डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में उत्तरी-पूर्वी अफ्रीकी देश सूडान में सत्ता के लिए सेना प्रमुख अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और अर्द्धसैनिक बल रैपिड सर्पोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो ‘हेमेदति’ के मध्य राजधानी खारतूम और दूसरे इलाकों में खूनी जंग छिड़ी है, जो पहले सत्ता में साझेदार थे, किन्तु अब इन दोनों में वर्चस्व की जंग छिड़ गई है। इन दोनों के बीच महीनों के तनाव के बाद यह संघर्ष हुआ है।इससे देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए राजनीतिक दलों के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थित समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी हो रही है। जहाँ एक ओर आर एसएफ ने दावा किया कि उसने राष्ट्रपति भवन, सेना प्रमुख के आवास और खार्तूम अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कब्जा कर लिया है,वहीं सेना का कहना है कि वह मजबूती से लड़ रही है। इस बीच दोनों ओर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं। सेना ने आरोप लगाया है कि आरएसएफ वायु सैनिक हवाई अड्डों पर हवाई हमले कर रही है, दूसरी तरफ आरएसएफ का कहना है कि सेना पहले हमला किया था। इसने उत्तरी शहर मेरोवे और अल-ओबिड स्थित हवाई अड्डों पर भी नियंत्रण कर लिया है। अगर यह जंग अधिक दिनों तक यों ही चलती रही है तो उस स्थिति में यहाँ कभी भी गृहयुद्ध शुरु होने की प्रबल आशंका बनी हुई है, जबकि वर्तमान में यह मुल्क दुनिया का सबसे निर्धन देश है और इसकी एक तिहाई से अधिक आबादी भुखमरी से ग्रस्त है। अलग-अलग तमाम कबीलों में बँटे सूडानी इन दोनों सैन्य नेताओं के पक्ष-विपक्ष में हथियार उठाने का अंदेशा बना हुआ है। उस स्थिति में विनाशकारी गृहयुद्ध में तब्दील हो सकता है। इनमें अविश्वास की स्थिति यह है कि ईद के मौके पर युद्ध विराम घोषित करने के बाद भी उसका पालन नहीं किया गया।
इसी 15 अप्रैल से शुरु हुई इस जंग अभी तक 400 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी है और कोई पौने चार हजार लोग घायल हुए हैं।इधर विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यू.एच.ओ.)ने कहा कि स्वास्थ्य परिसरों पर अब तक 11हमले हो चुके हैं,उधर यूनीसेफ का कहना है कि संघर्ष में कम से कम नौ बच्चे भी मारे गए हैं।सूडान के बिगड़ते हालत देखते हुए अमेरिका अपना दूतावास बन्द करने पर विचार कर रहा है। इस जंग से तो हर तरह से तबाह हो रहा है,लेकिन इसका असर पड़ोसी मुल्कों पर ही नहीं,बल्कि दुनिया के दूसरे देश भी कहीं न कहीं प्रभावित हो रहे हैं। सूडान सामरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक जल मार्ग लाल सागर का तटवर्ती देश है,इससे विश्व व्यापार भी प्रभावित हो सकता है। इस जंग की वजह से वहाँ रहे हैं,दूसरे देशों समेत भारत के कोई तीन हजार भारतीयों के जीवन को भी आसन्न संकट बना हुआ है। एक भारतीय की मौत भी हो चुकी है। भारत सरकार अपने नागरिकों को वायु मार्ग से सुरक्षित निकालने के लिए कई देशों से चर्चा कर रही है। सूडान के नागरिक भी जंग के दूसरे इलाकों तक बढ़ने के खतरे को देखते हुए पड़ोसी मुल्कों में शरण लेने को पलायन कर रहे हैं। इस भयावह स्थिति को देखते हुए भी कुर्सी हथियाने की इस जंग को खत्म कराने को संयुक्त राष्ट्र संघ, अफ्रीकी एकता संगठन, क्षेत्रीय संगठन ‘आइजीएडी’ ब्लाक,पश्चिमी,खाड़ी के देशों ने संघर्षरत दोनों पक्षों को समझौते की मेज पर लाने की कोशिश की,पर वे नाकाम रहे। इधर कुछ क्षेत्रीय शक्तियाँ अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस जंग को बढ़ावा भी दे रही हैं। अब ये देश आधिकारिक रूप से हिंसा बन्द करने को कह रहे है, लेकिन विशेषज्ञों का विचार है कि मिस्र ‘अल-बुरहान की, तो संयुक्त अरब अमीरात(यू.ए.इ.) आरएसएफ की सहायता कर रहे हैं। वस्तुतः ये दोनों सेना प्रमुख पड़ोसी देशों से युद्ध सामग्री लेने के साथ-साथ अपने सैनिकों के सुदृढ़ीकरण में जुटे हैं। वर्तमान में रूस की वैगनर गु्रप के भाड़े सैनिक भी मौजूद हैं, पर उनकी दिलचस्पी यहाँ सोने की खदानों के दोहन तक सीमित है।
सूडान की इस जंग में उसके पड़ोसी देश लीबिया, सेण्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, इथोपिया, इरिट्रिया आदि देश कुछ राजनीतिक या तो कुछ सैन्य भूमिका निभा सकते हैं। सूडान में राजनीतिक अस्थिरता और अशान्ति के कारण से उसके दस हजार से अधिक नागरिक पलायन कर उसके पश्चिम में स्थित देश चाड में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं। ईस्ट चाड में पहले से चार लाख सूडानी शरणार्थी है। आने वाले समय में सूडान से पलायन करने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
अभी मारे गए लोगों में ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम’(यू.एन.एफ.पी.) के तीन कर्मचारी भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इन कर्मचारियों के मारे जाने की निन्दा करते हुए कहा है कि ये लोग अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह कर रहे थे। खारतूम के पास के शहर ओमडूरमैन और देश के अन्य मोर्चां पर भारी लड़ाई जारी है। दोनों पक्षों ने बख्तरबन्द वाहनों और मशीनगनों को तैनात कर दिया है। वायुसेना की ओर से अर्द्धसैनिक बलों पर हवाई हमले किये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों प्रतिद्वन्द्वी शक्तियों के पास सिर्फ खारतूम में दसियों हजार लड़ाके हैं। सन् 2021में में सूडान में लम्बे समय तक गद्दी सम्हालने वाले तानाशाह उमर हसन अल बशीर का तख्ता पलट हुआ था। तब से यह देश लगातार राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। गत पाँच सालों में दो सत्ता पलट हो चुका है। अब इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पक्षों के बीच संघर्ष लम्बे समय तक जारी रह सकता है। दोनों पक्षों ने कहा है कि बातचीत के इच्छुक नहीं हैं। सूडान के सरकारी टी.वी.चैनल ने अपना प्रसारण बन्द कर दिया है।इस बीच खारतूम में भारतीय दूतावास ने बताया कि मृत भारतीय की पहचान अलबर्ट आगस्टाइन के रूप में हुई है। वे कन्नूर जिले के रहने वाले हैं।
अ सूडान के बारे में भी जान लेते है। यह एक गणतांत्रिक देश है, जो 1 जनवरी, सन् 1956 में स्वतंत्र हुआ। । जहाँ इस देश के बीच से श्वेत नील नदी गुजरती है,जो राजधानी खारतूम के समीप नीली नील नदी से मिलती है। सूडान की आबादी अरबों, नीग्रो तथा अरब और नीग्रों के संकर रक्त के न्यूबियनों की है। सूडान 1956में स्वतंत्र राज्य बना। इसका क्षेत्रफल-18,86,068वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या- 4,31,92,000से अधिक है। यहाँ के लोग इस्लाम, ईसाई, कबायली मजहब मानते है और अरबी, अँग्रेजी, दिनका और नुबियन बोलते हैं। इस देश की मुद्रा दीनार है। इसके 12 उत्तरी प्रान्त अरब मुस्लिम आबादी के हैं जबकि 3 दक्षिणी प्रान्तों में ईसाई और ईश्वर की सार्वभौमिकता में विश्वास करने वालों की है।
‘दी सूडानीज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’(एस.पी.एल.ए.) विगत 16 वर्षों से इस्लामिक अरब प्रभुत्व से ईसाई और ईश्वर की सार्वभौमिकता में विश्वास करने वालों को तीन दक्षिणी प्रान्तों को हटाने के लिए गुरिल्ला युद्ध लड़ रही है। अब तक 15 लाख लोग हिंसा और भुखमरी का शिकार हो चुके हैं। अप्रैल,1997 में सूडान की इस्लामिक सरकार ने दक्षिणी प्रान्तों के विद्रोही गुट से गृहयुद्ध की समाप्ति के लिए शान्ति समझौता किया। इस समझौते के तहत हर चार सालों में इन प्रान्तों के सूडान में बने रहने के लिए जनमत संग्रह होगा। सन् 1998 में सूखा और भयानक भुखमरी की स्थिति बन गई। दक्षिणी सूडान में प्रत्येक 10,000 बच्चों में से प्र्रतिदिन 15बच्चे भुखमरी से मरने लगे । एस.पी.एल.ए. द्वारा एक तरफा युद्ध विराम की घोषणा के बाद संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम’ ने भोजन की आपूर्ति प्रारम्भ की। अगस्त में आदिसअबाबा में शान्ति वार्ता विफल रहीं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारी परिषद् (यू.एन.एच.सी.आर.) ने सूड़ान पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया है। कहा जाता है कि सूडान ने विद्रोहियों पर रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया है।
यहाँ की मुख्य कृषि फसल ज्वार है, जो देश के लोगों का मुख्य भोजन है। अन्य कृषि पदार्थों में लम्बे रेशे की कपास, मूंगफली, तिल, खजूर, खाल और चमड़ा, लाल मिर्च, फलियाँ और मक्का शामिल है। सूडान संसार में अरबी गोंद का मुख्य उत्पादक है। चावल, मूंगफली, काफी, गन्ना और तम्बाकू कृषि उत्पादन के नई उपज है । सूडान की खनिज सम्पदा में तांबा, सोना, लोहा, मैंगनीज और मेंगनेसाइट सम्मिलित हैं। अफसोस यह है कि भुखमरी से ग्रस्त इस देश में सत्ता लूटने के खेल में मस्त इन दोनों सैन्य बलों को अधिकारियों अपने लोगों के जीवन और देश हित की कतई परवाह नहीं है। फिर भी सत्ता के भूखे इन भेड़ियों को किसी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ने कायदे से लाताड़ा नहीं है,जबकि इनकी जंग से कई देश प्रभावित हो रहे हैं।
अब विशेषज्ञों के अनुसार सूडान में चल रहे इस सत्ता संघर्ष में जहाँ अब्देल फत्तेह अल बुरहान की सेना अधिक शक्तिशाली बतायी है, वहीं मोहम्मद हेमेदति हमदान के अर्द्धसैनिक बल के जवान शहरी युद्ध के विशेषज्ञ हैं। अब देखना यह है कि विभिन्न विकट समस्याओं से ग्रस्त सूडान को इस गृहयुद्ध की आग से बचाने को कौन आगे आता है?अगर इस जंग को जल्दी ही नहीं रोका गया,तो उसके दुष्परिणाम भारत समेत दुनिया के दूसरे मुल्कों को झेलने पड़ेंगे।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
Add Comment