डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में भोपाल के टीला जमालपुरा में एक हिन्दू युवक विजय रामचंदानी गले में उसी की बेल्ट का पट्टा डाल कर मुस्लिम युवक बेहद बहशी तरीके उसे पीट रहे थे,जबकि वह उनकी पिटाई और जान बचाने के लिए अपना धर्मपरिवर्तन कर मियाँ भाई बनने की तक मिन्नतें कर रहा था,फिर भी वे दरिन्दें उस पर जरा भी रहम नहीं खा रहे थे। अगले दिन इसी शहर के रोशनपुरा की 60 वर्षीय मूलतः छत्तीसगढ़ की जनजातीय मजदूर विधवा, निःसंतान महिला चन्द्रिका बाई को अपनी झोपड़ी छोड़ने और ऐसा न करने पर मुस्लिम युवकों द्वारा जान से मारने धमकी दिये जाने की डर से अपनी झोपड़ी में नहीं जा पा रही। इतनी गम्भीर घटना को भी भोपाल के कलेक्टर जनसुनवाई के समय स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई करने के बजाए उसे थाने भेज दिया, जहाँ ज्यादातर मामलों की तरह उसके आवेदन को थाने की रद्दी की टोकरी में डाल दिया। फिर जब उस महिला ने बजरंग दल के पदाधिकारियों को अपनी दस्तां सुनायी, तब जाकर कही पुलिस चेती। इन लौमहर्षक घटनाओं को देखकर पाकिस्तान और हिन्दुस्तान का भेद मिट जाता है, जहाँ आए दिन हिन्दुओं की नाबलिग बेटियों का इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा अपहरण कर इस्लाम कुबूल कराके उनका निकाह उनकी उम्र से कई गुना अधिक किसी शख्स कर दिया जाता है। जहाँ हिन्दुओं पर हुए इस जुल्मों की सुनवाई पुलिस-प्रशासन से लेकर अदालतों में भी नहीं होती । भोपाल की इतनी बड़ी घटना पर देश भर के कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दलों के नेता, वामपंथियों, मानवाधिकारों के प्रहरियों, मुस्लिमों, शायरों/कवियों, अभिनेता, अभिनेत्रियों, निर्देशकों, लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों में हमेशा की तरह खामोश हैं, वैसे इन्हें ही देश में अल्पसंख्यक डरे/सहमे/ भयभीत, उनके साथ हर जगह भेदभाव और जुल्म होता नजर आता है।
अफसोस की बात है कि अपने देश में मध्य प्रदेश वह राज्य हैं,जहाँ कई दशकों से राष्ट्रवादी, हिन्दुत्ववादी और अब धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम/ मतान्तरण विरोधी अधिनियम से सुसज्जित भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, फिर उसकी सरकार के रहते हिन्दुओं के उत्पीड़न और उनका मतान्तरण का खुला खेल जारी है, पुलिस-प्रशासन को अपनी सरकार के सम्मान की कतई चिन्ता नहीं है। यदि ऐसा नहीं होता, तो क्या दमोह में ‘गंगा-जमना इंग्लिश मीडिया स्कूल में सालों से मतान्तरण होता रहता, जहाँ छात्राओं को हिजाब पहनाया जाता था। उनसे इस्लामिक प्रार्थना,जुम्मे का नमाज करायी जाती।यहाँ तक उसकी प्रधानाचार्य और शिक्षकाओं ने भी धर्मान्तरण किया हुआ था, सम्भव है उन्होंने नौकरी के प्रलोभन में ऐसा किया हो। इसके खुलासे के बाद भी शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी इस स्कूल के संचालकों का बचाव में उन्हें क्लीनचिट दे रहे थे। आखिर क्यों?यह दुस्साहस उनमें आया कैसे? यह सवाल मौजूं है।
इसी21जून को ही म.प्र.के समाचार पत्रों में जबलपुर की हिन्दू महिला को मुस्लिम शख्स ने नौकरी के बहाने उसे भोपाल ले गया,जहाँ उसके साथ कई दिनों तक दुष्कर्म किया। उससे कलमा पढ़वाया गया। उसे गौमांस खिलाकर इस्लाम कुबूलने को मजबूर किया गया। उस महिला की शिकायत भी पुलिस हिन्दू धर्म सेना के पदाधिकारियों के दबाव में सुनी।
अब आते हैं जमालपुरा की हिन्दू युवक विजय रामचंदानी के साथ हुए हादसे पर। जो पहले इसी मुहल्ले में रहता था।उसका परिवार इन मुस्लिम युवकों के उत्पीड़न के कारण तीन माह पहले अपना घर बेचकर दूसरे मुहल्ले में रहने को मजबूर हुआ है। इस घटना से पहले नौ मई को विजय रामचंदानी के साथ मारपीट कर उसे इस्लाम कुबूलने को दबाव बनाया,लेकिन जब वह जमालपुरा के थानाप्रभारी अनुराग लाल ने हँसी उड़ाकर भगा दिया था।अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के आदेश पर पीड़ित युवक की शिकातय छल लोगों के खिलाफ अपहरण,मारपीट समेत अन्य धाराआें में प्राथमिकी दर्ज तीन आरोपियों मोहम्मद समीर,फैजान लाला और साहिल बच्चा को गिरपतार कर लिया है। इनके अवैध रूप से बने घरों को ध्वस्त करा दिया गया है। थाना प्रभारी अनुराग लाल को लाइन हाजिर कर दिया है।
दो माह पहले भी मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोध दस्ते द्वारा कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन‘ हिज्ब-उल-तहरीर’(एचयूटी)के सदस्यों को गिरपतार कर उसके मतान्तरण कराके युवकां को अपने ही देश के खिलाफ हथियार उठाने को तैयार करने के षड्यंत्र का जैसा खुलासा किया है, वह फिल्म बहुत कुछ ‘द केरल स्टोरी’ सरीखा बेहद चौंकाने वाला और खौफनाक है। फर्क बस इतना है कि ‘द केरल स्टोरी’ में जहाँ हिन्दू और ईसाई युवतियों को बरगला कर मतान्तरित कर उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथी दहशतगर्द संगठन ‘आइएसआइएस’ में सम्मिलित होने को भेजा जाना दर्शाया गया है, वहीं यह संगठन पहले हिन्दू युवकों का धर्म परिर्वतन कराके उस के बाद उनकी पत्नियों और बच्चों को इस्लाम कुबूल कराता आया है। निश्चय ही इस नए इस्लामिक दहशतगर्द संगठन के सामने आने पर केन्द्र सरकार को भी झटका लगा होगा, जो ‘पापुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’(पी.एफ.आई.)पर पाँच साल के लिए प्रतिबन्धित लगाने के बाद मुल्क के लोगों को महफूज महसूस कराने में लगी हुई है, जिसका इरादा आगामी 2047तक भारत को ‘दारुल इस्लाम’ में तब्दील करने का है। लेकिन हकीकत यह है कि ये इस्लामिक कट्टरपंथी अब भी खामोश नहीं हैं, देशभर में अपने खूनखराबे की वारदातों से अपनी मौजूदगी दर्ज करते रहते हैं।
हिज्ब-उल-तहरीर’(एचयूटी) को पहले‘तहरीक-ए-खिलाफत’ के नाम से जाना जाता था।यह संगठन दुनिया के 50 मुल्कों में फैला हुआ है। इसका मकसद दुनियाभर में जम्हूरियत/लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की जगह इस्लामिक शरिया कानून लागू करना है या कहें हर जगह ‘दारुल इस्लाम’ या ’खलीफा की हुकूमत’ कायम करना है। वैसे ‘हिज्ब-उल-तहरीर’ पर कोई 16मुल्कों की सरकार ने पाबन्दी लगायी हुई है। इससे जुड़े सदस्यों पर अब तक की यह सबसे बड़ी पुलिस कार्रवाई है। मध्य प्रदेश एटीएस ने भोपाल से 10,छिन्दवाड़ा से 1 और हैदराबाद से 5सदस्यों को गिरपतार किया है। यह संगठन गैर मुसलमानों का धर्म परिवर्तन/मतान्तरित कराता आया है। ये तो वे घटनाएँ हैं, जो किसी तरह प्रकाश में आ गई, लेकिन ऐसे तमाम मामलों में पुलिस-प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए लोगा खामोश रहने में अपनी भलाई समझते हैं।इसलिए राज्य सरकार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त आदेश देने चाहिए कि इस्लामिक कट्टरपंथियों के उत्पीड़न के मामले में जरा-सी भी ढिलाई न बरतें।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा -282003 मो.नम्बर-9411684054
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