डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में केरल के मलप्पुरम में ‘जमात-ए-इस्लामी’ की युवाशाखा सालिडेरिटी यूथ मूवमेण्ट की फलस्तीनियों के समर्थन में आयोजित रैली में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘हमास’ नेता खालिद मशाल द्वारा ‘वर्चुअल’तरीके से न सिर्फ सम्बोधित किया,बल्कि सम्बोधन वाले फुटेज में ‘बुल्डोजर हिन्दुत्व’ और ‘नस्लभेदी यहूदीवाद’को उखाड़ फेंको का पोस्टर भी प्रदर्शित किया। इस सभा में राष्ट्रविरोधी और हिन्दू विरोधी नारे भी लगे। इस रैली ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के असल मकसद का पर्दाफाश कर दिया,कि वे भारत को इस्लामिक मुल्क बनाना चाहते हैं। इस आयोजन को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने केरल सरकार की विफलता और भारत में हिन्दुत्व को चुनौती देना गम्भीर चिन्ता का विषय बताया।केरल में चाहे वामपंथी गठबन्धन की सरकार हो या फिर काँग्रेस के नेतृत्व वाले गठबन्धन ‘यूडीएफ की सरकार के रहते राष्ट्रविरोधी और हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ होना आम बात है।इनके कारण जैसा इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘पीएएफआई’लगातार विस्तार पा रहा था,जिसका मकसद 2047भारत में ‘गजवा-ए-हिन्द’/दारूल इस्लाम/शरीयत की हुकूमत कायम करना था।इसे अब केन्द्र सरकार ने 5साल के लिए प्रतिबन्धित कर दिया है।यहाँ राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों की हत्या आम बात है।यहाँ विभिन्न तरीकों से भयभीत/छल करके /प्रलोभन देकर हिन्दुओं को इस्लाम/ईसाई मत में मतान्तरित किया जाता है। इस्लामिक कट्टरपंथियों और ईसाई मिशनरियों के बढ़ते दबदबे के चलते इस राज्य में हिन्दू दोयाम दर्जे का नागरिक बन गया है,जिसकी सरकार भी सुनवायी नहीं करती।फिर भी देश के अधिकांश राजनीतिक दल खामोश बने रहते हैं।
अभी विजयदशमी पर बिहार के बेगूसराय में देवी दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के जुलूस पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा पत्थरबाजी की गई, जिससे भड़के दंगे में दंगाइयों ने कई दुकानों और वाहनों को आग लगा दी। इस उपद्रव में कई लोग घायल हुए हैं। इसे शान्त करने में दो पुलिस अधिकारियों समेत छह पुलिसकर्मी घायल हुए है। यहीं पर गम 22 सितम्बर को लाखो थाने के अन्तर्गत खातोपुर में शिव मन्दिर में मूर्ति को खण्डित कर दिया गया,तभी भी दंगा भड़का था। तब स्थानीय सांसद और केन्द्रीय मंत्री गिर्राज सिंह ने आरोप लगाया था कि बार-बार साम्प्रदायिक तनाव भड़काया जा रहा है,जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिवलिंग को खण्डित करने वालों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। वस्तुतःजब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर लालू प्रसाद यादव की राजद से मिलकर सरकार बनायी है,तब से अगर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हौसले कुछ ज्यादा ही बढ़े हुए हैं,तो कोई आश्चर्य नहीं हैं,क्योंकि राजद की सत्ता का रास्ता ही इस समुदाय के पूरे सहयोग से जाता है।
आश्चर्य तो उत्तर प्रदेश में ऐसे तत्त्वों की जेहादी हरकतें देखकर होता है,जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा सरकार का भी कोई भय नहीं है, जबकि विपक्षी राजनीतिक दल ‘बुलडोजर बाबा’ की मुसलमान विरोधी सरकार कह कर उसे बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्नाव जनपद के मुहल्ला दरगाह शरीफ निवासी जावेद ने अचानक भक्तों पर डण्डे से हमला कर दिया। उसमें सेवानिवृत्त कानूनगो कृष्ण कुमार तिवारी और बांगरमऊ के घूरे टोला के मिलन सिंह समेत तीन भक्त गम्मीर रूप से घायल हो गया,जबकि छह अन्य लोगों के भी चोटें आईं। वहाँ मन्दिर परिसर में उपस्थित पी.ए.सी.के जवानों ने लोगों की सहायता से जावेद को पकड़ कर कोतवाली पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद मुस्लिम पक्ष जावेद को मानसिक रोगी बताकर बचाव में जुट गए। जालौन और फतेहपुर में गुरुवार को ईद -ए-मिलादुन्नबी ’पर निकाले गए जुलूस में कई युवा हरे झण्डे और तिरंगा लेकर शामिल हुए।इन तिरंगों में चक्र के स्थान पर कुरान की आयतें लिखी हुईं थीं। इनका वीडियो भी जारी किया। बाद में शुक्रवार को जालौन पुलिस ने अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया,जबकि फतेहपुर के बिन्दकी में शहर काजी मोहम्मद रजा कादरी सहित 50लोगों के विरुद्ध राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करके चार संदिग्ध युवकों को हिरासत में ले लिया। बाद में जालौन में आयतें लिखा तिरंगा भी बरामद कर लिया।
इसी दौरान मुरादाबाद जिले में पिता-पुत्र ने अपने घर की छत पर पाकिस्तानी झण्डा फहरा दिया और किसी ने उस घर पर झण्डे सहित वीडियो प्रसारित कर दिया। जिसके आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घर पर जाकर झण्डा उतारा और पिता-पुत्र को गिरपतार कर जेल भेज दिया। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को सीधी चुनौती नही ंतो क्या है?फिर भी इन्हें खुद को पीड़ित साबित करने में किसी तरह की शर्म महसूस नहीं होती है,क्यों यही तो इनकी रणनीति है।
इसी 25जुलाई को केरल के कासरगोड जिले में काँग्रेस की सहयोगी राजनीतिक पार्टी ‘इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग’(आइयूएमएल)की युवा शाखा आइ.यू.एम.एल. यूथ लीग द्वारा यूसीसी के खिलाफ निकाले जा रहे मार्च के दौरान ‘तुम्हें तुम्हारे मन्दिरों में लटका देंगे? जिन्दा जला देंगे’जैसे हिन्दू विरोधी नारे लगाए गए।तब पुलिस ने 300से अधिक लोगों के खिलाफ साम्प्रदायिक सदभाव बिगाड़ने और साम्प्रदायिक विद्वेष भड़काने के मामला दर्ज किया। इस मामले के बढ़ने पर पार्टी ने कान्हागड के रहने वाले अब्दुल सलाम को दोषी मानते हुए उसे अपने संगठन से निष्कासित करने की घोषणा की थी। उक्त घटना की निन्दा करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय सूचना प्रौ़द्योगिकी प्रभारी अमित मालवीय ने कहा था,‘‘अगर केरल में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की सरकार ऐसे तत्त्वों को समर्थन नहीं रहा होता,तो इस तरह के नारे नहीं लगते।तब उन्होंने पूछा था,‘‘क्या केरलमें हिन्दू-ईसाई सुरक्षित हैं।उन्होंने याद दिलाया कि कुछ ही महीने पाले एक बच्चे ने अपने पिता के कन्धे पर चढ़कर नारा लगाया था कि हिन्दू -ईसाई अपने अन्तिम संस्कार को तैयार रहें।लेकिन काँग्रेस ने जुबान नहीं खोली,क्योंकि आइयूएमएल की मदद से उसके नेता राहुल गाँधी वायनाड संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं,जो मुस्लिम -ईसाई बहुल क्षेत्र है। इनके चुनाव प्रचार के समय भी आइयूएमएल पार्टी के चाँद-तारे वाले हरे रंग झण्डे खूब फहराये गए थे।ऐसे में काँग्रेस की खामोशी समझ आती है।
वैसे यह शोध का विषय है कि भारत जैसे बहुधर्मी और पंथनिरपेक्ष देश में ऐसी संकीर्ण और कट्टर मजहबी विचार इन युवाओं में भरता कौन हैं? फिर इन युवाओं में क्या इतनी समझ नहीं कि ऐसे मजहबी विचार से उन्हें क्या हासिल होगा?क्या इस देश से हिन्दुओं समेत दूसरे सभी धर्मों/सम्प्रदायों को मानने वालों का क्या समूल नाश सम्भव हैं? क्या उनकी हममजहबी मुल्कों में उनके ख्वाबों के मुताबिक लोग सुकून, प्यार-मुहब्बत और अमीरी की जिन्दगी बसर कर पा रहे हैं। अगर इस्लामिक मुल्कों में सबकुछ ठीक-ठाक है,तो यमन, इराक, ईरान, सीरिया, लीबिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में लोग आपस खूनखराबा क्यों कर रहे हैं,जबकि इसके विपरीत भारत समेत यूरोपीय देशों में मुसलमान कहीं ज्यादा आराम से और दूसरे धर्मों के मानने वालों से मिलजुल कर रह रहे हैं।इनसे हमदर्दी रखने वालों को क्या इस हकीकत का पता नहीं है,भारत के लोग और दुनिया जिन्हें हमलावर,हैवान, दहशतगर्द कहते हैं,वे इनके लिए मुजाहिद हैं,जो दुनिया को ‘दारूल इस्लाम’कायम करने में लगे हैं।जब तक कुफ्र-काफिर, जिहाद जैसी अवधारण हैं, तब तक उनके विचार बदलना असम्भव नहीं है।
वैसे सबसे आश्चर्य तो उन सियासी पार्टियों के रहनुमाआें के बर्ताव को देखकर होता है,जो रात-दिन लोकतंत्र, पंथनिरपेक्षता, संविधान, इन्सानियत, मानवाधिकार ढिंढोरा पीटते हैं और संविधान को नष्ट किये जाने का डर दिखाते है, पर एकमुश्त वोट के लालच में ये सभी इस्लामिक कट्टरता पर अपनी आँखें बन्द किये रहते हैं,जो जम्हूरियत का सबसे बड़ा दुश्मन है, जो सह-अस्तित्व को ही नकारता है, ऐसे में उन्हें यह याद रखना चाहिए कि सत्ता तो उन्हें तब मिलेगी,जब वे जिन्दा रहेंगे।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
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