उत्तर प्रदेश

अब अयोध्या प्रकरण मे कहाँ हैं दलितों के पैरोकार ?

डॉ बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों अयोध्या में समाजवादी पार्टी के नगर अध्यक्ष और यहाँ के सांसद का खासमखास मोईद खान और उसके नौकर राजू खान द्वारा बेकरी में नौकरी का झांसा देकर हिन्दू अति पिछड़ी जाति की 12 वर्षीय बालिका से कई माह से दुष्कर्म कर गर्भवती करना और उसका वीडियो बनाकर इण्टरनेट पर प्रसारित करने की धमकी देकर उसे चुप रहने को धमकाने जैसे घृणित तथा निन्दनीय आरोप में गिरफ्तारी पर इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव,राज्यसभा की सांसद जया बच्चन समेत अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद की खामोशी ने उनके असली चेहरे को एक बार फिर बेपर्दा कर दिया है,जो वर्तमान में खुद को देश में पिछड़ों, दलितां, अल्पसंख्यकों(पीडीए) का सबसे बड़े हिमायती होने के दावा करते फिर रहे हैं। इससे भी निन्दनीय तथ्य यह है कि जिन्हें सपा भगवान के श्रीराम के बजाय अयोध्या का अवधेश बता और सिद्ध करती आ रही है, जो स्वयं दलित/पासी जाति के हैं। उन्होंने सबकुछ जानते हुए भी इस घटना को लेकर बिना दुःख व्यक्त किये न केवल अनभिज्ञता प्रकट की, बल्कि उनके घटना की निन्दा तक नहीं की। यह उनकी संवेदनहीनता का स्पष्ट प्रमाण/परिचायक है। इतना ही नहीं, अवधेश प्रसाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर तंज कसने के साथ-साथ पत्रकार के हिन्दी में किये प्रश्नों का अँग्रेजी में देकर यह जताने का पाखण्डपूर्ण प्रयास किया,वे दूसरों से विदेशी भाषा के ज्ञान के मामले में कम नहीं हैं। उनके कथन का मिथ्या होना इस तथ्य से स्पष्ट है कि संचार क्रान्ति के युग में किसी सांसद को अपने क्षेत्र में दो दिन तक बड़े पैमाने पर हिन्दू संगठनों के विरोध -प्रदर्शन होने पर घटना की जानकारी न हो। उनके इस व्यवहार को अमानवीय/ अमानुषिक कहना अनुचित न होगा। सच्चाई यह है कि ऐसा व्यक्ति किसी भी दशा में जनप्रतिनिधि होने के योग्य के नहीं हो सकता, किन्तु अन्ध जातिवाद/मजहबी कट्टता के चलते ये लोग बार-बार आसानी से चुनाव जीत कर विधानसभा/लोकसभा के लिए चुने जाते हैं। ऐसे में अवधेश प्रसाद जैसे व्यक्ति की तुलना भगवान श्रीराम से करने वालों की बुद्धि पर तरस आना स्वाभाविक है। घटना के प्रकाश में आने के बाद भी सपा ने मोईद खान को पार्टी से निलम्बित या निष्कासित नहीं किया है,यह स्थिति उसकी समुदाय विशेष के थोक वोट बैंक की मजबूरी को दिखाती है।
अयोध्या प्रकरण का आरोपित मोईद खान सपा सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी है,जो दबंग किस्म का है, जिसने काफी सरकारी और एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति भूमि पर कब्जा कर इमारतें खड़ी की हुईं, जिनमें पुलिस की भदरसा चौकी और बेकरी भी चल रही थी। 27 जुलाई को बालिका के स्वजनों को जब उसके गर्भवती होने की जानकारी हुई, तब उन्होंने 30 जुलाई को पुलिस थाना में प्राथमिकी/वाद पंजीकृत कराया। लेकिन हर मामले की तरह इसमें भी पुलिस ने आरोपी सपा नेता मोईद खान और उसके नौकर राजू खान की गिरफ्तार में शिथिलता दिखायी, इसकी वजह राजनीतिक दाबव बताया जा रहा है। पुलिस के इस रवैया से क्षुब्ध लोगों ने जब उग्र विरोध प्रदर्शन किये, तब कहीं जाकर इन आरोपियों की गिरफ्तारी सम्भव हुई। इसके बावजूद आरोपी मोईद खान का दुस्साहस देखिए कि उसके साथी भदरसा पंचायत अध्यक्ष राशिद और जयसिह राणा ने महिला अस्पताल जाकर पीड़ित बालिका तथा उसके परिवारजनों को मोईद खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने पर धमकाया और उन पर रिपोर्ट वापस लेने का दाबव डाला।इन दोनों के विरुद्ध भी रिपोर्ट दर्ज की गई है। वैसे भी सन् 2012 में यहाँ हुए साम्प्रदायिक उपद्रव के दौरान हत्या में भी मोईद खान भी आरोपी रहा है।अब मोईद खान पर यह आरोप भी हैं कि वह क्षेत्र की कई युवतियों को धमका कर और लालच देकर शारीरिक शोषण किया है।
अब शासन ने इस मामले में शिथिलता बरतने वाले पुराकलन्दर के थानाध्यक्ष रतन शर्मा और भदरसा चौकी प्रभारी अखिलेश गुप्त को निलम्बित कर दिया गया है,जो सरकार का सर्वथा उचित निर्णय है। अयोध्या प्रकरण पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने विधानसभा में स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे लोगों को अपने किये की सजा भुगतनी ही होगी। इसके पश्चात् 3 अगस्त को अयोध्या मोईद खान के सरकारी भूमि कब्जे पर बनी इमारतों में से भदरसा पुलिस चौकी को खाली करने के बाद उसे तथा बेकरी को बुलडोजर से ढहा दिया गया। जमीन को मोईद खान के कब्जे से मुक्त करा दिया गया है। ऐसा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने एक बार फिर दिखा दिया कि उनके रहते राज्य में कोई महिला पर अत्याचार कर दण्डित हुए बिना नहीं रह सकता। अफसोस की बात यह है कि इतनी सख्ती के बाद भी राज्य में महिलाओं के सताने के मामले थम नहीं रहे हैं।
अयोध्या मामले में यह स्थिति सिर्फ सपा की नहीं, वरन् आइएनडीआई गठबन्धन में सम्मिलित काँग्रेस, वामपंथी समेत दूसरी राजनीतिक दलों की है,जिन्हें महिलाओं पर अत्याचार सिर्फ मणिपुर और भाजापा शासित राज्यों में ही दिखायी देते हैं। इस मामले में देश के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी दलित हैं,उनकी दलित बालिका पर इस जुल्म पर चुप्पी क्या दर्शाती हैं? अयोध्या की इस लोमहर्षक घटना पर काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा सांसद राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियका वाड्रा भी कुछ बोल नहीं रहे हैं, जो ’लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ कह कर महिला की हमदर्द होने की दावा करती आयी हैं। उनकी पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेता को सोते-जागते सिर्फ मणिपुर में महिला पर अत्याचार दिखायी देते रहते हैं। इस मुद्दे पर अक्सर केन्द्र सरकार का विरोध करते-करते सारी हदें पा कर जाती हैं,पर अपने ही प्रदेश यह अत्याचार उन्हें भी नजर नहीं आ रहा है। मणिपुर का मुद्दा भी काँग्रेस और दूसरे गैर भाजपायी दलों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है,क्योंकि वहाँ कथित पीड़ित जनजाति कुकी ईसाई धर्म के अनुयायी और दूसरे मैतई हैं जिनमें अधिसंख्यक हिन्दू धर्म को मानते हैं। देश में दलितों की एकमात्र हमदर्द होने का दावा करने वाले बसपा की अध्यक्ष मायावती और अब उनके समर्थकों के मतों के दावेदार आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) के सांसद चन्द्रशेखर रावण भी का कुछ भी न बोलना, क्या यह नहीं दिखाता कि इन्हें भी दलितों से कहीं ज्यादा मुसलमानों की परवाह है?यह दलितों के कितने हितैषी हैं,दलित स्वयं जान लें। यह चन्द्रशेखर हाथरस की बूलगढ़ी घटना पर दलित युवती की मौत पर अपने दलबल के साथ दंगा करने वहाँ पहुँच गया,जिसमें उसका साथ देने केरल से इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन के पीएफआई के सदस्य तक आ गए थे। वर्तमान में यह संगठन को केन्द्र सरकार ने प्रतिबन्धित किया हुआ है। जब देशभर में इस बालिका से दुष्कर्म को लेकर ज्यादा किरकिरी हुई,तो 3अगस्त को सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने आरोपी मोईद खान का नाम लिए हुए कहा कि पूरी सपा पीड़ित के साथ है।पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जाँच करायी जाए। आरोपित कोई भी हो,न्यायसंगत कार्रवाई हो।इधर बेशर्मी के सारी हदें पार करते हुए सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए,‘कुकृत्य के मामले में जिन पर भी आरोप लगा है उनका डीएनए टेस्ट करा कर इन्साफ का रास्ता निकाला जाए न कि आरोप लगाकर सियासत की जाए।’इसके माने यह है कि ये दोनों सपा नेता आरोपित मोईद खान को दोषी मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में बसपा अध्यक्ष मायावती कैसे पीछे रहतीं,उन्होंने राज्य सरकार की कार्रवाई को सही ठहराते हुए पूछा है कि ऐसे मामले में अखिलेश सरकार ने कितने लोगों को डीएनए टेस्ट कराया है? इस बयानबाजी के बीच उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य ने सटीक टिप्पणी करते हुए कहा,‘‘ दुराचारियों को बचाना सपा की जन्मजात फितरत है। अगर दुराचारी मुसलमान हो,तब पूरा का पूरा सैफई परिवार उसे बचाने के लिए खूंटा गाड़ देता है।’’
अयोध्या की इस निन्दनीय घटना भाजपा विरोधी सियासी दलों की खामोशी की असल थोक वोट बैंक की सियासत है,जो ये दल देश के स्वतंत्र होने से करते आए हैं और अब भी कर रहे हैं। ये सभी दलित और पिछड़ों से झूठी हमदर्दी दिखाकर उनके वोटों से सत्ता हथिया आते हैं,अब भी यही कर रहे हैं। धिक्कार है इनकी इस सियासत की भूख को।जिनके लिए इन्सानियत से बढ़कर सत्ता है या कहें यही सबकुछ है।वैसे तो कोई दिन ऐसा नहीं जाता,जिस दिन समाचार पत्रों में दलित/पिछड़ी जाति की युवतियों को तरह-तरह से सताने के साथ-साथ दुष्कर्म की घटनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं,जिनके लिए अधिकतर किसी धर्म/मजहब,जाति के लोग दोषी होते हैं?किसी से छुपा नहीं है।पर भाजपा विरोधी ये सियासी पार्टियाँ मुसलमानों के थोक वोटों की खातिर उनके बड़े से बड़े गुनाहों पर अपनी आँखें किये रहती हैं। ऐसे लोगों/पार्टियों द्वारा संविधान की रक्षा, साम्प्रदायिक सौहार्द और जातीय सद्भाव बनाये की आशा करना ही निरर्थक है?देश के लोग इस हकीकत को जितना जल्दी समझ और जान लें और इन्हें परख लें, उतना ही उनके तथा देश के हित में होगा। सम्पर्क- डॉ बचन सिंह सिकरवार,63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मोनम्बर-9411684054

 

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