डॉ.बचनसिंह सिकरवार
गत 6जून को ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार‘ की चालीसवीं बरसी पर कई खालिस्तान समर्थकों द्वारा अमृतसर स्थित ‘हर मन्दिर साहिब/‘स्वर्ण मन्दिर‘ में हर साल की तरह इस बार भी कट्टरपंथी अलगाववादी नेता जनरैल सिंह भिण्डरावाले, हरदीप सिंह निज्जर, क्षतिग्रस्त अकाल तख्त के चित्र लगी तथा खालिस्तान जिन्दाबाद लिखी तख्तियाँ उठाये, खालिस्तानी झण्डे लिए, ‘खालिस्तान जिन्दाबाद‘ के नारे लगाये, इससे पहले 18वीं लोकसभा चुनाव में इस राज्य से खालिस्तान समर्थक दो निर्दलीय उम्मीदवारों की बडे अन्तर से जीत, यह पंजाब के भावी आसन्न संकट की आहट है। यह सब देख-सुनकर पंजाब लोगों में से शायद ही किसी को कुछ आश्चर्य हुआ होगा। इसका कारण यह है कि पंजाब के लोग यहाँ की इस जमीनी सच्चाई से भली-भाँति परिचित हैं। वे चाहकर भी इसका विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं। वैसे भी खालिस्तानी कई तरह की हरकतों के जरिए इस राज्य में ये अपनी उपस्थिति दिखाते आए हैं, इसमें खालिस्तान समर्थकों द्वारा चुनाव लड़ना, ऑपरेशन ब्लू स्टार के दिन मातम मानना, दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखना या फिर अपना झण्डा फहराना रहा है। कनाडा,अमेरिका,ब्रिटेन समेत कई देश उनके बड़े अड्डे बने हुए हैं। इनमें से कनाडा तो बेशर्मी से खुलकर उनकी हिमायत करता आ रहा है।इसी 12जून को खालिस्तानियों ने इटली के पुगालिया में आयोजित जी-7 सम्मेलन से पहले महात्मा गाँधी की प्रतिमा खण्डित कर उसके नीचे अपने नेता हरदीप सिंह निज्जर का नाम लिख दिया। इससे पहले ये कनाडा,अमेरिका में महात्मा गाँधी की प्रतिमाएँ तोड़ने के साथ-साथ हिन्दुओं के मन्दिरों पर खालिस्तानी नारे लिखने और लन्दन स्थित भारतीय उच्चायुक्त कार्यालय पर तोड़फोड़ कर चुके हैं,किन्तु वहाँ की पुलिस ने इनके खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई नहीं की है। इस बार के लोकसभा के चुनाव में खालिस्तान समर्थक प्रत्याशियों को चुनाव लड़न के लिए अमेरिका समेत दूसरे देशों से धन भी मिला है।
6जून,1984 को हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तानियों के खत्मे के लिए चली मुहिम ने उनकी कमर जरूर तोड़ दी थी, पर कुछ लोगों की मन से अभी तक खालिस्तान का विचार/चाहत का अन्त नहीं हुआ है, क्यों कि सŸा के लोभ या फिर भय के कारण देश की सभी सियासी पार्टियाँ इनके खिलाफ खुलकर बोलने से बचती आयी हैं। यहाँ तक कि कुछ पार्टियों का उन्हें मौन समर्थन भी मिलता रहा है और अब भी प्राप्त हो रहा है। इस साल के बरसी के कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थकों में अकालीदल (अमृतसर)के पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान भी शामिल थे, जो संगरूर लोकसभा सीट से 26 जून, 2022 उपचुनाव में जीते थे, पर इस बार इन्हें आप के प्रत्याशी गुरमीत सिंह हेयर ने हरा दिया है। ये न केवल चुनाव हार गए हैं, बल्कि तीसरे स्थान पर र हे हैं। इन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में ‘भारतीय पुलिस सेवा’(आइ.पी.एस.)से त्यागपत्र दिया था। पूर्व सांसद ध्यान सिंह मण्ड के गुट समेत विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त पर नारे लगाये। अलगाववादी नेता जनरैल सिंह भिण्डरावाले कट्टरपंथी सिख संगठन दमदमी टकसाल का प्रमुख था। 6जून, 1984 को पंजाब में जनरैल सिंह भिण्डरावाले के नेतृत्व में सिख उग्रवाद को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के आदेश पर भारतीय सेना द्वारा स्वर्ण मन्दिर पर धावा बोला गया। भिण्डरावाले ने स्वर्ण मन्दिर परिसर में भारी मात्रा में घातक हथियार जमा किये हुए थे। स्वर्ण मन्दिर परिसर में उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने हथियारबद्ध अनुयायियों के साथ मारा गया था।
अब जनरैल सिंह भिण्डरावाला सरीखा दिखने वाला अमृतपाल िंसंह देशद्रोह के आरोप में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम‘(एनएसए) में गिरतार और इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बन्द है। उसने जेल में रहकर पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से काँग्रेस के प्रत्याशी कुलबीर सिंह जीरा को 1.97 मतों से जीत हासिल की है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के अंगरक्षक रहे और उनके हत्यारे बेअन्त सिंह का बेटा सरबजीत सिंह खालसा फरीदकोट साहिब लोकसभा(सुरक्षित सीट) से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता है। उसने ‘आम आदमी पार्टी’(आप) के उम्मीदवार करमजीत सिंह अनमोल के अलावा भाजपा प्रत्याशी हंसराज ‘हंस’ को भी पराजित किया है।इससे पहले यह 2914 निर्दलीय और 2019में बसपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ चुका है। 1989 में इसकी माँ बिमल कौर खालसा रोपड़ लोकसभा क्षेत्र और दादा सुच्चा सिंह भी बंठिडा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। इससे स्पष्ट हैं कि खालिस्तान समर्थक बहुत पहले से चुनाव जीतते आए हैं। इनसे यहाँ लोगों को ज्यादा परहेज नहीं है। यहाँ कि आम आदमी पार्टी की वर्तमान सरकार पर भी इनका समर्थक होने के आरोप लगते आए हैं। लोकसभा के चुनाव के दौरान फरीदकोट से सांसद चुने गए सरबजीत सिंह खालसा को विदेशी फण्डिग को लेकर एक ऑडियो विडियो वायरल हुआ है। इस ऑडियो में सरबरजीत सिंह खालसा से अमेरिका के एक व्यक्ति कह रहा है कि अमृतपाल सिंह के बराबर आपको भी फण्ड दे दिया जाएगा। इस पर सरबजीत सिंह खालसा कहते हैं कि हो सके तो अधिक फण्ड दें, क्योंकि मैं फरीदकोट में जमीन खरीद कर घर बनाना चाहता हूँ। मेरा लक्ष्य 2027 का विधानसभा चुनाव है। अब जीत कर घर नहीं बैठना चाहता, बल्कि यहीं से सिस्टम चलाकर बादल परिवार को घर बिठाना चाहता हूँ। वह व्यक्ति खालसा को 90लाख रुपए देने की बात करता है। इस पर खालसा कहते हैं कि सिमरनजीत सिंह मान ने तो मेरे खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया है। इसलिए मुझे ज्यादा फण्ड दिया जाए।यह फण्ड कैश में भिजवा दें। हालाँकि अब सरबजीत सिंह खालसा इस ऑडियो को उन्हें बदनाम करने की साजिश बता रहं हैं।
अब अकाल तख्त के जत्थेदार रघुवीर सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपने कट्टरपंथी सिख उपदेश अमृतपाल सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के हत्यारे बेअन्त सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा का उल्लेख करते हुए कहा कि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव जीतने वाले दोनों सिंहों को बन्दी सिंहो(सिख कैदी जिन्होने जेलों में सजा पूरी कर ली है)की रिहाई के लिए संसद में आवाज उठानी चाहिए।ऐसे में खालिस्तान समर्थकों के हौसले बढ़े हुए है,जिससे इस राज्य में कभी विकट संकट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अब सरबजीत सिंह खालसा ने कहा कि वह खडूर साहिब के चयनित सांसद अमृतपाल सिंह के साथ मिलकर पंजाब में पंथ के लिए काम करेंगे और नौजवान को पंथ से जोड़कर नशे के खिलाफ खड़ा करेंगे। दोनों सीटों पर वहाँ के निर्दलीय सांसद खालिस्तान का खुलकर समर्थन करेंगे। संसद में बन्दी सिखों की रिहाई, किसानों के मुद्दे, पंजाब के अन्य मुद्दे प्रमुखता से उठाकर उनका यथासम्भव निराकरण कराने की कोशिश करेंगे। इस बार लोकसभा में भाजपा का सफाया हो गया और शिअद एक सीट, काँग्रेस 7और आप का तीन सीटें पर कामयाबी मिली है। पंजाब के इस आसन्न संकट को देखते हुए केन्द्र सरकार को सुनियोजित तरीके से खालिस्तानियों पर नकेल कसने की रणनीति पर काम करना होगा, ताकि खालिस्तान के उनके ख्वाब को सदैव के लिए खत्म किया जा सके। सम्पर्क-डॉ बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मोबाइल नम्बर-9411684054
Add Comment