कार्यक्रम

ठा. श्रीराधा दामोदर मंदिर में धूमधाम से संपन्न हुआ गौडीय सम्प्रदायाचार्य श्रील रूप गोस्वामी महाराज का तिरोभाव महोत्सव

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।सेवाकुंज क्षेत्र स्थित प्राचीन ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर में गौडीय सम्प्रदायाचार्य श्रील श्रीरूप गोस्वामी महाराज का तिरोभाव महोत्सव मंदिर की प्रधान सेवायत आचार्या श्रीमती तरुलता गोस्वामी (मां गुसाईं) की अध्यक्षता में अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।सर्वप्रथम संतों व भक्तों के द्वारा श्रील श्रीपाद रूप गोस्वामी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया।तत्पश्चात गौडीय संप्रदाय के चौंसठ महंतो के चित्रपट के समक्ष छप्पन-भोग भोजन का अत्यंत श्रद्धा से भोग लगाया गया।साथ ही संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य सूचक गायन किया गया।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीपाद रूप गोस्वामी महाराज ब्रज रस भक्ति के परम उपासक थे।उन्होंने अत्यंत साधनामय जीवन जीकर और असंख्य व्यक्तियों का कल्याण कर उन्हें कृष्ण भक्ति की ओर अग्रसर किया।
मन्दिर के वरिष्ठ सेवायत आचार्य करुण गोस्वामी एवं आचार्य कृष्ण बलराम गोस्वामी महाराज ने कहा कि ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर गौडीय संप्रदाय का प्रमुख केंद्र हैं।यह श्रीपाद रूप गोस्वामी महाराज की भजन स्थली रही है।साथ ही यहां उनका समाधि स्थल भी बना हुआ है।जहां असंख्य भक्तों-श्रद्धालुओं के द्वारा श्रीहरिनाम संकीर्तन का कार्यक्रम किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि श्रीपाद रूप गोस्वामी महाराज गौडीय सम्प्रदाय के षट गोस्वामियों में सर्वप्रमुख थे।कलयुग पावनावतार चैतन्य महाप्रभु से प्रेरित होकर उन्होंने अपना मंत्री पद का त्याग कर अपना समूचा जीवन ब्रज में रह कर श्रीकृष्ण भक्ति में समर्पित कर दिया।
इस अवसर पर भागवताचार्य कृष्ण मुरारी शास्त्री, ब्रजवासी जगद्गुरु कृष्ण कन्हैया पदरेणु, आचार्य श्यामबिहारी चतुर्वेदी, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य ईश्वर चंद्र रावत, आचार्य विष्णुकांत भारद्वाज उर्फ ब्रजवासी भैया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
मन्दिर के सेवायत आचार्य पूर्णचंद्र गोस्वामी महाराज ने सभी विद्वानों का ठाकुरजी का चित्रपट, पटुका-प्रसादी-माला एवं दक्षिणा आदि भेंट कर सम्मान किया।महोत्सव का समापन संत,ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।

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