राजनीति

फिर भी ऐसे देशद्रोहियों से हमदर्दी?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल/एल.जी. विनय कुमार सक्सेना द्वारा ब्रिटेन के चर्चित साहित्यिक ‘बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों की पैरोकार और सामाजिक कार्यकर्ता अरुन्धति रॉय और कश्मीर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अन्तरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ.शेख शौकत हुसैन के विरुद्ध ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम’(यूएपीए)की धारा 45(1) के तहत वाद/मुकदमा चलाने की जो अनुमति दी गई है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं, पर अफसोस की बात यह है कि देशद्रोह जैसे गम्भीर अपराध के आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए भी 14 सालों के बाद इजाजत दी गई है। यह मामला 14साल पुराना यानी 21 अक्टूबर, 2010 का है जब नई दिल्ली के कॉपरनिक्स मार्ग पर स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में ‘ आजादी- ओनली वे’ के तŸवावधान में आयोजित एक सम्मेलन में अरुन्धति रॉय ने कहा था,‘‘ कश्मीर कभी भारत का हिस्सा नहीं था और सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया है। भाषण के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर को आजाद कराने के लिए हर सम्भव प्रयास करने पर जोर दिया। इस सम्मेलन में अलगाववादी/पाकिस्तान समर्थक ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेस के नेता सैयद अहमद शाह गिलानी, एंकर और संसद पर हमले का आरोपित एस.आर.गिलानी, अरुन्धति रॉय, डॉ.शेख शौकत हुसैन,माओवादी वरवर राव आदि ने जिन मुद्दों पर चर्चा की उनमें कश्मीर को भारत से अलग करने मुद्दा महŸवपूर्ण था।इसमें इन सभी ने जमकर राष्ट्रविरोधी और भड़काऊ बयान दिये। इसके पश्चात् 28 अक्टूबर, 2010 को कश्मीर के सामाजिक कार्याकर्ता सुशील पण्डित की शिकायत पर तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ,नई दिल्ली की अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज की गई थी। बाद में अक्टूबर, 2023 को दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने सीआरपीसी की धारा 196 और ‘भारतीय दण्ड संहिता’(आइपीसी) की विभिन्न धाराओं 153ए (धर्म,जाति,जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक का कार्य करना), 153बी (राष्ट्रीय एकीकरण के लिए हानिकारक आरोप,दावे) और 505(सार्वजानिक शरारत को बढ़ावा देने वाले बयान ) के तहत अरुन्धति रॉय और डॉ.शेख शौकत हुसैन पर मामल चलाने की अनुमति दी थी। पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दिया गया। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार अपराध शाखा ने एक हजार से अधिक पृष्ठों का आरोप पत्र किया है,जिसमें अरुन्धति रॉय और डॉ.शेख शौकत हुसैन के खिलाफ कई वीडियो और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर आरोप लगाए हगए है। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक वीडियो की फोरेंसिक रिपोर्ट भी जाँच के हिस्से के रूप में उपलब्ध करायी गई है।
एक अधिकारी के अनुसार एफआइआर में 124ए(देशद्रोह) की धारा भी लगायी गई थी।लेकिन इस पर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी,क्यों कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 में कहा था कि जब तक सरकार इसकी दोबारा जाँच और दण्डात्मक उपाय नहीं किये जा सकते।

वैसे भी अरुन्धति रॉय देश और दुनियाभर में जम्मू-कश्मीर को ही नहीं, देश को भी विभिन्न मुद्दों पर लेख लिखकर और बोलकर बदनाम करने का अभियान चलाती रही हैं। इस कारण वह भारत विरोधी शक्तियों की आँखों की तारा बनी हुई हैं। उनके विशेष पैरोकारों में जम्मू-कश्मीर के अलगावादी, पाकिस्तान समर्थक इस्लामिक कट्टरपंथी, वामपंथी, माओवादी, नक्सलवादी आदि हैं। अरुन्धति रॉय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की भी मुखर आलोचक हैं। अक्टूबर, 2023 को टेलीविजन चैन ‘अल जजीरा’ को दिये साक्षात्कार में कश्मीर के पुलवामा हमले के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री श्री मोदी से जुड़े प्रश्न के श्रीमती रॉय ने कहा था,‘‘ मैं हमेशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ रही हूँ, जब वह साल 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी।’’ इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार करन थापर को दिये एक इण्टरव्यू में उन्होने कहा था,‘‘सŸाधारी बीजेपी फाँसीवादी है और एक दिन ये देश उसके खिलाफ खड़ा होगा।’’ देश और दुनिया भर में अरुन्धति रॉय की पहचान लोकप्रिय कथाकार,उपन्यास,लेखिका,प्रखर वक्ता,जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता के रूप है।ऐसे में यह सम्भव नहीं है कि उन्हें भारत विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के इतिहास और उससे सम्बन्धित विवाद की जानकारी न हो।इसके बाद भी अरुन्धति रॉय भारत और दूसरे देशों में यह कहती फिरती हैं कि कश्मीर कभी भारत का हिस्सा नहीं था और उस पर सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है। उनके इस मिथ्या कथन् से स्पष्ट है कि वे पूर्वाग्रही/दुराग्रही हैं या फिर उनके लोगों/उन शक्तियों के साथ जो भारत का कमजोर /विघटित करने में जुटी हुई हैं। फिर अरुन्धति रॉय और उनके हिमायती बतायेंगे कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बारे में ऐसी ऐतिहासिक जानकारियाँ इतिहास की किसी पुस्तक में पढ़ी है? क्या अरुन्धति रॉय और उनके जैसे कथित विद्वानों को यह पता नहीं है कि कश्मीर का नामकरण ऋषि कश्यप के नाम पर हुआ है। जम्मू-कश्मीर की राजधानी ‘श्रीनगर’ का नाम क्या इस्लामिक है? इस सूबे के नदियों, पर्वतों, घाटियों, मार्गों, नगरों, गाँवों के नाम, बड़ी संख्या में हिन्दुओं, बौद्धों के मन्दिरों और मठों को होना क्या दर्शाता है? यहाँ का सदियों पुराना अपना इतिहास कल्हण लिखित ग्रन्थ ‘राजतरंगणी’ में समाहित है। संस्कृत के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ कश्मीर के विद्वानों द्वारा ही रचे गए हैं। 26अक्टूबर, 1947को भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले राजा हरिसिंह यहाँ के विधि सम्मत शासक थे। अरुन्धति रॉय को जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों का हनन तो दिखता,पर पाकिस्तान समर्थक, अलगावादी इस्लामिक कट्टरपंथियों के अल्पसंख्यक कश्मीरी पण्डितों/हिन्दुओं ंपर उनके द्वारा किये बर्बर अत्याचार, बलात्कार, बन्दूक के जोर पर उन्हें पलायन को विवश करना कभी नजर नहीं आया और न ही उनके द्वारा हर शुक्रवार को मस्जिदों से पाकिस्तान और इस्लामिक दहशतगर्द संगठन आइ.एस.के झण्डे लहराते मजहबी उन्मादी भीड़ द्वारा पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद नारे और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी दिखायी दी। ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या मानवाधिकार या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ और सिर्फ पाक/चीन समर्थकों, अलगाववादियों, अतिवादियों, जिहादियों, नक्सलवादियों, खालिस्तानियों की है और कश्मीर पण्डितों या सुरक्षा बलों और दूसरे भारतीयों की नहीं है ं? ऐसे में सच में अरुन्धति रॉय और इन जैसे लेखकों/अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों के पैरोकारों को पैरोकार कहना,इन समुदायों की तौहीन ही होगी।।
वर्तमान में कुछ लोगों द्वारा समाज में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि देश में तानाशाही है। अतः लिखने,बोलने और सही मुद्दे उठाने की आजादी नहीं है, लेकिन सच यह है कि अब भी देश में एक ऐसा बड़ा वर्ग है कि जो खुलेआम लोगों के मध्य धर्म/मजहब,जाति, सम्प्रदाय, भाषा ,क्षेत्रवाद आदि के बहाने वैमनस्य पैदा कर स्वतंत्रता, एकता, अखण्डता को छिन-भिन्न करने में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं, वह देशद्रोहियों की खुलकर पैरोकारी भी कर रहा है। इस विषम स्थिति में सही-गलत की पहचान कर ऐसे समाज और राष्ट्रद्रोहियों के विरुद्ध यथाशीघ्र सख्त कार्रवाई करने को हमें सदैव तत्पर बने रहना होगा।
सम्पर्क- डॉ बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मोबाइल नम्बर-9411684054

 

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