भ्रष्टाचार

आगरा नगर निगम के सौलर ऊर्जा संयंत्र घोटाले पर यह कैसी खामोशी?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

आगरा नगर निगम में उत्तर प्रदेश के दूसरे सरकारी विभागों की तरह अपरमित भ्रष्टाचार व्याप्त है, जहाँ जन्म प्रमाण से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र लेने से समेत कोई भी काम चपरासी से लेकर अधिकार की जेब गर्म किये बगैर कराना असम्भव है। एक ओर अधिकारी दलाली/कमीशनखोरी के लिए बजट का दुरुपयोग कर रहे हैं,वहीं इस कारण नगर निगम को वित्तीय हालत खराब हो रही है। नगर निगर के सभी निर्माण कार्यों में अधिकारी दलाली खाए बिना कुछ नहीं करते। ऐसे ही एक मामला नगर निगम में आनग्रिड सोलर सिस्टम की लगाए जाने का है।नगर निगम हर माह अपने कार्यालय में विद्युत उपभोग के लिए ढाई लाख से तीन लाख रुपए का बिल विद्युत आपूर्ति कर्ता संस्था ‘टोरेण्ट पॉवर’ को भुगतान करती है।इस धन राशि को बचाने के लिए नगर निगम में अपना ‘सौर ऊर्जा संयंत्र’(सोलर सिस्टम) लगाने पर विचार किया गया। इसके लिए लखीमपुर खीरी की ‘अर्थव एण्टरप्राइजेस’को लगाने का प्रस्ताव दिया।लेकिन इस संयंत्र को लगवाने के बदले/एवज में घूस में अधिक धनराशि वसूलने के लिए अधिकारियों ने नगर निगम को जितनी विद्युत की आवश्यकता है उससे ज्यादा का सौर ऊर्जा संयंत्र लगवा लिया। गत 14जुलाई,सन् 2020नगर निगम की छत पर 1.62करोड़ रुपए से अथर्व इण्टरप्राइजेज,लखीमपुर खीरी द्वारा 325 किलोवाट का आनग्रिड सोलर संयंत्र गया,जिसका भुगतान भी कर दिया गया। इस सोलर सिस्टम से 100 किलोवाट बिजली की आपूर्ति नगर निगम की होनी थी और शेष 225 किलोवाट बिजली टोरण्ट को दी जानी थी। फिर भी 32महीने तक संयंत्र का इस्तेमाल तक नहीं किया। इस कारण नगर निगम को एक करोड़ से अधिक का बिजली का बिल भुगतान करना पड़ा है। अगर यह सिस्टम शुरू हो गया होता,तो नगर निगम कोएक करोड़ रुपए का बिजली का खर्चा बच जाता और बिजली के अतिरिक्त उत्पादन को टोरेण्ट विद्युत कम्पनी को बेचने से एक करोड़ रुपए से अधिक की कमाई भी होती।
वर्तमान में नगर निगम की छत पर लगे इस संयंत्र के बहुत से पैनल टूट गए हैं और तार चोरी हो गए है। नगर निगम की छत पर लगे आनग्रिड सोलर सिस्टम के पैनल टूट गए हैं, ग्रिड से बिजली आपूर्ति के लिए ,तार भी चोरी हो गए हैं। अब मरम्मत के बाद ही सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर चल पाएगा है।
इस मामले में नगर निगम के प्रकाश व्यवस्था प्रभारी पंकज भूषण का कहना है कि आनग्रिड सोलर सिस्टम के कुछ पैनल टूट गए हैं,तार भी नहीं हैं। मरम्मत कराकर सोलर सिस्टम को चालू कराया जाएगा। इस सम्बन्ध में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिस ‘अथर्व इण्टरप्रारजेज,लखीमपुर’ ने आनग्रिड सोलर सिस्टम लगाया है उसने तीन वर्ष की वारण्टी दी थी,जो आगामी जुलाई तक की है। इन तीन वर्षों में न तो यह सौर्य ऊर्जा संयंत्र चला और न ही कम्पनी ने भी रखरखाव किया है। सम्भवतःनगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी सौर ऊर्जा संयंत्र की वारण्टी खत्म होने की प्रतीक्षा में हैं,ताकि उस कम्पनी को वारण्टी की जिम्मेदारी से बचाया जा सके। आश्चर्य की बात यह है कि नगर निगम में इतने बड़े घोटाले के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल से सम्बन्धित नेताओं,पार्षदों ने अपनी जुबान तक नहीं खोली है। यह हैरान की बात नहीं है कि इन 32महीनों में कभी किसी अधिकारी ने अपने निगम की छत पर लगे सौर ऊर्जा संयंत्र के कार्य न करने पर क्यों ध्यान नहीं दिया?इनमें से किसी यह जानने की कोशिश क्यों नहीं कि यह संयंत्र चलता क्यों नहीं है
क्या इससे नहीं,लगता कि इस निगम में अधिकारी और इसके कर्मचारी ही नहीं।पार्षद भी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में सम्मिलित हैं। ये पार्षद जनहित में काम करने की दुहाई देकर चुनाव लड़ते हैं,फिर दलगत भेदभाव भुला कर ये पार्षद भी दलाली खाने में इन भ्रष्टचार नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का साथ देते हैं। आगामी नगर निगम के चुनाव जनता को ऐसे पार्षदों को वोट देने से पहले विचार जरूर करना चाहिए।

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