डॉं बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों हिमाचल प्रदेश की मण्डी लोकसभा से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कांगना रनौत के साथ चण्डीगढ़ हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल(सीआइएसएफ)की महिला कान्स्टेबल कुलविन्दर कौर द्वारा बगैर उकसावे थप्पड़ मारे जाने जाने की वारदात कोई सामान्य घटना नहीं है,बल्कि अप्रत्याशित और पंजाब के बिगड़े हालात को भी दर्शाने वाली है, जिसकी जितनी निन्दा की जाए,वह कम ही होगी। लेकिन उनके साथ हुए इस दुर्व्यवहार पर विभिन्न राजनीतिक दलों से सम्बन्धित नेताओं,बुद्धिजीवियों,साहित्यकारों,कलाकारों आदि की खामोशी बेहद खलने वाली और महिला सम्मान, सहिष्णुता,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उनके दोहरे रवैया को दर्शाने वाली है।इसे किसी भी दशा में सही नहीं माना जा सकता है, जो धर्म/मजहब,जाति आदि देखकर अपना मुँह खोलते हैं। यही कारण है कि मणिपुर में महिलाओं से दुर्व्यवहार पर जमीं-आसमा एक करने वाले काँग्रेसी, कथित पंथनिरपेक्ष,वामपंथी राजनीतिक दलों के नेताओं को न पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की महिलाओं का उत्पीड़न दिखायी देता और न दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सरकारी आवास पर राज्यसभा के सांसद/दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ उनके निजी सचिव की मारपीट में कोई खामी ही नजर आती है। ऐसे में भला वे कंगना रनौत के मामले पर कैसे अपना मुँह खोलते है,जो अक्सर उनके इस दोगले रवैये को लेकर उन्हें आइना दिखाती आयी हैं।
खेद की बात यह है कि इस बीच पंजाब के कई कथित किसान नेता उनके संगठन और दूसरे सिख नेताओं ने महिला कान्स्टेबल/सिपाही के इस दुष्कृत्य की निन्दा करने के स्थान पर एक तरह से सराहा है और उसके विरुद्ध किसी भी तरह की कार्रवाई किये जाने पर आन्दोलन की धमकी भी दी है। यद्यपि इस शर्मनाक घटना के बाद हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने निन्दा करते हुए महिला सिपाही के खिलाफ कठोर सजा की माँग की है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी महिला सिपाही को निलम्बित कर दिया गया और उसके विरुद्ध जाँच के बाद कठोर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है। एक अच्छी बात यह रही है कि हाल में कंगना रनौत ने लोकसभा के चुनाव में काँग्रेसे के जिन प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को चुनाव में हराया था। उन्होंने इस घटना को अनुचित बताते हुए इसकी घोर निन्दा की है। इस मामले पर फिल्म जगत् के उन लोगों का शान्त रहना भी दुःखद है,जो सामान्य घटनाओं पर भी केन्द्र सरकार के विरोध में उतर आते हैं। उसने इस रवैये से व्यथित होकर रंगना रनौत इंस्टाग्राम पर यह कहते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की,कि फिल्म इण्डस्ट्रीज वालो या तो आप लोग मेरे साथ हुए एयरपोर्ट हमले का जश्न मना रहे हैं या इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। याद रखें, कल जब आप बिना सुरक्षा के देश की सड़कों पर निकलेंगे या विदेश में कहीं जाएँगे और तभी कुछ इजरायली और फलस्तीनी आपकों या आपके बच्चों को मारेंगे,क्यों कि आप राफा य इजरायल के बन्दियों का समर्थन कर रहे थे,तो आप देखेंगे कि मैं आपके लिए खड़ी रहूँगी।मेरी नजर राफा गैंग(उनका आशय उन बालीवुड सेलिब्रिटी से है,जिन्होंने राफा का समर्थन किया) पर है। यह लिखकर कंगना रनौत उन्हें एक बार फिर उनके आचरण पर प्रश्न किया है,जिसमें कुछ भी अनुचित नहीं है।
क्ंगना रनौत की इस पोस्ट के बाद अभिनेत्री रवीना टण्डना ने बिना कंगना का नाम लिए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लिखा कि यह ऐसी दुनिया है, जहाँ सार्वजनिक जाँच बेहद कठोर होती है। प्रसिद्धि के लिए उनका अपमान करना गलत है। उनके अलावा ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने लिखा कि कंगना संग हुई घटना की निन्दा हरेक को करनी चाहिए।
वैसे यह सच है कि कंगना रनौत अपने बेबाक और निर्भीक विचारों के कारण जनसंचार माध्यमों में चर्चा में रहती आयी हैं। ऐसे में कुछ लोगों का उनके विचारों से सहमत और असहमत होना स्वाभाविक है,पर इसके माने यह नहीं है कि सुरक्षा व्यवस्था जैसे अत्यन्त महŸवपूर्ण दायित्व के निर्वहन से जड़ी सुरक्षाकर्मी निजी खुन्नस से वशीभूत होर अपने कर्त्तव्य को भूल कर मारपीट और गाली गलौज करने लगे। पंजाब के कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी की रहने वाली महिला सिपाही कुलविन्दर कौर अभिनेत्री कंगना रनौत के किसान आन्दोलन के दौरान महिलाओ के 200-200रुपए लेकर शामिल होने की टिप्पणी से नाराज थी।उसका कहना था कि उस समय उसकी माँ भी आन्दोलन कर रही थीं।उसे इस बात का गुस्सा था।अब उसने उसका प्रतिकार लेने के लिए उसने कंगना रनौत पर हमला किया है ।यह प्रश्न यह है कि इस तरह के वक्तव्यों को लेकर बदला लिया जाने लगा,तब तो शायद ही कोई नेता,लेखक,पत्रकार आदि बोलने/लिखने की हिम्मत कर पाएगा? वैसे चाहे किसानों का आन्दोलन/धरना या फिर सीएए के विरोध में शाहीन बाग या फिर कश्मीर में पत्थर फेंकने वाले हों,उन्हें इसके लिए धन दिये जाने की बात अब किसी से छुपी नहीं है।
यह महिला सिपाही कुलविन्दर कौर पिछले करीब दो साल से चण्डीगढ़ के हवाई अड्डे पर तैनात है और उसका पति भी सीआइएसएफ में सेवारत है।ऐसा करते हुए इस महिला सिपाही ने एक पल भी यह विचार नहीं किया ,इसके बाद उसका क्या होगा?यह उसके दुस्साहस को ही दर्शाता है। इस घटना के बाद कंगना रनौत का यह कथन उचित प्रतीत होता है कि वह सुरक्ष्ति है,बड़ी चिन्ता यह है कि पंजाब में आतंकवाद और उग्रवाद जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे हम कैसे निपटेंगे?
इस दौरान इंस्टाग्राम स्टोरीज पर पूर्व सैन्य अधिकारी गौरव आर्या ने पोस्ट में लिखा,‘‘ कंगना रनौत पर हमला करने वाली सीआइएसएफ कांस्टेबल कुलविन्दर कौर को सजा मिलेगी। उसकी नौकरी जा सकती है। शायद उसने यही साजिश रची थी। किसान आन्दोलन का समर्थन करने की पूरी बात बकवास है।’’ उन्होंने कहा,‘‘कुलविन्दर कौर की अभी-अभी राजनीति में एण्ट्री हो चुकी है। अगर बेअन्त सिंह का बेटा सिर्फ इसलिए चुनाव जीत सकता है, क्योंकि उसके पिता ने इन्दिरा गाँधी की हत्या की थी तथा अमृतपाल सिंह इसलिए जीतता है,क्योंकि वह जनरैल सिंह भिण्डरावाले जैसा दिखता है,तो कुलविन्दर कौर को भी समर्थन मिल सकता है।’’ पोस्ट को शेयर करते हुए कंगना ने लिखा,‘‘ यह मैं समझ गई कि उसने रणनीति के तहत मेरे जाने का इन्तजार किया और फिर खालिस्तानी स्टाइल में चुपचाप पीछे से आई और बिना कुछ कहे मेरे चेहरे पर मारा।’’ इन दोनों की शका निराधार नहीं है।इसके संकेत भी अब मिलने लगे हैं। इस प्रकरण में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय, तुषार गुप्ता और अभिनेत्री शबाना आजमी
की क्रमशः ये टिप्पणियाँ भी विचारणीय हैं ,‘‘कंगना रनौत को थप्पड़ मारे जाने पर जो लोग जश्न मना रहे हैं,उनकी कहीं न जाने कितनी बातों के लिए न जाने कितने थप्पड़ प्रतीक्षा में होंगे। नफरत में अन्धे होकर इस घटिया हरकत की वाहवाही करने वालों को इस बात कर ध्यान रखना चाहिए कि हिंसा हिंसा को जन्म देती है।’’
‘‘अगर कोई व्यक्ति अपनी वर्दी पर अपनी राजनीतिक विचारधारा को हावी होने देता है तो वह निश्चित रूप से मानसिक और नैतिक रूप से उस वर्दी को पहनने के लिए उपयुक्त नहीं है।’’ और आखिर में
‘‘मुझे कंगना रनौत से लगाव नहीं है,लेकिन जो लोग उनको ‘थप्पड़’मारे जाने की घटना पर जश्न मना रहे हैं,उनका मैं समर्थन नहीं कर सकती । अगर सुरक्षाकर्मी कानून को अपने हाथ में लेना शुरू कर दें ंतो हममें से कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता।’’ पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मन्दिर और देश के कुछ दूसरे शहरों में इसी 6जून को कुछ चरमपंथियों ने ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की 40वर्षीय पर कट्टरपंथी जनरैल सिंह भिण्डरावाले के चित्र लगाकर खालिस्तान के समर्थन में नारे बाजी की है,इस पर देश के सभी राजनीतिक दलों के नेता खामोश बने हुए हैं,यह बहुत दुःख की बात है। पंजाब में खालिस्तान समर्थक दो प्रत्याशियों की बड़े मतों से जीत क्या दर्शाती है?यह समझना मुश्किल नहीं है।
कंगना रनौत के साथ चण्डीगढ़ हवाई अड्डे की घटना एक प्रतिशोध का मामला नहीं है,बल्कि देश की स्वतंत्रता, एकता, और अखण्डता के विरुद्ध चल रहे षड्यंत्र का हिस्सा है,जिस पर राजनीति कारणों और चुनावी फायदों को देखते हुए देश के ज्यादातर राजनीति दलों के नेता खामोश बने हुए है या फिर उसमें प्रच्छन्न रूप से सम्मिलित हैं। देश के लोग उनके इस अनुचित रवैये के लिए उन्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे। जहाँ तक केन्द्र सरकार का सवाल है वह भी इससे अनभिज्ञ नहीं है,पर वह इस अन्दर-अन्दर धधक रही अलगाव की आग को असमय हवा देकर ज्वालामुखी बनने देना नहीं चाहती है।
सम्पर्क-डॉ बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मोबाइल नम्बर-9411684054
महिला सम्मान,सहिष्णुता,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार अब खामोश क्यों ?

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