कार्यक्रम

भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि थे योगीराज देवराह बाबा महाराज : योगीराज देवदास महाराज

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।यमुना पार स्थित देवराह बाबा समाधि स्थल पर चल रहे ब्रह्मर्षि योगी सम्राट देवराह बाबा के त्रिदिवसीय 33 वें योगिनी एकादशी वार्षिक पुण्यतिथि महोत्सव के दूसरे दिन बाबा महाराज की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही देवराह बाबा आश्रम की ओर से ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में बाबा महाराज की पावन स्मृति में भव्य फूल बंगला बनाया गया और ठाकुर जी को 56 भोग निवेदित किए गए।
इस अवसर पर भक्तों-श्रृद्धालुओं को अपने आशीर्वचन देते हुए योगीराज देवदास महाराज (बड़े सरकार) ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव युग पुरुष योगीराज देवराह बाबा महाराज भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि थे।उन जैसा चमत्कारी संत पृथ्वी पर कभी कही पैदा नहीं हुआ।उनकी उम्र का कुछ पता नहीं चलता। प्रमाणों के आधार पर उनकी उम्र कोई 100 वर्ष, कोई 700 वर्ष तो कोई 2000 वर्ष बताता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि ब्रह्मलीन देवराह बाबा महाराज कभी अन्न ग्रहण नहीं करते थे। योग,वायु और यमुना जल ही उनका आहार था।बाबा महाराज का कहना था कि उनका जन्म गर्भ से नही बल्कि जल से हुआ है।वे खुद को यमुना पुत्र मानते थे।मैं सौभाग्यशाली हूं जो मुझको कई बार उनके दर्शन करने का सौभाग्य मिला। मुझ पर उनका अपार स्नेह था।उनके प्रमुख अनुयायी शैलजाकांत मिश्रा, उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के द्वारा बाबा महाराज की स्मृति रक्षा के लिए जो अनेक कार्य किए जा रहे है वे अति प्रशंसनीय हैं।
प्रख्यात भजन गायक नंदू भैया ने कहा कि ब्रह्मलीन देवराह बाबा महाराज में भूत, भविष्य और वर्तमान का आंकलन करने की अद्भुत क्षमता थी।वो त्रिकाल दर्शी थे।उन्होंने अपना शरीर यौगिक क्रिया के द्वारा त्यागा था। इसकी घोषणा उन्होंने 5 वर्ष पहले कर दी थी।उनका निधन आज के ही दिन सन 1990 की आषाढ कृष्ण एकादशी को हो गया।और वे महासमाधि में लीन हो गए।
महंत शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन देवराह बाबा महाराज में योग,भक्ति,वेदांत और ज्ञान आदि का अद्भुत समावेश था। वो सन 1986 से आजीवन वृंदावन में यमुना किनारे पर 12 फुट ऊंचे मचान पर रहे। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गाय बछड़ा एवं श्रीमती इंदिरा गांधी को चुनाव चिह्न हाथ का पंजा उन्हीं ने दिया था।वो भक्तो के सिर पर पैर रख कर उनको अपना आशीर्वाद देते थे।
महोत्सव में विभिन्न प्रांतों से आए असंख्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

About the author

Rekha Singh

Add Comment

Click here to post a comment

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0107400
This Month : 2721
This Year : 44693

Follow Me