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प्रेरणा व ऊर्जा दायक है बाबा अवध दास महाराज का जीवन चरित्र : भक्ति वेदांत मधुसूदन महाराज

 

डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।आनंद वाटिका क्षेत्र स्थित सनातन संस्कार धाम में ब्रज के प्रख्यात संत श्रीश्री 108 बाबा अवधदास महाराज का 87वां नित्य निकुंज लीला प्रविष्टि तिरोभाव महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।सर्वप्रथम बाबा महाराज के चित्रपट का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए गौडीय संप्रदायाचार्य भक्ति वेदांत मधुसूदन गोस्वामी महाराज ने कहा कि पूज्य बाबा अवध दास महाराज का जीवन चरित्र श्रवण करना प्रेरणा व ऊर्जा दायक है।महाराजश्री का स्मरण मात्र हमारा कल्याण करने वाला है।
महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत शिरोमणि बाबा अवधदास महाराज ने नाम, लीला और धाम की सेवा करते हुए और संसार की विषय-वासनाओं से मुक्त रहते हुए शिष्य परम्परानुसार धर्म को आगे बढाने का कार्य किया।
महाराजश्री के पंति चेला पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ व आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि निकुंज लीला प्रविष्ट बाबा अवध दास महाराज संत समाज के गौरव थे।उन्होंने श्रीधाम वृन्दावन में साधनारत रहकर असंख्य व्यक्तियों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़कर उनका कल्याण किया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि पूज्य बाबा अवध दास महाराज श्रीमद्भागवत के प्रकांड विद्वान थे।उन्होंने जीवनभर श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ को भगवद स्वरूप मानकर उसकी पूजा की।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर डॉ. आदित्यानंद महाराज, श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज (अधिकारी गुरुजी), महामंडलेश्वर स्वामी राधाप्रसाद देव जू महाराज, सत्यभान शर्मा, रामकृपाल दास भक्तमाली, रामकृष्ण गोस्वामी, योगेंद्र भारद्वाज, भानुदेवाचार्य महाराज, कपिलानंद महाराज,विनोद राघव, महन्त मोहिनी बिहारी शरण, डॉ. राधाकांत शर्मा, बृजेश गिरि, आनंद शर्मा, लीला गौतम, पण्डित उदयन शर्मा, मदन गोपाल बनर्जी, जितेंद्र चतुर्वेदी, ईश्वरचंद्र रावत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य बद्रीश महाराज ने किया।महोत्सव के संयोजक श्रीगोपाल वशिष्ठ व देवेश वशिष्ठ ने सभी का आभार व्यक्त किया।साथ ही धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में कार्य करने वाले संतों व विद्वानों का सम्मान किया।
सायं प्रख्यात रासाचार्य स्वामी नेत्रपाल शर्मा के निर्देशन में दिव्य रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।

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