डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल मे नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष तथा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.फारूक अब्दुल्ला के देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को यह चेतावनी देने पर शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ होगा कि पाकिस्तन ने ंचूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं। उसके पास परमाणु बम हैं और यह बम हम पर गिरेंगे। लेकिन यह भी सच है कि यह सुनकर देश के लोग डॉ.अब्दुल्ला से ही नहीं, पूरे इण्डी गठबन्धन से बेहद खफा हैं, जिसके गठबन्धन के घटक दलों के नेता कभी सनातन/हिन्दुत्व, तो कभी देश को बाँटने, या देश विरोधी,विदेश में भारत की प्रतिष्ठा कम करने वाली मिथ्या वक्तव्य,शत्रु देश चीन के समक्ष भारत को दुर्बल बताने ,तो कभी अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर को को लेकर अनुचित/बेजा वक्तव्य देने से तनिक भी संकोच/परहेज नहीं करते। फिर भी काँग्रेस और इस गठबन्धन के दूसरे नेता खामोश ही बन रहते हैं, सिर्फ इसलिए कि समुदाय विशेष के एकमुश्त मतदाता उनसे नाराज न हो जाएँ । इनके लिए ये सभी तलबगार हैं। वस्तुतः काँग्रेस और दूसरे कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करते-करते ये लोग कब देश और सनातन/हिन्दुओं के मुखालफत पर आ जाते है, उन्हें पता ही नहीं चलता?अब डॉ.फारूक अब्दुल्ला के स्वर में स्वर मिलाते हुए काँग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने भी पाकिस्तान के परमाणु बम देखते हुए भारत को उसे इज्जत करने के साथ-साथ उसके साथ लगातार बातचीन शुरू करने का सुझाव दिया है। वे पहले भी पाकिस्तान उसकी तारीफ करते हुए उससे भारत में मोदी सरकार बदलवाने में मदद माँग चुके हैं। हालाँकि इस बार काँग्रेस ने उनके इस बयान से स्वयं को अलग कर लिया है,लेकिन यह भी सच है कि इस पार्टी में ऐसा ही मत रखने वालों की कमी नहीं है। काँग्रेस के ही नेता संदीप दीक्षित सी.डी.एस.विपिन रावत को गाली का गुण्डा कह चुके है,उस पर तब देशभर में उनकी निन्दा हुई थी।
लेकिन इनकी इस फितरत को देख अब देश के लोगों को यह अच्छी तरह मालूम हो गया कि इनके लिए सत्ता से बढ़कर कुछ भी नहीं है। तभी तो कर्नाटक से काँग्रेस के सांसद डी.सुरेशकुमार देश को बाँटकर दक्षिण भारत के राज्यों को मिलाकर एक नया देश बनाने की बात कही, पर उनके विभाजनकारी विचार का किसी ने भी विरोध नहीं किया। डी.एम.के.नेता और तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्तालिन के सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया आदि रोगों से करने के साथ उसके समूल विनाश करने का बयान दिया,जिससे समूचा हिन्दू समाज आहत हुआ, फिर भी इन दलों के नेतागण शान्त रहे, क्योंकि उन्हें बहुसंख्यक हिन्दुओं की भावनाओं का परवाह/फिक्र ही कहाँ है? यही कारण है कि हाल में सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर को बेकार का बता दिया,जो हिन्दुओं के छह सौ साल के सतत् संघर्ष के बाद बना है।उन्होंने यह कहते हुए हिन्दुओं की भावनाओं की तनिक भी चिन्ता नहीं की। वह जानते हैं कि हिन्दू संगठित नहीं है, उसे जातियों में विभाजित कर उनका वोट ले लेंगे। उनकी पार्टी के अध्यक्ष /उ.प्र.के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव माफिया राजनेता मुख्तार अंसारी की मौत पर न सिर्फ मातम मनाने पहुँच गए,बल्कि उसकी तारीफ न जाने क्या-क्या कह आए। वैसे इन्हें अयोध्या जाने की फुर्सत अब तक नहीं मिली है।
अब जहाँ तक डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नए वक्तव्य का प्रश्न है, तो उनका और पी.डी.पी.की अध्यक्ष और इसी सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुपती की पाकिस्तानपरस्ती और अलगाववादियों से मुहब्बत किसी से छुपी नहीं है। कुछ साल पहले भी उन्होंने कहा था कि पी.ओ.के.(पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) तुम्हारे बाप का है,जो उससे ले लोगे। उसे हिन्दुस्तान की फौज भी चाहे,तो उसे नहीं ले सकती, लेकिन अपने देश के कथित पंथनिरपेक्ष और वामपंथी राजनीतिक दलों में से किसी को भी उनके इनके देश विरोधी वक्तव्यों में कुछ भी अनुचित दिखायी नहीं देता।
अब भी डॉ.फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुपती जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35 ए को न सिर्फ फिर से बहाल किये जाने के खुद ख्वाब देख रहे है,वरन् अपने समर्थकों दिखाने में भी लगे हैं, जिसे देश की संसद 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर चुकी है। उसके निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय भी सही ठहरा चुकी है। इन लोगों ने अनुच्छेद 370 और 35ए की बदौलत दशकों तक उनके खानदानों ने न सिर्फ अपनी जागीर बनाया हुआ था, बल्कि यहाँ के लोगों में उनके सूबे को हिन्दुस्तान से जुदा मुल्क होने का झूठ अहसास भी कराया । इन अनुच्छेदों के जरिए ये लोग देश को बार-बार चुनौती देते हुए इस्लामिक कट्टरपंथी दहशतगर्दां, अलगावादियों को पनाह देकर पालने-पोसने देने में लगे हुए थे। इतना ही नहीं, इन्ही अनुच्छेदों से ये सभी कई जातियों को उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित कर उनके साथ हर तरह का भेदभाव और उन पर जुल्म ढहाते आ रहे थे।
वैसे प्रश्न यह है कि आखिर डॉ.फारूक अब्दुल्ला को रक्षामंत्री श्री सिंह के पी.ओ.के. बारे उनके नए कथन को लेकर इतना गुस्सा क्यों आया? उन्होंने तो एक साक्षात्कार के दौरान बस इतना भर कहा था कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर(पी.ओ.के.)पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा, वह भारत का था और हमारा ही रहेगा। लेकिन इस पर बलपूर्वक कब्जा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, क्योंकि इसके लोग कश्मीर में विकास देखने के बाद स्वयं भारत में शामिल होना चाहेंगे और अब ऐसी माँगे उठनी भी लगी हैं। इसमें उन्होंने नया क्या कुछ कहा था, जो इन्हें इतनी मिर्ची लग गई? जो पाकिस्तान के लहजे में भारत को धमकी देने पर उतर आए। वैसे भी वह पाकिस्तान की जिस परमाणु बम का बखान कर रहे हैं, उससे भारत अनजान नहीं है। फिर भी भारत ने पाकिस्तान के पुलवामा और उड़ी पर हमले के जवाब में उसने सर्जीकल और एयर स्ट्राइक की थी। क्या डॉ. फारूक अब्दुल्ला को यह मालूम नहीं है कि भारत भी परमाणु बम की शक्ति वाला है। उसके पास पाकिस्तान से हर मामले में बड़ी और शक्तिशाली थल, जल और वायुसेना है ,जो विश्व के अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र समेत सभी तरह की मिसाइलों से सुसज्जित है। वैसे हकीकत यह है कि अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद जिस तेजी सूबे के विकास की गति बढ़ी है,उससे वहाँ बड़ा बदलाव दिखायी दे रहा है और पर्यटकों की संख्या में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। यहाँ पत्थरबाजी की घटनाएँ और आतंकवादी गतिविधियाँ नाममात्र का रह गई हैं। यह इन अलगाववादी नेताओं का अच्छा नहीं लग रहा है और उनका इस सूबे को दारूल इस्लाम में तब्दील/पाकिस्तान में शामिल करने का ख्वाब हमेशा के लिए टूट गया है। प्रधानमंत्री मोदी पर अपना गुस्से का इजहार करने को काँग्रेसी भी सेना पर तंज करने में पीछे नहीं रहते ।
इसी 4 मई को जम्मू-कश्मीर के पुंछ के सुरनकोट के शशिधर क्षेत्र में वायुसेना के काफिले पर आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें एक जवान का बलिदान हुआ और पाँच जवान गम्भीर रूप घायल हुए हैं। इसे पंजाब के काँग्रेस के जालन्धर से लोकसभा के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केन्द्र सरकार चुनावी स्टण्ट(नौंटकी) बताकर मजाक उड़ाया।इसमें अब पंजाब काँग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिन्दर सिंह राजावडिंग भी शामिल हो गए हैं।काँग्रेस और उसके गठबन्धन की पार्टियों ने केन्द्र सरकार से सर्जीकल और एयर स्ट्राइक के सुबूत माँगे थे।लेकिन बगैर ठोस प्रमाण के ये दल लद्दाख में चीन के कब्जा का ढिंढोरा पीटते नहीं थकते हैं।
इसी तरह हाल में महाराष्ट्र विधानसभा में काँग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने मुम्बई हमले के दौरान बलिदान पुलिस अधिकारी हेमन्त करकरे के सम्बन्ध में यह वक्तव्य दिया कि वह पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की गोली का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आर.एस.एस.) के करीब पुलिस अधिकारी का निशाना बने थे। विरोध और फजीहत होने पर वह उसे झूठलाने कोशिश में लगा गए, किन्तु शशि थरूर बीच में कूद पड़े। उन्होंने यह माँग कर दी कि विजय वडेट्टीवार के आरोपों की जाँच होनी चाहिए। आखिर वह कैसे भूल गए कि इस मामले की जाँच भी हुई थी और अजमल कसाब को फाँसी भी हो चुकी है। उस समय केन्द्र मनमोहन सिंह सरकार थी। शशि थरूर उनकी सरकार में मंत्री भी थे। प्रश्न यह है कि शशि थरूर इतना गैरजिम्मेदारा बयान कैसे दे सकते हैं? अब वर्तमान माहौल को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि काँग्रेस में जिसके मन में आ रहा है, वह बिना सोचे-समझे बोल रहा है। काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और इसके दूसरे नेता अपनी मोदी विरोधी भड़ास/नाराजगी दूसरे देशों में जाकर देश की बुराई करके निकालते आए हैं।लेकिन उनकी इन बेजां/अनुचित हरकतों से देश की प्रतिष्ठा/सम्मान और लोगों की भावनाएँ कितना आहत होती हैं,इसका इन्हें कतई अन्दाज नहीं है। इन हरकतों से वे खुद कुछ भी सोचते हो या खुश होते हों,पर सच्चा देशभक्त के मन उनके प्रति सम्मान घटता है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-2820003 मो.न.9411684054
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