नाट्य पितामह राजेन्द्र रघुवंशी जन्मशताब्दी समापन समारोह
शताब्दी वर्ष का समापन समारोह में,स्मृतिग्रन्थ सांस्कृतिक योद्धा का विमोचन,योगदान को किया नमन।
आगरा 21मई। अन्ततः रविवार को सूरसदन में बहुप्रतीक्षत राजेन्द्र रघुवंशी जन्मशताब्दी वर्ष समापना समारोह का समापना हो ही गया। इस अवसर पर उनके जीवन संघर्ष के विविध पक्षों पर आधारित राजेन्द्र रघुवंशी स्मृति ग्रन्थ सांस्कृतिक योद्धा की अभिनव यात्रा’ सम्पादक-मधुर अथैया तथा ‘नाट्य पितामह राजेन्द्र रघुवंशी’ स्मारिका सम्पादक-दिलीप रघुवंशी का विमोचन किया गया। इसमें साहित्यिक सांस्कृतिक और रंगमंच क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गज सम्मिलित हुए। विख्यात रंगकर्मी राजेन्द्र रघुवंशी को एक युग बताया। इस दौरान सांस्कृतिक कर्मियों ने भावपूर्ण प्रस्तुति दी। दिलीप रघुवंशी ने उनके व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डाला। कुमारी रुद्रा रघुवंशी तथा जय कुमार ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर वृत्त चित्र (डाक्यूमेण्ट्री)फिल्म के माध्यम से ‘नाटक नहीं रुकेगा’ का प्रदर्शन किया,जिसका लेखन तथा निर्देशन दिलीप रघुवंशी द्वारा किया गया। इस लघु फिल्म में राजेन्द्र रघुवंशी के जीवन संघर्ष की झांकी को दर्शाने का उन्होंने यथा सम्भव प्रयास किया गया था। जम्मू से पधारे इप्टा के कलाकार लकी गुप्ता अभिनीत एकल नाटक ‘ माँ, मुझे टैगोर बना दे’ की भावपूर्ण प्रस्तुति ने मनमुग्ध कर दिया। इस नाटक के जरिए एक निर्धन बच्चे को तमाम अभावों और उनसे जूझते हुए आगे बढ़ने की जदोजहद को दिखाया गया। इस नाटक के माध्यम से श्री गुप्त ने अपने क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमन्दों की मदद करने का पैगाम भी दिया। सांस्कृतिक कर्मी परमानन्द शर्मा, भगवान स्वरूप योगेन्द्र, असलम खान, सुनीता धाकड़, अलका धाकड़, भानुप्रिया धाकड़,निहारिका धाकड़ा, ग्रेशमा धाकड़, संजय सिंह, अर्चना सारस्वत ने प्रस्तुतियाँ दीं। इससे पहले गोवर्धन होटल में आयोजित प्रथम सत्र में ‘इप्टा इतिहास की प्रतिध्वनियाँ और भविष्य का रंगमंच’ विषयक संगोष्ठी में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ.रामवीर सिंह ने राजेन्द्र रघुवंशी की जिजीविषा का स्मरण किया। ‘भारतीय जननाट्य संघ’(इप्टा)के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने उनके व्यक्तित्व को याद किया। इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र(डाल्टनगंज) कहा कि हमारे पुरखे कहीं नहीं जाते,हमे जब आवश्यकता होती है,तो वे मशाल के रूप में हमारे साथ होते हैं। अलवर से पधारे प्रोफेसर शम्भूनाथ ने कहा कि इतिहास की प्रतिध्वनियाँ सदैव मार्गदर्शन करती है। संचालन डॉ.सर्वेश जैन(अलवर) ने किया। द्वितीय सत्र में ’राजेन्द्र रघुवंशी की सृजनशीलता और उनकी यादें’ विषयक कार्यक्रम पर फिल्म अभिनेता अंजन श्रीवास्तव ने विस्तार से बताया। समाजसेवी अरुण डंग ने रघुवंशी जी के साथ गुजारे वक्त का याद किया संचालन हरीश चिमटी और आभार डॉ.ज्योत्स्ना रघुवंशी ने किया। जन्मशताब्दी समापन समारोह का समापन का राजेन्द्र रघुवंशी द्वारा लिखित गीत‘ बाधक हों, तूफान बवण्डर, नाटक नहीं रुकेगा। नाटक नहीं रुकेगा साथी, नाटक नहीं रुकेगा’से हुआ। इस समारोह में बड़ी संख्या में शहर और दूसरे नगरों से पधारे लोग भी सम्मिलित हुए।
मध्य प्रदेश आगरा । टेलीविजन और फिल्म दुनिया के मंझे हुए चरित्र और हास्य अभिनेता अंजन श्रीवास्तव ने शहर की गतिविधियों को तोल कर ऐसा बोला कि नाट्य पितामह राजेन्द्र रघुवंशी के जन्मशताब्दी समापन समारोह में चिन्तन-मन्थन करने आए प्रबुद्धजन भी हैरान रह गए। उनके शब्दों में वेदना के साथ-साथ शहर से लगाव झलक रहा था। युवा पीढ़ी के नाट्य विधा के द्वार खोलते हुए उन्होंने कई बार रिश्तों की दुहाई भी दी। दूरदर्शन के चर्चित धारावाहिक ‘वागले की दुनिया’ के हीरो ओर जन्मशताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि अंजन श्रीवास्तव अपनी अभिनया यात्रा और स्वर्गीय राजेन्द्र रघुवंषी से पहली मुलाकात को याद कर भावुक हो गए। उन्हें लग रहा था । बहुत खास है आगरा। प्राचीन और गौरवशाली इतिहास समेटे इस शहर ने अब साहित्यिक और नाट्य गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी न के बराबर रह गई है,जबकि इस शहर ने एक से बढ़कर एक साहित्यकार,पत्रकार, कवि और रंगकर्मी दिये हैं।अंजन श्रीवास्तव के अनुसार फिल्मी दुनिया में आए बदलाव और ओटीटी जैसे प्लेटफार्मां की सहजता ने नए लोगों के लिए अवसर बढ़े हैं। अब किसी का इन्तजार नहीं करना है,प्रतिभा है तो सब कुछ आपके हाथ में है। प्रदेश में नौजवानों में रंगकर्म के प्रति रुचि कम हो रही है।
पत्रकारिता, लेखन,काव्य,नाटक पेशा नहीं, लोगों का जगाने का जरिया था राजेन्द्र रघुवंशी के लिए

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