लेख साहित्य

कुंडली

=====

गौरी शंकर सिंह

हुआ”तमाशा”पूर्ण,चूर्ण और जीर्ण हुईं प्रत्याशा.
जस के तस हालात,लोक में शंसय और निराशा.
शंसय और निराशा का दुर्योग छद्म छल कारी .
जनता के सापेक्ष सुरक्षित नेता और अधिकारी.
जन गण मन निरपेक्ष अरक्षित मूढ़तंत्र की भाषा.
सद आसय से पूर्ण अतार्किक असफल हुआ तमाशा.

गौरी शंकर सिंह

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0146597
This Month : 5386
This Year : 83890

Follow Me