राजनीति

कब तक नकारेंगे, जम्मू-कश्मीर के बदलाव को?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाये जाने के बाद पहली बार श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित ‘विकसित जम्मू-कश्मीर विकसित भारत’ कार्यक्रम में पहुँचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कुछ कहा, उसमें कुछ भी असत्य और अतिश्योक्ति नहीं है। सच में अनुच्छेद 370 के न रहने के बाद से इस सूबे में बहुत कुछ बदल गया है और परिवर्तन की यह प्रक्रिया बहुत तेजी से जारी बनी हुई है, इस बदलाव को जम्मू-कश्मीर की जनता और यहाँ घूमने आए देश के लोग भी देख और महसूस कर रहे हैं,यहाँ तक कि पड़ोसी पाकिस्तान भी उसे देख भौचक्का और परेशान है।पाक अधिकृत कश्मीर के लोग पाक को कोसते हुए भारत में विलय को लेकर आन्दोलित हैं फिर भी विपक्षी विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नेता इस हकीकत मंजूर/स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं हैं। यहाँ तक कि वे यह बताने-जताने में लगे हैं कि अनुच्छेद 370 और 35ए के रहते यहाँ ‘जन्नत‘ सरीखा जो माहौल था, वह अब ‘जहन्नुम‘ में तब्दील हो गया गया है। हाँ, यह सच है कि यहाँ की परिवारवादी सियासी पार्टियों के स्वार्थी नेताओं, अलगाववादी, दहशतगर्द इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए जरूर अब यह सचमुच में ‘जहन्नुम/दोजख’ बन गया है, जो अपनी जागीर समझकर हुकूमत करते हुए यहाँ ‘दारुल इस्लाम‘ कायम करने का ख्वाब देख रहे थे। ये लोग अब अपनी जान बचाने जहाँ-तहाँ छुप रहे हैं। एन.आई.ए. देश-विदेश से उन्हें मिलने वाले धन की जाँच कर उनकी अवैध सम्पत्तियों को जब्त कर रही है और बहुत-सी कर चुकी है। केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रण्ट(जे.के.एल.एफ.),तहरीक-ए-हुर्रियत,जमात-ए-इस्लामी,मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर मसरत आलम जैसे दहशतगर्द और अलवादी संगठनों को प्रतिबन्धित किया जा चुका है। 34साल बाद शिया मुसलमानों ने बेखौफ ‘मुहर्रम’पर जुलूस निकाला,जिन्हें सुन्नी मुसलमान निकालने नहीं देते थे।
अब आयोजन स्थल पर उमड़ी भारी भीड़ और उसका प्रधानमंत्री से जुड़ाव देखकर उनके विरोधियों को गहरा आघात लगा है, जो दशकों से उन्हें अलगाववाद का पाठ पढ़ा कर उन्हें गुमराह करते आए थे। इस बार प्रधानमंत्री 6,400 करोड़ रुपए की विभिन्न परियोजनाओं को लोकापर्ण किया और 1000 अभ्यार्थियों को नियुक्ति पत्र भी दिये। इसी फरवरी को उन्होंने 32 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का शुभारम्भ किया था।अब सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद हर क्षेत्र में आए इन बदलावों की हकीकत की पर्देदारी कर ये लोग आम जनता को कैसे और कब तक देश के खिलाफ भड़काते/ गुमराह करते रहेंगे?
अब यहाँ नमाज के बाद मस्जिदों में भड़काऊ तकरीरें नहीं होतीं। वहाँ से युवा निकल कर भारत विरोधी और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते और उसके झण्डे लहराते हुए पत्थरबाजी नहीं करते। श्रीनगर के लाल चौक के घण्टाघर ,सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों पर ही नहीं, घरों पर भी तिरंगा शान से फहरते देखा जा सकता है। महिलाएँ और बच्चे बेखौफ होकर अपने घरां से निकलते हैं और सुरक्षित अपने घर पहुँचते हैं। जम्मू-कश्मीर में दो एम्स, आइ.आइ.टी.समेत कई विश्वविद्यालय, शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान खुल गए हैं। लगभग 80,000करोड़ रुपए वाले प्रधानमंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत विकास की 20से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है,वहीं बाकी परियोजनाओं का काम चल रहा है। रेल की पटरियों,पुलों,सुरंगों,हवाई अड्डे बन रहे हैं।बड़े शहरों तक तेजी गति रेले पहुँच वुकी हैं। यहाँ पंचायतों की चुनाव हो चुके हैं,वे सफलता पूर्वक काम कर रही हैं। सेना और पुलिस भर्ती के लिए अब युवाओं की भारी भीड़ लगती है। सिनेमा घर खुल गए हैं,देशभर से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुँच रहे हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेलकूद प्रतियोगिताएँ बराबर होती रहती हैं। कई फिल्मों की शूटिंग हो रही हैं और हो चुकी हैं। यहाँ युवा अपने स्टार्टअप शुरू करने में लगे हैं। देश-विदेश से यहाँ निवेशक आ रहे हैं, कारोबारी फलफूल रहे हैं।बदलाव की हकीकत का सिलसिलेवार का ब्यौरा कुछ इस तरह हैं-
5अगस्त, 2019को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 370 हटने के बाद अलगावादियों का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। वर्ष 2018 में 50,वर्ष 2019 में 70,वर्ष 2020 में 6हुर्रियत नेताओं को हिरासत में लिया गया। 18 हुर्रियत नेताओं से सरकारी खर्चे पर मिलने वाली सुरक्षा वापस ली गई है। अलगाववादियों के 82 बैंक खातों के लेन-देन पर रोक लगा दी गई है। पिछले साल के आँकड़ों के अनुसार 5 अगस्त, 2016 से 4 अगस्त, 2019के बीच 900 आतंकवादी घटनाएँ हुई थीं, जिनमें 290 जवान शहीद हुए थे और 191 आम लोग मारे गए थ। वहीं, 5 अगस्त, से 4अगस्त, 2022 के मध 617 आतंकवादी घटनाओं में 174 जवन शहीद हुए हैं और 110 आम नागरिकों की मौत हुई हैं। ये आँकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि आतंकवादी घटनाएँ कम हो रही हैं। जी-20 का अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन सफलता पूर्वक आयोजित किया जा चुका है। जिन लोगों को केन्द्र सरकार का अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने का निर्णय नहीं सुहाया,वे उसे चुनौती देने सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गए,पर 11 दिसम्बर, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्तीकरण का सही ठहराने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। इस तरह उसने भारत की सम्प्रभुता और अखण्डता को सम्पुष्टि कर दी है। बीत चार सालों में प्रदेश ने विकास की ओर उड़ान भरी है। पहले यहाँ केन्द्र सरकार का कोई भी कानून लागू नहीं होता था। लेकिन अब केन्द्र सरकार के सभी कानून लागू किये जाते हैं,गरीब,वंचितों का उनका लाभी मिल रहा है।। शिक्षण संस्थानों को जलाये जाने की घटनाएँ बन्द हो गई हैं। अब जम्मू-कश्मीर में दो विधान और दो निशान व्यवस्था खत्म हो गई है। यहाँ दोहरी नागरिकता और विधान परिषद् को भी समाप्त कर दिया गया है। इस राज्य में विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था,जो अब देश के दूसरे राज्यों की विधान सभाओं की तरह उसे 5वर्ष कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के नए परिसीमन में 7 विधानसभा की सीटें बढ़ायी गई हैं, जिनमें से 6जम्मू और 1सीट कश्मीर घाटी में बढ़ाई गयी है। इस राज्य में अब कुल 90सीटें हो गई हैं, जो पाक अधिकृत कश्मीर ( पी.ओ.के.) सीटों से अलग हैं। पी.ओ.के. की 24 सीटें हैं,जिन पर चुनाव नहीं होते।
इस परिर्वतन के तहत जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घटी में 47 सीटें हो गई हैं,वहीं इससे पहले कश्मीर घाटी में 46 और जम्मू में 37 सीटें होती थीं। पहली बार अब इस राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जातियों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं। वहीं अनुसूचित जनजातियों के लिए पहले से आरक्षित 7 सीटों को बरकरार रखा गया है। जम्मू-कश्मीर के लिए 26 जुलाई का दिन बेहद खास रहा,जब लोकसभा में अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया गया। इसके तहत इस राज्य में पहाड़ी,गद्दा,ब्राह्मण ,कोल, वाल्मीकि वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370हटने से पहले बाहरी लोगों को जमीन खरीदने अधिकार नहीं था,किन्तु इसके हटने के बाद अब बाहरी लोग भी यहाँ जमीन खरीदने लगे हैं। यहाँ 188 भारी निवेशकों ने भूमि खरीद ली हैं, वहीं, इसी मार्च में इस राज्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रोजेक्ट मिला है,जो 500करोड़ रुपए का है। इस प्रोजेक्ट के पूर्ण होने पर 10,000लोगों को नौकरियाँ मिल सकेंगीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह प्रोजेक्ट ‘संयुक्त अरब अमीरात’(यू.ए.इ.) के एम.आर.ग्रुप का है।
बीते साल के आंकड़ों प्रधानमंत्री पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपए लागत के 55 प्रोजेक्ट शुरू किये गए हैं, जो सड़क, पॉवर, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन,खेती,कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में शुरू किये गए हैं। जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए नई केन्द्रीय योजना के तहत डेवलपमेण्ट त 28,400करोड़ रुपए तक राशि खर्च होगी। इसके तहत उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और औद्योगिकीकरण का नया दौर शुरू होगा। 223पॉवर ट्रान्समिशन,डिस्ट्र ब्यूशन योजनाओं का क्रियान्वयन हो चुका है।
केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानन्द राय ने 26जुलाई,2023 का राज्यसभा में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370हटाने के बाद से लगभग 30,000युवाओं को नौकरियाँ दी गई हैं। राज्य सरकार ने 29,295 रिक्तियाँ भरी हैं। भर्ती एजेन्सियों ने 7,924 रिक्तियों के विज्ञापन दिया है और 2,504 व्यक्तियों के सम्बन्ध में परीक्षाएँ आयोजित की गई हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएँ भी शुरू की है। अन्तरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद 370हटने के बाद यहाँ के पर्यटन क्षेत्र का भी विकास हुआ है।विगत 4सालों जम्मू-कश्मीर में अच्छी खासी भीड़ देखी गई। इसका कारण भयमुक्त वातावरण है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार 2022 में 1.83 करोड़ पर्यटक यहाँ के विभिन्न पर्यटक स्थलों को देखने आए और उन्हांने यहाँ के सुन्दर दृश्यों का भरपूर आनन्द लिया।
वर्ष 2021,2022, 2023 में बड़ी संख्या/तादाद में तीर्थयात्री/पर्यटक कश्मीर आए। इसमें कश्मीर में बागवानी क्षेत्र में सेब का कारोबार शामिल है। इन दोनों को मिलाकर करीब 20,00रुपए सालाना की आमदनी होती है, वहीं, इसी साल शुरू की गई अमरनाथ यात्रा में भी श्रद्धालुओं की संख्या बीते सालों के मुकाबले रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल अमरनाथ यात्रा में 4लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आए थे।
अन्त में यह भी सच है कि जम्मू-कश्मीर सब कुछ सामान्य और देश के दूसरे राज्यों से जैसा हो गया है ,ऐसा भी नहीं है। पाकिस्तान समर्थित दहशतगर्द अब भी सीमा और राज्य के अन्दर मौका मिलते ही हिंसा कर दहशत फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कई दूसरे राज्यों से आए मजदूरों और कश्मीरी हिन्दुओं की जान ली हैं। इसके कारण कश्मीर पण्डितों/हिन्दुओं की घर वापसी नहीं हो पायी है। जब तक ऐसा नहीं हो पाता, तब तक सही माने में जम्मू-कश्मीर पहले जैसा नहीं हो पाएगा। इसके लिए सरकार और बहुसंख्यक मुसलमानों को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाना होगा। उस हालत में ही कश्मीरियत,इन्सानियत,जम्हूरियत की वापसी होगी।पर कथित पंथनिरपेक्ष सियासी पार्टियां के नेता और इस्लामिक कट्टरपंथी आसानी से ऐसा होने देंगे,यह सवाल मौजूं है?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.न.9411684054

 

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