(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।रमणरेती-परिक्रमा मार्ग स्थित प्राचीन वन विहार (आचार्य पीठ टोपी कुंज) में ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया तिथि को असंख्य संतों व भक्तों-श्रद्धालुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ वन विहार की परिक्रमा की गई।साथ ही श्रीहरिनाम संकीर्तन एवं भजन संध्या आदि के कार्यक्रम भी संपन्न हुए।इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वन विहार के अध्यक्ष जगदगुरु निंबार्काचार्य श्रीश्रीललिताशरण देवाचार्य महाराज ने कहा कि ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया को यहां लगाई जाने वाली परिक्रमा प्राचीन काल से ही ब्रजमंडल में वन विहार परिक्रमा के नाम से जानी जाती है।यह परिक्रमा सायं काल से प्रारंभ होकर पूरी रात परिक्रमा चलती है। जिसमें वन बिहारी ठाकुर श्रीराधा मोहन की परिक्रमा की जाती है। यहां पर आचार्य पीठ टोपी कुंज के पूर्ववर्ती आचार्यों एवं सिद्ध संतों की समाधिया हैं। जिनमें श्रीजमुना दास महाराज, कल्याण दास महाराज, भक्तमाली माधव दास महाराज, स्वामी सनत कुमार दास महाराज की समाधियां विद्यमान हैं।इन सभी संतो ने यहां पर घोर तपस्या की।साथ ही आजीवन ठाकुर राधामोहन की सेवा करते हुए भगवान श्रीयुगल बिहारी से लाड़ लड़ाया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ. राजेश सूद ने कहा कि 98 वर्षीय पूज्य महाराजश्री धर्म और अध्यात्म जगत की बहुमूल्य निधि हैं।उनके द्वारा लोक कल्याण हेतु चलाए जा रहे विभिन्न सेवा प्रकल्प स्तुत्य हैं।वस्तुतः वे अपने देश और समाज के एक ऐसे जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं, जो न केवल आज की बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा और ऊर्जा देते रहेगें।
भागवताचार्य पंडित रामनिवास शास्त्री एवं महावीर शरण शास्त्री ने कहा कि टोपी कुंज और वन विहार के वर्तमान अध्यक्ष जगतगुरु निंबार्काचार्य ललिताशरण देवाचार्य महाराज (टोपी कुंज) के नेतृत्व में यहां अनेक सेवा कार्य चल रहे हैं ।साथ ही यहां पर गौ सेवा के लिए गौशाला संचालित की जा रही है। इसके अलावा ठाकुर सेवा के साथ संतो-भक्तों और रसिक जनों की सेवा करते हुए परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है।
महोत्सव में सतीश अग्रवाल, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, संजीव शास्त्री, श्याम सुंदर शर्मा, प्रेमदास मुखिया, गोपाल, मनमोहन शरण तिवारी, संत लाड़िली दास आदि की उपस्थिति विशेष रही। इस अवसर पर संत, ब्रजवासी वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा भी आयोजित हुआ।जिसमें हजारों व्यक्तियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
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