कार्यक्रम

श्रीधाम वृन्दावन के भूषण थे बैकुंठवासी स्वामी किशोरी रमणाचार्य महाराज : मृदुलकान्त शास्त्री

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।सेवाकुंज-इमली तला क्षेत्र स्थित आचार्य पीठ में श्रीमद्भागवत सेवा संस्थान के तत्वावधान में चल रहा अष्टदिवसीय 50 वां (स्वर्ण जयंती) श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महोत्सव विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मध्य अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ कई प्रख्यात संतों, विद्वानों व धर्माचार्यों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।जिसके अंतर्गत आचार्य पीठ में विराजित ठाकुर सत्यनारायण महाराज, ठाकुर मदन मोहन महाराज और श्रीमद्भागवत महापुराण की भव्य व दिव्य आरती की गई।
इस अवसर पर आयोजित वृहद संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रख्यात भागवताचार्य मृदुलकांत शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीरामानुज सम्प्रदायाचार्य बैकुंठवासी स्वामी किशोरी रमणाचार्य महाराज श्रीधाम वृन्दावन के भूषण थे।उन्ही ने आज से 49 वर्ष पूर्व आचार्य पीठ में श्रीराधा जन्म महोत्सव एवं श्रीमद्भागवत जयंती महोत्सव मनाए जाने की आधार शिला रखी थी।जो कि आज विशाल वट वृक्ष का स्वरूप धारण कर चुकी है।
आचार्य पीठाधीश्वर भागवत भूषण स्वामी यदुनंदनाचार्य महाराज एवं युवराज वेदांत आचार्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत ग्रंथ में सभी पुराणों का सार निहित है।इसीलिए इसे पंचम वेद माना गया है।यह प्रत्येक व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला ग्रंथ है।इस ग्रंथ का अध्ययन,श्रवण व वाचन तीनों ही कल्याण कारी हैं।इसीलिए असंख्य व्यक्ति इसका आश्रय ग्रहण करते हैं।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि ब्रज के रसिकों व संतों की वाणियों में श्रीराधा रानी को अखिल ब्रह्मांड नायक की आल्हादिनी शक्ति कहा गया है।सम्पूर्ण ब्रज मंडल में चहुंओर उन्ही का साम्राज्य है।वह ब्रजवासियों की प्राणाधार हैं।
महोत्सव में आचार्य पूर्ण प्रकाश कौशिक, नंद किशोर शास्त्री, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. राम सुदर्शन मिश्रा, मोहनमोहनी, ऋषि राज आचार्य, मनोज कृष्ण आचार्य, रवि शंकर पाराशर (बवेलेजी), आचार्य प्रथमेश लाल गोस्वामी (लड्डूजी), आचार्य देवांशु गोस्वामी, सच्चिदानंद द्विवेदी, दिनेश गोस्वामी, पण्डित अमित भारद्वाज, आचार्य ब्रजेश महाराज, पुंडरीक आचार्य, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, अच्तुत कृष्ण बवेले आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य यशोदानंद शास्त्री (लालजी महाराज) ने किया।युवराज वेदांत आचार्य ने सभी विद्वानों को ठाकुरजी का पटुका, प्रसादी, माला आदि भेंट कर अभिनंदन किया।इससे पूर्व धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान देने वाले 7 विद्वान आचार्य रविशंकर पाराशर, आचार्य देवांशु गोस्वामी, सच्चिदानंद द्विवेदी, आचार्य प्रथमेश गोस्वामी, आचार्य ब्रजेश महाराज, पुंडरीकाक्षाचार्य वेदांती, आचार्य दिनेश गोस्वामी को “भागवत रत्न” की उपाधि से अलंकृत किया।साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह आदि प्रदान करके सम्मानित किया गया।

About the author

Rekha Singh

Add Comment

Click here to post a comment

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0107443
This Month : 2764
This Year : 44736

Follow Me