कार्यक्रम

शिक्षा प्राप्ति के बाद जीवन में शेष संस्कार ही शिक्षा : डॉ. किशनवीर सिंह शाक्य

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।केशवधाम क्षेत्र स्थित रामकली देवी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्या भारती ब्रज प्रदेश के तत्त्वावधान में चल रहे छह दिवसीय नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के अंतर्गत वन्दना सत्र का आयोजन संपन्न हुआ।जिसमें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के मंत्री व उ. प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग के पूर्व सदस्य डॉक्टर किशनवीर सिंह शाक्य ने आचार्यों को संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ लिखने के बाद संस्कारों के रूप में जीवन में जो शेष रह जाए वही शिक्षा है। इसलिए शिक्षा में संस्कारों का विशेष महत्त्व है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का अनुपालन उसके सघन अध्ययन से ही संभव है। बिना करणीय को जाने लक्ष्य पाना कठिन होगा। आचार्य की परिकल्पना का साकार रूप ही शिक्षा है।आचार्य शिक्षण कार्य को आनंदमय ढंग से श्री गणेश करेंगे तो शिक्षण की संप्राप्ति सहज और सरल होगी।
वंदना सत्र का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना, ध्यान, गायत्री मंत्र, भारत माता स्तुति, और शांति मंत्र से हुआ।
ब्रज प्रदेश के सरकारी बारह जिलों से सहभागी महिला एवं पुरुष आचार्यों ने प्रातः काल प्रधानाचार्य से योग शिक्षा के विविध आयामों की क्रियात्मक जानकारी प्राप्त की। योग शिक्षा का व्यावहारिक प्रशिक्षण निरन्तर दिया जाएगा।
वर्ग संयोजक धर्मेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि प्रतिभागियों की तकनीकी शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और अभिव्यक्ति कौशल की भी परीक्षाएं होंगी।
इस अवसर पर प्रदेश निरीक्षक प्रमोद वर्मा, धर्मेन्द्र कुमार शर्मा, लोकेश्वर प्रताप सिंह, डॉक्टर राकेश सारस्वत (पालक अधिकारी), डॉक्टर सतीश मिश्रा, सरस्वती विद्या मंदिर ब्रज प्रदेश प्रकाशन के निदेशक डॉक्टर रामसेवक सहित अनेक शिक्षाविद् उपस्थित रहे।

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0107894
This Month : 3215
This Year : 45187

Follow Me