डॉ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनो जब कोरोना विषाणु से देश और दुनियाभर के देषों में महामारी लगातार फैल रही है, उससे संक्रमित होकर लोग हजारों की तादाद में बेमौत मार रहे हैं। इस कारण विश्वभर में त्राहि-त्राहि मची है। इसे लेकर दुनियाभर के मुल्क उससे अपने लोगों की जान बचाने में लगे हैं, ऐसे भयावह हालात में दिल्ली के निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज के मौलाना मोहम्मद साद ने जिस तरह देश के सभी कानून को धता बताते हुए दो हजार से अधिक देशी और कई सौ विदेशी जमातियों का जमावाड़ा किया, वह कोई अनजाने में की गई भूल नहीं, बल्कि सुविचारित नीति के तहत इस मौलाना और इन जमातियों ने देश के कानून और सरकार को खुले-ए-आम चुनौती दी, यहाँ तक कि वह पुलिस के निदेशों की बराबर अवहेलना करते रहे। फिर अपने खिलाफ मुकदमा दर्जे होते ही गायब हो गए। इससे उनकी मंशा और इरादों का अन्दाज लगाना मुश्किल नहीं। इससे यह भी जाहिर होता है कि ये वे लोग हैं, जो इस मुल्क के कानून से अपने मजहब और शरीयत को ऊपर मानते आए हैं जो यहाँ और पूरी दुनिया के विभिन्न मुल्कों को ‘दारूल हरब’ से उन्हें ‘दारूल इस्लाम’ तब्दील करने का महज ख्वाब नहीं देख रहा, इसके लिए अपनी पूरी ताकत से जीन-जान से जुटा है। यह तब्लीगी जमात कहने को अपने को मजहबी इल्म देने की बात करती है, पर असल में इसकी शिक्षा का इस्लाम की सबसे पाक पुस्तक ‘कुरान’ से भी कुछ खास लेना-देना नहीं है। अगर हकीकत में ये इस्लाम के सच्चे मुजाहिद होते, तो क्या दुनिया भर के लोगों के लिए बेमौत मारने की वजह बनते ? ऐसे में इनके मंसूबों की गहन जाँच बहुत जरूरी है, जिनकी अब तक की हरकतों से पूरे देष में कोरोना विषाणु का संक्रमण फैलाने का सन्देह होता है। इतना ही नहीं, तब्लीगी जमात का इस्लामी दहशतगर्द संगठनों से जुड़ाव का पुराना इतिहास रहा है। वैश्विक संगठन तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबन्धित दहशतगर्द संगठन ‘हरकत -उल-मुजाहिदीन से जुड़ाव का पुराना इतिहास रहा है, जो ‘हरकत-उल-जिहाद अल इस्लामी’(हूजी) से अलग होकर सन् 1985 में गठित हुआ था, इसने अफगानिस्तान से तत्कालीन सोवियत संघ गठबन्धन की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए पाकिस्तान समर्थक जिहाद में भाग लिया था। तब्लीगी जमात की पाकिस्तान और बांग्लादेश स्थित शाखाओं में हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल जिहाद अल इस्लामी,लश्कर-ए-तयैबा, जैश-ए-मुहम्मद जैसे संगठन का जुड़ाव बना रहा है।
इस मरकज से 2363 जमातियों को निकालने में पुलिस को पूरे 36 घण्टे लगे। इन जमातियों में से बड़ी संख्या में लोग ‘कोरोना विषाणु’ संक्रमित पाए गए, जिन्हें विभिन्न अस्पतालों और दूसरी जगहों पर जाँच और इलाज के लिए रखा गया। यहाँ से निकले से कोराना संक्रमित जमातियों की देश के विभिन्न राज्यों में मौतें भी र्हुइं और उनसे बहुत सारे दूसरे लोग संक्रमित भी हुए हैं। अपने को अल्लाह का सच्चा बन्दा बताने वाले इन जमातियों की तलाश में गए पुलिसकर्मियों पर इन्होंने कहीं पत्थर-गोलियाँ बरसायी हैं, तो कहीं इनके इलाज में लगे डॉक्टरों पर थूक कर/गाली-गलौज कर और नर्सों के साथ बदसलूकी की गई है। यहाँ तक कि गाजियाबाद में ये लोग नर्सों के साथ अश्लील हरकतें करने से भी बाज नहीं आए। उ.प्र.के मुजफ्फरनगर, रामपुर, अलीगढ़, शामली, बिजनौर, म.प्र. के इन्दौर, बिहार के जहानाबाद, मधुबनी, झारखण्ड के राँची, महाराष्ट्र के मुम्बई के धारावी, अहमद नगर आदि में जमातियों और इनके जैसी जहनीयत/प्रवृत्ति रखने वालों की काली करतूतों से पूरे देश के लोग अच्छी तरह से वाकिफ हैं। ऐसा लगता इन्होंने कोरोना विषाणु के जरिए भारत को तबाह करने की ठान ली है, तभी तो पहले सीएए के नाम पर आम रास्तों पर दिल्ली के शाहीन बाग सरीखे मजमे लगाकर आम लोगों और सरकार को हैरान-परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही अजमेर शरीफ दरगाह में 10लोगों की शासन से अनुमति लेकर 100से ज्यादा लोगों को दरगाह के समारोह में शामिल करने से लगता है कि उनकी मानसिकता भी जमातियों से बहुत अलग नहीं है।

इस तब्लीगी जमात के आयोजक मौलाना मोहम्मद साद उच्च शिक्षित हैं, वह कोरोना विषाणु के खतरे से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं, उन्हें से इससे बचाने के लिए देशभर में चलाये जा रहे अभियान की भी जानकारी है। इसके बावजूद इस मौलाना ने न केवल गैरकानूनी तरीके से जमातियों का अपने यहाँ जमावड़ा किया, बल्कि उसमें अपनी तकरीरों से जमातियों और बाकी मुसलमानों में सरकार के खिलाफ यह कहकर अविश्वास फैलाने/भरमाने की कोशिश की, वह ‘कोरोना’ के बहाने उन्हें मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोकने की साजिश कर रही है। मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने से कोरोना का असर नहीं होता। अगर इससे मौत आती भी है, तो मस्जिद में मौत होने से अच्छी क्या बात हो सकती है ? कोराना के मामले में मुसलमानों को सिर्फ उन मुसलमानों डॉक्टरों की सलाह माननी चाहिए, जो मस्जिद में सामूहिक नमाज पढ़ने से रोकने की मनाही न करता हो। हालाँकि अब मौलाना मोहम्मद साद अपनी बात से पलट कर डॉक्टरों से इलाज की सलाह दे रहे हैं। तब्लीग जमात सुन्नी मुसलमानों का ऐसा संगठन है, जो चाहता है कि दुनिया भर के मुसलमान वैसे ही रहें जैसे कि पैगम्बर मुहम्मद साहब के समय में रहते थे। माना जाता है कि इस जमात के दुनिया भर में कोई 20 करोड़ सदस्य हैं। सन् 1927 में गठित इस संगठन का मजबूत गढ़ दक्षिण एशिया है, लेकिन करीब सौ से ज्यादा देशों में इसकी पहुँच बताई जाती है। इसकी स्थापना भारत के हरियाणा के मेवात में मुहम्मद इलियास अल कन्धालवी ने की थी। तब्लीगी जमात के छह सिद्धान्त हैं-कलमा, सलाह, इल्म ओ जिक्र, इकराम-ओ-मुस्लिम, इखलाक-ए-नीयत और दवात ओ तब्लीगी। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। इससे विदेश
तक लोग जुड़े हुए हैं। दिल्ली में तब्लीगी जमात का सम्मेलन 13 से 15 मार्च के बीच हुआ, जिसमें दो हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। इनमें 700से 800 तक विदेशी नागरिक थे, जो पर्यटक वीजा लेकर आए थे। उनका मजहबी सम्मेलन में हिस्सा लेना गैरकानूनी था। इसके लिए उन्हें कान्फ्रेंस वीजा लेना चाहिए था। पाकिस्तान में 11 मार्च से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात का बहुत बड़ा जलसा हुआ, जिसमें तकरीबन ढाई लाख लोगों ने हिस्सा लिया, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त की सरकार ने ‘कोरोना’ के बजाए खराब मौसम की वजह से यह जलसा न करने की सलाह दी थी, फिर भी इसका आयोजन किया गया। अब पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के मरीजो की संख्या 1400 से ज्यादा हो गई है। इसमें हिस्सा लेकर लौटे दो फलस्तीनियों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है। ट्यूनिसिया, कुवैत जैसे मुल्क पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण के तार जमात के लाहौर के जलसे से जुड़े हुए है। पाकिस्तान की तरह मलेशिया में ही इस जमात का एक जलसा हुआ। इसमें सोलह हजार लोग शामिल हुए। इनमें बु्रनेई, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया समेत छह दक्षिणी पूर्वी मुल्कों में कोरोना वायरस का प्रसार हुआ है। यही वजह है कि तब्लीगी जमात समूचे एशिया में कोरोना फैलाने वाला सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है। उन्होंने ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी कोरोना के खतरे को नजरअन्दाज करते हुए वहाँ भी सम्मेलन किया, जिसकी वजह सेे वहाँ कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। अब वहाँ 42 हजार जमातियों की तलाश में 52,000 पुलिसकर्मी लगे हुए हैं।
तब्लीग जमात का कथित मकसद और उसकी प्रसांगिकता भी विचारणीय है, इनके जरिए दुनिया और इन्सानों को कितना भला होगा, वह इनकी गतिविधियों से ही स्पष्ट है। हैरानी की बात यह है कि तब्लीगी जमात के इतने खतरनाक इरादे जानते हुए अब देश में इसकी गहन जाँच की बहुत जरूरी है, ताकि देश को भविष्य में इनकी विध्वंसक गतिविधियों से बचा जा सके।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधीनगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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