डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में पंजाब के लुधियाना में ‘शहीद-ए-आजम’ सरदार भगत सिह के साथ फाँसी का फँदा चूमने वाले सुखदेव थापर के वंशज और शिवसेना नेता 58 वर्षीय संदीप थापर उर्फ गोरा पर तीन निहंगों ने तलवारों से तब जानलेवा हमला कर उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया,जब वे एक वे एक सिविल अस्पताल में आयोजित धार्मिक समागम में भाग लेकर एक्टिवा पर सवार होकर अपने अंगरक्षक को पीछे बैठाकर घर लौट रहे थे। हमले के समय हमलावर निहंगों ने उनके अंगरक्षक पुलिसकर्मी को दूर रहने को कह दिया। इसके बाद वह अंगरक्षक संदीप थापर की हमलावार निहंगों से रक्षा करने के स्थान पर तमाशबीन बन कर दूर खड़ा हो गया। फिर ये निहंग उनकी एक्टिवा लेकर मौके से फरार हो गए। संदीप थापर की पुलिस अधिकारियों ने कुछ समय पहले ही सुरक्षा में कमी करते हुए तीन की जगह उन्हें एक अंगरक्षक दिया था। इतने भयानक हमले के बाद भी पंजाब समेत देश की कथित पंथनिरपेक्ष काँग्र्रेस, सŸारूढ़ आमआदमी पार्टी(आप), वामपंथी पार्टियों के नेताओं के हमेशा की तरह खामोश बने हुए हैं।इस पर शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ होगा, क्यों कि खालिस्तानियों और मजहबी कट्टरपंथियों के डर या उनसे हमदर्दी के रखने या फिर वोटों के कारण इनमें से कोई भी अपना मुँह नहीं चाहता।धिक्कार है इनकी ऐसी राष्ट्रघाती राजनीति को। इस बीच केन्द्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़,लक्ष्मीकान्ता चावला तथा शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने अवश्य संवेदना व्यक्त की हैं।लेकिन अपने को शहीद -ए-आजम भगतसिंह का सबसे बड़ा अनुयायी बताने-जताने वाली सŸारूढ़ आप सरकार एक तरह से शान्त ही बनी हुई है। इस हमले के विरोध में शिवसेना ने अगले दिन 6जुलाई को लुधियाना बन्द का ऐलान जरूर किया था।अब तक इनमें से दो हमलावरों की गिरफ्तारी भी हो चुकी थी, अब पंजाब सरकार को इन हमलावरों को जल्दी कठोर सजा दिलाने के हर सम्भव प्रयास करने चाहिए,ताकि इस राज्य में अमन-चैन और साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे।लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि आप सरकार की हमदर्दी जगजाहिर हो चुकी है। अब खालिस्तानी नेता चन्दे में करोड़ रुपए देने की आरोप लगा रहे हैं।
अभी अट्ठारहवी लोकसभा के चुनाव में खालिस्तान समर्थक दो सांसदों फरीदकोट साहिब लोकसभा(सुरक्षित) और खण्डूर साहिब लोकसभा से प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के अंगरक्षक और उनके हत्यारे बेअन्त सिंह का बेट निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सबरजीत सिंह खालसा और कट्टरपंथी जनरैल सिंह भिण्डरावाला की तरह दीखने वाला अमृतपाल सिंह जीता है,जो इस समय देशद्रोह के आरोप में एनएसए में असम की डिब्रूगढ़ जेल में बन्द है। इन दोनों की चुनावी सफलता से इनके समर्थकों के हौसले बेहद बढ़े हुए हैं। वैसे पहले भी पंजाब में खालिस्तान समर्थक लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में जा चुके हैं। इसी 6जून के खालिस्तान समर्थकों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर विरोध जताते हुए कट्टरपंथी जनरैल सिंह भिण्डरावाले के चित्र हाथ में लेकर ‘खाालस्तान जिन्दाबाद‘ के नारे लगाए। फिर 7जून को इटली में होने जा रहे जी-7सम्मेलन के समय वहाँ लगी महात्मा गाँधी की प्रतिमा खण्डित कर उस पर खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर लिख दिया।
वैसे ऐसी घटनाएँ पंजाब में पहले भी हो चुकी हैं। इससे पहल जालन्धर में ब्रिगेडियर और रोपड़ शिवसैनिक की हत्या हो चुकी।17फरवरी,2024को फगवाड़ा में पंजाब शिवसेना के उपप्रधान राजेश पलटा पर शिवरात्र के महापर्व से पहले धारदार से हमला किया गया और मुहल्ला बेदियां में एक दुकान पर तोड़फोड़ की गई। इसी तरह से 4नवम्बर,2022को अमृतसर में शिवसेना नेता संजय सूरी को संदीप सिंह सन्नी गोलियों से भून कर तब हत्या कर दी,जब वे हिन्दू देवी मन्दिर प्रतिमाओं का अनादर करने का विरोध रहे थे, उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त थी। फिर 10 नवम्बर, 2022को सच्चा डेरा समर्थक और सात सालों से बेदबी के आरोपी प्रदीप सिंह की फरीदकोट में सरे आम 60गोलियों दाग कर हत्या कर दी।इसके बाद 12नवम्बर,2022 को कट्टरपंथी सिख संगठनों ने अमृतसर स्थित न्यायालय परिसर में संजय सूरी के हत्यारे संदीप सिंह सन्नी पर फूल बरसाये। 10मई, 2022 को मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर प्रतिबन्ध संगठन सिख फॉर जस्टिस(एसएफजे) द्वारा आरपीज्ी से विस्फाटे किया। 29 मई, 2022को मानसा में पंजाबी गायक शुभदीप सिंह मूसेवाला को 19गोलियों मार कर हत्या कर दी गई। 29अप्रैल, 2022को खालिस्तान के समर्थन पंजाब के पटियाला में हिन्दू और खालिस्तान के समर्थका संगठनों के बीच झडप हुई।उस दिन खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ हिन्दू शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश सिंगला ने जुलूस निकाला था,तब उन पर हमला हुआ। 10 दिसम्बर, 2022 को तरनतारन जिले के सरहाली थाने पर अर्द्धरात्रि को रूस निर्मित रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला किया ,जिसमें खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के लखवीर सिंह का हाथ बताया जाता है। एक जुलाई, 2020 को नौ खाालस्तानियो औपचारिक रूप् से अगस्त, 2019 को संशोधित यूपीए के तहत आतंकवादी के रूप में नामित किया। गृहमंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2019-2020में गैर कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम-1967के तहत ‘सिख फॉर जस्टिस’को गैरकानूनी संघ के रूप में घोषित करने किया। 6जून,2023 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के 39साल पूरे पर कट्टरपंथी सिख संगठनों के समर्थकों तथा कार्यकर्ताओं ने स्वर्णमन्दिर में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए। अकाल तख्त पर सांसद सिमरनजीत सिंह मान और उनके सहयोगी ध्यान सिंह मण्ड के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल(अमृतसर) के कार्यकर्ताओं ने जनरैल सिंह भिण्डरावाला के चित्र लिए खालिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए।
सिख पंथ के जन्म से ही देश के प्रत्येक हिन्दू का सिंख गुरुओं के प्रति श्रद्धा का भाव रख रहा है,तो गुरु परम्परा से उपजा प्रत्येक सिख स्वयं को धर्म और देश का रक्षक मानता है। यह देखते हुए अँग्रेजों ने आयरलैण्ड में जन्मे अपने अधिकारी मैक्स आर्थर मैकालीफ को 1860 के आसपास एक षड्यत्र के अन्तर्गत सिख बना कर प्रस्तुत किया, जिसने विकृत विमर्श के आधार पर हिन्दू-सिखों में विभाजन का प्रयास किया। इसी विमर्श को सिख पंथ का बहुत छोटा मगर मुखरवर्ग पाकिस्तान के के समर्थन से आगे बढा है,जो भारत से 1971 की पराजय का बदला लेना चाहता है। दूसरे देशों से संचालित खालिस्तान का एजेण्डा कितना झूठा है, यह उसके प्रस्तावित कपटी नक्शों से स्पष्ट होता है। खालिस्तान समर्थक भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश ,राजस्थान, उप्र के कुछ जिलों को तो उसमें शामिल करते है,पर पाकिस्तान के श्रीननकाना साहिब जहाँ सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ और महाराजा रणजीत सिंह का शासन की राजधानी लाहौर का उसमें उल्लेख तक नहीं करते। पाकिस्तान के कब्जे वाले पंजाब में सिखों के कई तीर्थस्थल भी हैं। वर्तमान में खालिस्तान कनाडा, अमेरिका,ब्रिटन, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान आदि देशों में सक्रिय है,इनमें से कुछ देशों की सरकारों का भी इन्हें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन भी मिल रहा है। यही कारण है कि ये लोग वहाँ स्थित दूतावास,उच्चायोग के कार्यालयों, हिन्दुओं के मन्दिरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हमले करते हैं,पर उनके विरुद्ध वांछित कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में केन्द्र सरकार को पंजाब में खाालस्तान समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनके संगठन को नेस्तनाबूद करने के गम्भीर प्रयास करने होंगे।इसके साथ ही धार्मिक संगठनों को भी सिखों को यह स्मरण करना होगा कि वे हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग हैं। उनके पंथ का उदय ही हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। सारा भारत उनका अपना है ऐसे में छोटा-सा खालिस्तान लेकर वे क्या करेंगे? भारत सरकार को अन्य देशों को भी चेतना होगा कि वे खालिस्तान की आग में घी न डालें,ऐसा करने से देर सवेर उनकी ही हानि होगी।
सम्पर्क – डॉ बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मोबाइल नम्बर-9411684054
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