मोदी की ग्रीस यात्रा के गहरे रणनीतिक निहतार्थ
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित ब्रिक्स (ब्राजील,रूस,इण्डिया,चीन,दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में सफल भागदारी और वहाँ से लौटते हुए उनकी ग्रीस(यूनान)की यात्रा करने के गहरे निहतार्थ हैं। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कोई चार दशक साल बाद की यात्रा थी। उनसे पहले श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने ग्रीस की गई थीं। लेकिन इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्साटकिस के बीच द्विपक्षीय वार्ता में रणनीतिक साझीदार बनने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों रिश्ते प्रगाढ़ किये जाने का निर्णय लिया गया। अब दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार दोगुना करने, सुरक्षा सम्बन्धों को मजबूत बनाने और जल्द ही एक दूसरे को जनता को आवागमन और कामकाज में सहूलियतें देने सम्बन्धी समझौता करने का भी फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जहाँ ब्रिक्स की बैठकों में अपनी धमक जमाने के साथ-साथ चीन के पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाने के मंसूबे पर पानी फेर दिया,वहीं ग्रीस के साथ रणनीतिक सम्बन्ध सुदृढ़ कर तुर्किये(तुर्की) को उसकी ही शैली में प्रत्युत्तर दिया, जिसके वर्तमान में ग्रीस से बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। तुर्किये न सिर्फ इस्लामिक मुल्कों का सबसे बड़ा रहनुमा बनने में जुटा है, बल्कि भारत के दुश्मन मुल्क पाकिस्तान का सबसे खास दोस्त और पैरोकार भी बना हुआ है,जो अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर समेत हर मुद्दे पर उसका हिमायत और खुला समर्थन देता आया है । इस अवसर पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ग्रीस और भारत का यह स्वाभाविक मिलन है, क्योंकि दोनों विश्व की दो पुरातन सभ्यता होने के साथ ही विश्व में दो पुरातन लोकतांत्रिक विचारधारा वाले देश भी हैं। हमारे सम्बन्धों की नींव जितनी प्राचीन है,उतनी मजबूती है। हमारे बीच भूमध्य सागर और हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र को लेकर बेहतर तालमेल है। हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं,वहीं ग्रीस के प्रधानमंत्री मित्सोटाकिस ने कहना था कि चालीस वर्षों बाद भारत के प्रधानमंत्री यहाँ आए हैं,लेकिन इस दौरान हमारे रिश्तों की गर्माहट बरकरार रही। हमने फैसला किया रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सम्बन्धों पर ध्यान देकर हम रणनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाएँगे। वस्तुतः हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में जिस तरह चीन का आक्रामक रवैया यहाँ के कई देशों के लिए चिन्ता का कारण है, उसी तरह तुर्किये भी भूमध्य क्षेत्र स्थित ग्रीस को लेकर वैसा रवैया अपनाता है। वैसे जुलाई, 2023में ही तुर्किये और ग्रीस ने उच्च स्तर पर वार्ता का दौर शुरू किया है। भारत और ग्रीस के मध्य नौसैनिक सम्बन्धों का मजबूत करने के साथ सभी तरह से सैन्य सम्बन्धों को मजबूत बनाने पर वार्ता हो रही है। ‘हमने रक्षा-सुरक्षा क्षेत्र के सम्बन्धों के साथ-साथ रक्षा उद्योगों को भी बल देने पर सहमति जतायी। वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
इधर ग्रीस के राष्ट्रपति कटरीना सकालापूलू द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश का दूसरा सबसे बड़े सम्मान ‘ग्रैण्ड क्रास ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ऑनर’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान भारत-ग्रीस साझेदारी की मजबूती का दर्शाता है।यह सम्मान 1975में स्थापित किया गया।यह सम्मान ऐसे प्रधानमंत्रियों और प्रतिष्ठित हस्तियों को प्रदान किया जाता है,जिन्होंने अपने विशिष्ट स्थिति के कारण ग्रीस का कद बढ़ाने में योगदान था। निश्चय ही यह सब देखकर तुर्किये और उसके मित्र चीन को कितनी तकलीफ हुई होगी, इसका अन्दाज लगाना आसान नहीं है।
भू-मध्य सागर के स्थि प्रमुख यद्यपि भारत और ग्रीस के सम्बन्ध सदियों पुराने है, तथापि जहाँ इसका नई दिल्ली में दूतावास मई, 1950 में स्थापित हुआ, वहीं भारत ने अपना दूतावास एथेन्स में मार्च, 1978 कायम किया था। दोनों देश के प्रमुख नेता एक-दूसरे के मुल्कों की यात्राओं पर आते-जाते रहते हैं। सन् 1985 मेंं ग्रीस दिल्ली में आयोजित ‘परमाणु निरस्त्रीकरण पर ‘छठवीं राष्ट्रीय दिल्ली घोषणा’ में भाग लिया था। अप्रैल,2007को राष्ट्रपति ए.पी.जे.कलाम ने ग्रीस की यात्रा की। इसके पश्चात् जनवरी,2008में ग्रीस के प्रधानमंत्री कोस्टास करामानलिस भारत पधारे।
इण्डो ग्रीक साम्राज्य जिसे ऐतिहासिक रूपसे(यवन राज्य) के रूप में जाना गया है,एक हेलेनिस्टिक युग का ग्रीक साम्राज्य था,जो आधुनिक अफगानिस्तान,पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत के विभिन्न हिस्सों शामिल थे।यह साम्राज्य ईसा पूर्व से अस्तित्व में था। 200ईसा पूर्व में साम्राज्य युग की शुरुआत तक। था। भारत पर यूनानी आक्रमण 326ईसा पूर्व अलेक्जेण्डर महान के शासनकाल में हुआ था,जबकि सिन्ध नदी को पार कर पंजाब की ओर बढ़ा था।फिर उसके झेलम और चिनाब नदियों के मध्य के राज्य के शासक राजा पोरस ने चुनौती दी। सिकन्दर की मृत्यु के बाद मैसेडोनियन साम्राज्य चार हिस्सों में विभाजित हो गया। साम्राज्य के पूर्वी हिस्से का नेतृत्व उनके जनरल सेल्यूकस प्रथम निकेटर ने किया था,जिन्होंने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूसिड चन्द्रगुप्त मौर्य युद्ध लड़ा था।वह चन्द्रगुप्त से बुरी तरह पराजित हुआ। एक शान्ति सन्धि में सेल्यूसिड ने साम्राज्य के उन क्षेत्रों को सौंप दिया,जिनमें काबुल और कन्धार सम्मिलित थे।उसने अपनी बेटी का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया था। ग्रीस/यूनान भू-मध्य सागर के तट बल्कान प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है। इसका क्षेत्रफल- 1,31,990 वर्गकिलोमीटर और राजधानी एथेन्स है। इसकी जनसंख्या 1,13,06,183 से अधिक है,जो ईसाई धर्म मानते हैं और ग्रीक/यूनानी भाषा बोलते हैं। यहाँ की मुद्रा यूरो है।
यह देश सन् 1829 में स्वतंत्र हुआ था। प्राचीन काल में ग्रीस लोकतंत्र, शिक्षा और संस्कृति का केन्द्र था। यह ईसा पूर्व पहली शताब्दी में राजनीतिक दृष्टि से एक स्वाधीन देश था। इसी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रोमन सत्ता ने यूनान के राज्यों को अपने अधीन कर लिया। बाद में ग्रीस/यूनानी बाइजैण्टाइन और ओटोमन साम्राज्य की अधीनता में सन् 1830 ईस्वी तक रहे। जब ग्रीस एक राजतंत्र के रूप में स्वाधीन हो गया। अनेक उतार-चढ़ाव के बाद सन् 1974 में राजतंत्र का उन्मूलन हो गया और तब से ग्रीस एक गणराज्य है।
कुल क्षेत्र के एक तिहाई भाग में अनेक प्रायद्वीप हैं जिसमें से क्रेटे सबसे बड़ा है। ग्रीस एवं यूगोस्लाविया के पूर्व गणतंत्र मेसीडोनिया के बीच सन् 1995 में में सम्बन्धों को सामान्य करने के समझौते के साथ ही तनाव समाप्त हो गया। यद्यपि अभी हाल तक यूनान एक कृषि प्रधान क्षेत्र था,तथापि अब वहाँ अनेक प्रकार के उद्योग विकसित हो गए हैं।यूनान के पास व्यापारिक पोतों का विशाल बेड़ा है। पर्यटन ग्रीस का सबसे बड़ा उद्योग है। यहाँ बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं,जो बैंकों,बीमा कम्पनियों,बहुराष्ट्रीय कम्पनियों,निर्माण कार्यों,फार्मों,सॉपटवेयर कम्पनियों,व्यापार आदि कार्यों में लगे हुए हैं।
भारत और ग्रीस के मैत्री सम्बन्धों की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ये दोनों देशों ने विश्व में लोकतंत्र, शान्ति और विकास, न्याय और समानता के सिद्धान्तों से युक्त सामाजिक व्यवस्था के प्रति साझा प्रतिब़द्धता पर आधारित मधुर सम्बन्ध विकसित किये हैं। भारत और ग्रीस संयुक्त राष्ट्र सुधार तथा साइप्रस जैसे अन्तरराष्ट्रीय मुद्दों पर समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ग्रीस यात्रा के गहरे रणनीतिक निहतार्थ समझना दुष्कर नहीं है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
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