लेकर कुर्सी की चाहत में आपस मे लड़-भिड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर को तो इन लोगों ने हिन्दू विहीन कर उसे दारुल इस्लाम बना ही दिया था, अब अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने से इन्हें अपने मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है,इसलिए ये लोग बेहद निराश- हताश और बौखलाए हुए हैं। इस हकीकत/इनकी कारिस्तानी/मंसूबों से देश की सियासी पार्टियाँ अनजान नहीं हैं,फिर भी ये लोग कश्मीरियत,इन्सानियत,जम्हूरियत की आड़ में इनके असल मंसूबों को जानकर भी अनजान होने का ढोंग करते आये हैं। दरअसल, गैर भाजपायी सियासी पार्टियों की परेशानी की वजह वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा विदेशों से देश विरोधी गतिविधियों और मतान्तरण के लिए आने वाले धन और उसके दुरुपयोग रोक पर लगा रखी है। इसके कारण उन्हें अपने मंसूबे पूरे करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस सच्चाई का देश के लोगों का समझना चाहिए, क्योंकि देश की स्वतंत्रता,इएकता,इअखण्डता,उसकी सम्प्रभुता क ी रक्षा करना तथा उसे अक्षुण्ण रखना केवल सरकार और सेना का ही नहीं,हम सभी का दायित्व है।ऐसा होने पर ही मुल्क के दुश्मन खुद ब खुद खामोश हो जाएँगे।
सम्पर्क-डा0 बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो0न0 9411684054

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