डॉ.बचन सिह सिकरवार
हाल में पाकिस्तान में हिन्दुओं के दो प्रमुख मन्दिर सिन्ध प्रान्त के मीठी स्थित हिंगलाज माता मन्दिर और गुलाम कश्मीर में शारदापीठ मन्दिर को ध्वस्त कर दिया गया है, जो दुनियाभर के हिन्दुओं के सबसे बड़े आस्था केन्द्र थे। लेकिन इन्हें तोड़े जाने को लेकर न पाक सरकार ने कोई विशेष संज्ञान लिया और न ही संचार माध्यमों ने। आश्चर्य की बात यह है कि इस मामले में भारत सरकार और हिन्दू संगठनों ने भी पाकिस्तान से विरोध व्यक्त करने की आवश्यकता अनुभव नहीं की। वैसे पाकिस्तान में हिन्दुओं के मन्दिरों को तोड़ने और उनके उत्पीड़न का सिलसिला उसके 14 अगस्त, सन् 1947 गठन के साथ शुरू हो गया था, पर अब तक पाकिस्तान के किसी भी हुक्मरान ने हिन्दुओं और उनके मन्दिरों की हिफाजत पर गौर फरमाने की जरूरत महसूस नहीं की।इसकी असल वजह उनका मजहब है। अब इस मुल्क में न केवल हिन्दू, सिख, ईसाई गिनती के बचे है, बल्कि इनके उपासना स्थल भी। इनमें जहाँ शारदा पीठ यूनेस्को साइट है तथा हिन्दुओं की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत हैं। फिर भी पाकिस्तान सरकार ने उसे तोड़े जाने से न तो रोका गया और न ही इसे तोड़ने वालों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की गई है, वहीं गुलाम कश्मीर में एल.ओ.सी.के निकट बने शारदा पीठ मन्दिर को तोड़ा गया है,जो पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा मिली हुई है। इस मन्दिर की एक दीवार तोड़कर काफी हाउस बनाया गया है। इसे तोड़े जाने का स्थानीय मुसलमानों ने भी विरोध किया था,क्योंकि उनके पूर्वज माँ शारदा के भक्त थे।इस नाते वे भी उन्हें मान देते आए हैं। यह मन्दिर राजधानी श्रीनगर से 130 किलोमीटर दूर स्थित है, जो कश्मीरी पण्डितों की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ है। वर्तमान में मूल शारदापीठ के सामने भारतीय सीमा में प्रतीकात्मक शक्तिपीठ स्थापित की गई है,जहाँ पूजा-पाठ भी शुरू हो गया है। इन मन्दिरों को तोड़े जाने से कुछ समय पहले अहमदपुर सियाल में ऐतिहासिक सीताराम मन्दिर को ध्वस्त कर उस जगह पर मुर्गाकाट कर बेचने की दुकान खो दी गई है। इसी वर्ष जुलाई में भी एक मन्दिर तोड़ा गया था। कराची में मरीमाता का मन्दिर जमींदोज कर दिया गया है। इस मन्दिर को जब तोड़ा गया, तब पूरे इलाके की बिजली गुल कर दी गई थी।इसमें पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत थी। पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से हिन्दू धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई जारी हैं। मीरपुर खास के अतिक्रमण निरोधक अदालत के आदेश के बाद धारपारकर में हिंगलाज माता मन्दिर को ध्वस्त कर दिया गया, जो कराची से 215 किलोमीटर दूर पश्चिम में बलोचिस्तान के रेगिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर दुर्गा देवी का मन्दिर है। पाकिस्तान में यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है,जहाँ दुनियाभर से लाखों हिन्दू तीर्थयात्रा करते हैं। पाकिस्तान गठन के समय यहाँ 428 हिन्दुओं क मन्दिर थे, वहीं अब सिर्फ 22मन्दिर बचे हैं। इनमें से 1990 मे ं408 मन्दिरों की जगह को रेस्टोरेण्ट, होटल, सरकारी स्कूल या मदरसों, पार्किंग, पशुओं का बाड़ा,गोदामों में तब्दील कर दिया है। सन् 1947 में पाकिस्तान की कुल आबादी में हिन्दू आबादी 20.5प्रतिशत थी, जो सन्1988 में आते-आते 1.6 फीसदी रह गईं। पाकिस्तान में हिन्दुओं के उत्पीड़न और उनके उपासना स्थलों के तोड़े जाने की असल वजह इस्लाम में मूर्ति भंजन, कुफ्र और काफिर की अवधारणा है। इस्लाम में काफिर से नफरत ,उनका खात्मा,मूर्ति भंजन मजहबी फर्ज बताया गया हैं। इनके करने पर जन्नत नसीब होती है। पाकिस्तान की इमारत हिन्दुओं से नफरत नींव/बिना पर तामीर हुई है। इतना ही नहीं, वहाँ मुल्ला-मौलवी और इस्लामिक कट्टरपंथी/जेहादी बचपन से ही हिन्दू धर्म और उनके मानने वालो, भारत से घृणा का पाठ पढ़ाते हैं। इनमें से कुछ तो न सिर्फ उन्हें ‘गजवा-ए-हिन्द’ ख्बाव दिखाते है,बल्कि भारतीय मुसलमानों को भी उसमें मददगार बनाने की तिकड़म में जुटे रहते हैं। इसके तहत ये इस्लामिक कट्टरपंथी भारत को ‘दारूल इस्लाम‘ यानी ’निजाम-ए-मुस्तफा’ में बदलना चाहते हैं।
वैसे इसकी शुरुआत से सन् 711के मुहम्मद बिन कासिम के सिन्ध पर हमले से हो गई थी,जो मुहम्मद गजनवी,मुहम्मद गौरी से लेकर अब तब तक जारी है,जो जम्मू-कश्मीर से लेकर बांग्लादेश से घुसपैठ के रूप में दिखायी देती है। इस इरादे से देश में कुछ लोग तरह -तरह लोगों का मतान्तरण कराते आते आए है और करा रहे हैं।
इसी मकसद को पूरा करने में पाकिस्तान और भारत कई इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन जुटे हैं। ‘पापुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया‘(पी.एफ.आई.)के कार्यालय में छापे के दौरान सन् 2047तक भारत को ‘गजवा-ए-हिन्द’/ में तब्दील करने के दस्तावेज मिले हैं। बाद में ‘राष्ट्रीय अन्वेषण/जाँच एजेन्सी’ (एन.आई.ए.) देश के कई नगरों में छापों के दौरान भी ऐसे ही दहशतगर्द माड्यूल का भण्डाफोड़ किया है, जिसका संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा है। इस माड्यूल में गुजरात, म.प्र.महाराष्ट्र आदि के शहरों के नौजवान जुड़े हुए हैं। दरअसल, पाकिस्तान हिन्दू, सिख, ईसाई नाबालिग लड़कियां का अपहरण कर उनका जबरन मतान्तरण कर ज्यादा उम्र के मुसलमानों से निकाह कर दिया जाता है, इन मामलों में पुलिस-प्रशासन समेत अदालतें भी शामिल रहती हैं। ऐसी खबरों कां समाचार पत्र और टी.वी.चैनल भी छापते/दिखाते नहीं हैं। जब तब हिन्दू अपने पर हुए जुल्मों के खिलाफ जुलूस निकालते है,उस हालत में मुश्किल से उनकी खबर छापी/दिखायी/पं्रसारित की जाती है। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक सिन्ध में हर हपते तीन से चार लड़कियों का अपहरण कर जबरदस्ती इस्लाम कुबूल कराकर उनका निकाह कर दिया जाता है। इनके घर वालों की कहीं भी सुनवायी नहीं होती है। इस वजह से पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी लगातार से तेजी से घट रही है, लेकिन इन पर होने वाले जुल्मों की पाकिस्तान में किसी भी सियासी पार्टी को फिक्र नहीं हैं। यहाँ फिरकों में बँटे मुसलमान आपस में कितने भी लड़ते -झगड़ते रहे हैं। यहाँ तक कि मस्जिदों में नमाज पढ़ते हुए उन पर बम फेंके जाएँ या उनकी मस्जिदों की मीनारें तोड़ी जाएँ या फिर इस्लाम से उन्हें बेदखल कर दिया जाए,लेकिन हिन्दुओं,सिखों, ईसाइयों पर जुल्म करने के मामले में ये सभी फिरके एक हैं। ऐसे वह दिन बहुत दूर नहीं,जब पाकिस्तान में एक भी हिन्दू और उनका उपासना स्थल नहीं बचेगा। फिर भी पाकिस्तान में किसी भी सियासी पार्टी को उनकी कतई परवाह नहीं है।इस हकीकत को जानते हुए भी दुनिया के मानवाधिकार संगठन भी खामोश है।ं
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003,मो.नम्बर-9411684054
पाकिस्तान में फिर हिन्दू मन्दिरों का ध्वंस

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