राजनीति

कब तक हकीकत से आँखें चुरायेंगे

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में और आसपास के 68 निजी स्कूलों को ई-मेल के माध्यम से बम से उड़ाने की कोशिश की जो धमकी दी है, वह अत्यन्त गम्भीर है। यह जिहादियों के दुःसाहस को दर्शाती है कि उन्हें इस देश के कानून का तनिक भी भय नहीं है। इसके लिए कहीं न कहीं हमारे देश के कथित पंथनिरपेक्ष/वामपंथी राजनीतिक दलों की तुष्टीकरण नीति उत्तरदायी है। इससे इन जिहादी तत्त्वों के हौसले बहुत बढ़े हुए हैं। अब इस धमकी से देशभर में फैले जिहादियों ने अपने असल इरादे जता दिये हैं। इन्होंने धमकी दी है ,‘‘इस्लाम कुबूल कर लो, वरना मरने के लिए तैयार रहो। हम पूरे भारत में अल्लाह के सच्चे धर्म का प्रसार करेंगे। तुम्हारे पास हमारा गुलाम बनने या अल्लाह के सच्चे धर्म को स्वीकारने का विकल्प है। हमारे विस्फोटों से मन्दिरों और बुद्ध से लेकर अनन्त तक सभी मूर्तियों के टुकड़े हवा में उड़ेंगे।‘ आश्चर्य है कि इसके बाद भी किसी भी राजनीतिक दल, मानवतावादी, उदारवादी नेता, बुद्धिजीवी, साहित्यकार, कवि, अभिनेता, अभिनेत्री आदि ने उक्त धमकी देने वालों की निन्दा/भर्त्सना/आलोचना नहीं की। इधर इस्लाम के जो भी प्रवक्ता मौला,मौलवी और इस मजहब के मानने वाले सियासी रहनुमा हैं जो अपने मजहब को शान्ति और भाईचारे का मजहब साबित करते नहीं थकते, वे भी इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश बने हुए हैं। इसके विपरीत किसी हिन्दू द्वारा कुछ भी कहा या किया जाए, तो उसकी मजम्मत करने के लिए ये लोग जमीन-आसमां तक एक कर देते हैं और देश में असहिष्णुता,नफरत और मुसलमान के लिए डर का माहौल बता कर शोर मचाने लगते हैं।
अब प्रश्न यह है कि हिन्दुओं को अपना धर्म छोड़ने, उनके पूजा स्थलों, आराध्यों की प्रतिमाओं उड़ाने की धमकी देना क्या विधि सम्मत है? वैसे ऐसे जिहादियों द्वारा इस तरह धमकी दिये जाने की, यह कोई पहली घटना नहीं है। इसी राज्य में हिजाब को लेकर किस तरह का उग्र आन्दोलन शुरू हुआ था, जिसके जरिए दुनियाभर में भारत की छवि को बिगाड़ने की भरसक कोशिश की गई। इस विवाद को उच्चतम न्यायालय में भी ले जाया गया। वैसे भी इस राज्य में प्रतिबन्धित इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘पापुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’(पी.एफ.आइ.) का केरल के बाद सबसे अधिक प्रभाव है। अब जब से यहाँ काँग्रेस की सरकार गठित हुई तब से ऐसे मजहबी कट्टरपंथियों के हौसले बुलन्द हैं।
इससे घटना से कुछ माह पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और काबीना मंत्री उदयनिधि स्तालिन ने ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’में बोलते हुए कहा था, ‘‘कुछ चीजें ऐसी होती हैं,जिनका विरोध करना ही काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होता है, मच्छर, डेंगू, मलेरिया,कोरोना ऐसी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना होगा, सनातन भी ऐसा ही है।’’ इस बयान का देशभर हिन्दुओं द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद उदयनिधि स्तालिन अ अपने कहे पर अभी तक डटे हुए हैं। इसके बाद अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुए काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र और कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खरगे ंऔर कुछ मंत्रियों ने भी मंत्री उदयनिधि स्तालिन की सनातन धर्म पर की गई,अनुचित टिप्पणी को सही ठहराने की कोशिश की। अभी तक किसी भी सियासी दल के नेता ने मंत्री उदयनिधि स्तालिन के वक्तव्य का विरोध करने की आवश्यकता नहीं समझी।
कुछ समय पहले केरल के मलप्पुरम में ‘जमात-ए-इस्लामी’ की युवा शाखा सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेण्ट की फलस्तीनियों के समर्थन में आयोजित रैली में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘हमास’ नेता खालिद मशाल द्वारा ‘वर्चुअल’तरीके से न सिर्फ सम्बोधित किया,बल्कि सम्बोधन वाले फुटेज में ‘बुल्डोजर हिन्दुत्व’ और ‘नस्लभेदी यहूदीवाद’को उखाड़ फेंको का पोस्टर भी प्रदर्शित किया। इस सभा में राष्ट्र विरोधी और हिन्दू विरोधी नारे भी लगे। इस रैली ने भी इस्लामिक कट्टरपंथियों के असल मकसद का पर्दाफाश कर दिया,कि वे भारत को इस्लामिक मुल्क बनाना चाहते हैं। केरल में चाहे वामपंथी गठबन्धन की सरकार हो या फिर काँग्रेस के नेतृत्व वाले गठबन्धन ‘यूडीएफ की सरकार। इनके रहते राष्ट्र विरोधी और हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ होना आम बात है। इनके कारण इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘पीएफआई’लगातार विस्तार पा रहा था, जिसका मकसद 2047 भारत में ‘गजवा-ए-हिन्द’/दारूल इस्लाम/शरीयत की हुकूमत कायम करना था। इसे अब केन्द्र सरकार ने 5साल के लिए प्रतिबन्धित कर दिया है। यहाँ राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों की हत्या आम बात है। केरल में एक ईसाई स्कूल टीचर की हथेली ये कट्टरपंथी काट चुके हैं,जिसने कक्षा में पढ़ाते समय इस्लाम/पैगम्बर साहब के बारे में कुछ कहा। केरल उच्च न्यायालय इनके द्वारा लव जिहाद के माध्यम से मतान्तरण चिन्ता भी व्यक्त कर चुका है। यहाँ विभिन्न तरीकों से भयभीत/छल करके /प्रलोभन देकर हिन्दुओं को इस्लाम/ईसाई मत में मतान्तरित किया जाता है। इस्लामिक कट्टरपंथियों और ईसाई मिशनरियों के बढ़ते दबदबे के चलते इस राज्य में हिन्दू दोयाम दर्जे का नागरिक बन गया है, जिसकी किसी भी सियासी पार्टी की सरकार में सुनवायी नहीं होती। इस मामले में भी देश के अधिकांश राजनीतिक दल खामोश बने रहते हैं।
अपने देश के सभी राजनीतिक दल देश और जनहित में कार्य करने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन हकीकत में इन सभी एक मकसद/लक्ष्य येन केन प्रकारेण’ सत्ता हासिल करना है। इसके लिए वे कुछ भी करने को तत्पर रहते हैं। ये लोग देश और इन्सानियत के दुश्मनों की हर बेजां कामों से अपनी आँखें मूदें रहते हैं। कश्मीर से लेकर केरल तक ये इस्लामिक कट्टरपंथियों के भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने के लिए की जारी कोशिशों को बराबर नजरअन्दाज करते आए हैं। जो व्यक्ति अपने देश की सुरक्षा, स्वतंत्रता, अखण्डता की अक्षुण्णता के लिए चिन्ता व्यक्त करता है, उसे ये लोग हिन्दू कट्टरवादी कहकर बदनाम करते हैं। इसके विपरीत देश को खण्डित करने वाला और हिन्दू समुदाय के खिलाफ कार्य करने वाला पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्र का हिमायती ही नहीं,इन्हें वह इन्सानियत पसन्द भी नजर आता है। वैसे हकीकत यह है कि जब तक देश और हिन्दू समुदाय सुरक्षित और बहुसंख्यक है, तभी तक इस देश में लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता अक्षुण्ण है। इस सच्चाई को सत्ता की चाहत रखने वाले जितना जल्दी समक्ष जाएँ, उतना ही उनके और देश के लिए अच्छा रहेगा।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0104538
This Month : 10052
This Year : 41831

Follow Me