राजनीति

अब जन की बात कब सुनेंगे?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ शीर्षक प्रसारित ‘ वार्ता को लेकर जहाँ देश के लोगों का वर्ग उसमें सारगर्भित तथ्यों और उपलब्धियों का सुनकर उनकी प्रशंसक बना हुआ है,वहीं,विपक्षी दलों यह कह कर इसका यह कर निन्दा/आलोचना करते आए है कि वे केवल अपनी बात करते हुए सिर्फ स्वयं अपनी पीठ थपथपाते रहे है। लेकिन न पत्रकारों से वार्ता करते है और न ही जनता की बात ही सुनते हैं कि वह उनकी और उनकी पार्टी भाजपा शासित राज्यों में कौन-कौन-सी समस्याएँ और उनकी पार्टी के विधायक, सांसदों, मंत्रियों तथा नौकरशाही, पुलिस-प्रशासन के बेरुखी, संवेदनहीनता एवं भ्रष्टाचार से त्रस्त है। इस स्थिति से प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के समर्थक भी दुःखी है और चाहते हैं कि इसे बदलने के अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके लिए विशेष प्रयास किया जाना अभी शेष है।ं उक्त दोनों तथ्यों में कुछ भी असत्य नहीं हैं।
निस्सन्देह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मन की बात’समसामयिक विषयों पर गहन-चिन्तन से परिपूर्ण होती है।इसमें कुछ लोगों को भी जोड़ने उसकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है, इससे उनके विरोधियों की यह आलोचना का निरर्थक हो जाते है कि वे सिर्फ अपनी ही बात करते हैं। अब जहाँ तक उनके दोनों कार्यकाल की उपलब्धियों का प्रश्न है तो विमुद्रीकरण/2000 रुपए के नोट बन्द करने के निर्णय, जम्मू-कश्मीर के कथित विशेष दर्जे से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर इसे केन्द्र शासित राज्यों करना, श्रीरामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय में विशेष पैरवी कर निर्णय कराया, अब वहाँ भव्य -दिव्य श्रीरामजन्म भूमि मन्दिर का निर्माण पूर्ण होने जा रहा है, भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक का पुनर्जागरण के तहत सरदार पटेल की सबसे ऊँचाई प्रतिमा का निर्माण तथा स्थापना, इण्डियागेट के स्थान पर नया शहीद स्मारक की निर्माण, केदारनाथ मन्दिर का पुनर्निर्माण, कर्नाटक में रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापना, अनाम,आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा,उनके नाम पर स्मारक, शिक्षण /चिकित्सा संस्थानां की स्थापना, कोरोना काल में वैक्सीन निर्माण से लेकर लगवाने, उन्हें निःशुल्क राशन और रोजगार दिलाना, विश्व के कई देशों को वैक्सीन भेजना,दुर्गम स्थलों, सीमाओं पर सड़कों, सुरंगों, बंकरों, हवाई पट्टियों तथा हवाई अड्डों का निर्माण, की व्यवस्था,सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक,डिजिटल लेनेदेन, डायरेक्ट ट्रान्सफर के जरिए विभिन्न कल्याणकारी योजना का धन लाभार्थियों तक पहुँचाना, नीम कोटेड यूरिया,सुरक्षा के लिए आवश्यक हथियार,वायु,नौसेना के लिए जहाज आदि की खरीद,रक्षा सामग्री का स्वदेश में निर्माण को बढ़ावा, मुद्रा योजना, योग, स्वच्छता, निःशुल्क बिजली कनेक्शन, नल से पेय जल,बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ अभियान, स्थानीय उत्पादों के लिए लोकल को वोकल का नारा,उन्हें उपयोग करने के लिए बढ़ावा-प्रचार, विदेश नीति में स्वतंत्र रुख,आन्तरिक सुरक्षा को सख्त करना,नक्सवादियों, पूर्वोत्तर के उग्रवादियों पर लगाम, तीन तलाक निरोधक अधिनियम, नागरिक संशोधन अधिनियम(सी.ए.ए.), नए संसद तथा प्रगति मैदान भारत मण्डपम का निर्माण, जी-20 की अध्यक्षता का सफल निर्वहन तथा आयोजन,‘नारी शक्ति वन्दन अधिनियम‘, ‘श्रीअन्न(मोट अनाज) को प्रोत्साहन देकर सीमान्त किसानों की आय बढ़ाना, आइ.पी.सी.,इण्डियन एविडेन्स एक्ट, सी.आर.पी.सी. का भारतीयकरण इनके स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता तैयार कराना, हिन्दी एवं प्रादेशिक भाषाओं में चिकित्सा तथा इंजीनियरिंग के अध्ययन की शुरुआत, 80 लाख लोगों के लिए निःशुल्क राशन, चन्द्रयान-3 की सफलता, अन्तरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पहले बहुत खिलाड़ियों द्वारा अधिक पदक जीतना, विदेश निवेश में बढ़ोत्तरी, अर्थव्यवस्था को 11वें स्थान से बढ़कर विश्व की 5अर्थव्यवस्था तक पहुँचना, मोबाइल के निर्माण दूसरे स्थान पर आना, दवाओं के निर्माण और निर्यात, रेलवे और सड़कों को बहुत तेजी से विकास, देश से अलग-थलग पड़े तथा उपेक्षित पूर्वोत्तर में तेज विकास,वहाँ तक रेल,सड़क, पहुँचना। इस इलाकों वायु मार्ग से उसे जोड़ना, वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के सुदृढ़ होने और बेहतर अर्थव्यवस्था के कारण भारत की विश्वसनीयता तथा सम्मान में वृद्धि, करोड़ों लोगों को शौचालय, बेघरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास, उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत मुपत गैस चूल्हा, सिलेण्डर, समयबद्ध तरीके से परियोजनाओं का पूर्ण करने में सफलता, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों का कमजोरी के क्षणों में उत्साह सम्वर्द्धन, विदेशों में युद्ध तथा विषम स्थितियों अपने देश के लोगों की सकुशल वापसी,।
इधर यह भी सच्चाई है कि अभी तक देश के युवाओं की अपेक्षा के अनुरूप रोजगार के अवसरों का सृजन न हुआ है और बेरोजगारी में अपेक्षित कमी नहीं आयी है। तमाम शोध एवं उच्च शिक्षा के शिक्षण संस्थानों में लम्बे समय से वैज्ञानिकों और शिक्षकों की भर्ती न कराना, विभिन्न कारणों से, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, के महँगी होने से लोगों में नाराजगी है। सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार बरकरार और तो कहीं-कहीं तो इसमें बढ़ोत्तरी हुई। न्यायालयों में समय से न्याय न मिलना तथा उनकी कार्यशैली में सुधार न होने से लोगों में निराशा है। सरकारी की कल्याणकारी योजनाओं में तमाम सावधानी के बावजूद भ्रष्टाचार और जेब गर्म किये बगैर लाभ न मिलना, उद्योग लगाने में नौकरशाही द्वारा रिश्वत की चाहत में बाधा डालना, तेज औद्योगिक विकास के मार्ग में रिश्वत खोरी बाधक है। भाजपा और दूसरे राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों के कार्य करने और व्यवहार में कोई अन्तर दिखायी नहीं देता,बल्कि इनमें उनसे ज्यादा अहंकार है। ये लोग सामान्य जनता से सीधे संवाद से बचते हैं। लेखपाल-पुलिस के सिपाही से लेकर हर कोई आम आदमी को लूटने में लगा, जिसकी कहीं भी सुनवायी नहीं है। मुख्यमंत्रियों ने जनता की समस्याओं की सुनवायी के आदेश के बाद भी जन सुनवायी की व्यवस्था की और बार-बार जनसुनवायी कर समस्याओं के निस्तारण के आदेश भी दिये हैं, पर नौकरशाहों को जनता की समस्याएँ सुनने और उन्हें हल करने में कतई रुचि नहीं है। फिर भी नौकरशाहों के विरुद्ध अभी तक कहीं भी कठोर कार्रवाई नहीं की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के सहयोगी और उ.प्र.के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, म.प्र.के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्वा आदि की तरह उनके मंत्रियों, विधायकों, सांसदों को उतना परिश्रम और उन जैसा व्यवहार न करना आसानी से देखा सकता है।
इसके बावजूद देश के लोगों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रियों और भाजपा के कुछ मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली पर पूरा विश्वास बना हुआ है, लेकिन उनकी समस्याओं के समाधान, उनके साथ होने वाले अन्याय, शोषण का निवारण न होने की दशा में ये सब कब तक उन पर विश्वास व्यक्त करते रहेंगे यह कहना अधिक मुश्किल नहीं हैं। ‘पार्टी विद डिफरेन्स‘ होने की दावा करने वाली भाजपा के नेता दूसरे राजनीतिक दलों से किसी भी माने में अलग/भिन्न दिखायी नहीं देते, यह देखकर इस पार्टी के समर्थक बहुत निराश हैं, पर विकल्प के अभाव और देश -हिन्दू हित को देखते हुए इसके प्रत्याशियों को चुनावों में वोट देने को मजबूर हैं, क्यों कि देश के अधिकतर राजनीतिक दल भाजपा-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करते हुए देश और हिन्दू विरोधी ही नहीं, राष्ट्रद्रोही सरीखे हो गए हैं। वैसे प्रश्न यह है कि क्या प्रधानमंत्री और उनके साथी जनता के इस दर्द को जानते -समझते न हो,ऐसा नामुमकिन है। इस लिए प्रधानमंत्री अपने मन की बात कहने के साथ-साथ कुछ अब जनता की भी सुनने लगें,तो सभी के लिए बेहतर होगा
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

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