डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरपतारी के बाद आठ विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा केन्द्र सरकार पर अपने सियासती विरोधियों के खिलाफ केन्द्रीय जाँच एजेन्सियों के दुरुपयोग करने का जो आरोप लगा है, वह पूर्णतः सत्य नहीं है, लेकिन अर्द्धसत्य अवश्य है, उनका यह कथन देश के लोगों से हकीकत को छुपाने और उन्हें गुमराह करने वाला है। जैसे अब ये नेतागण मनीष सिसोदिया के मंत्री के रूप में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में उनके बेहतर कार्यों को तो गिनाने रहे हैं,पर उनके आबकारी मंत्री के रूप में सौ करोड़ रुपए शराब घोटाला का नाम तक नहीं ले रहे हैं।अब ईडी ने उन्हें जेल में रहते पुनः मनी लाण्ड्रिंग में भी गिरपतार कर लिया है।
वैसे हकीकत यह है कि भले ही ये नेता एक-दूसरे पर बेईमान होने का आरोप लगाते रहें, पर वर्तमान राजनीति में रहते हुए बहुत कम ऐसे नेता रहे होंगे, जो सचमुच बेदाग/निष्कंलक होंगे। वैसे भी जो पकड़ा जाए, वह चोर, जो बच गया वह साहूकार/ईमानदार होता है। लेकिन विपक्षी पार्टियों के इस आरोप में दम है कि उन नेताओं के विरुद्ध केन्द्रीय एजेन्सियों की जाँच धीमी पड़ जाती है, जिन्होंने अब भाजपा का दामन थाम लिया। उन्होंने पूर्व काँग्रेस नेता और अब असम के मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्वा सरमा का भी उदाहरण दिया, जिनके खिलाफ ईडी और सी.बी.आई.ने 2014 और 2015 में ‘सारदा चिट फण्ड’ मामले में जाँच बैठायी थी, लेकिन भाजपा में आने के बाद जाँच ठण्डे बस्ते में चली जाती है। कमोबेश यही स्थिति तृणमूल काँग्रेस(टीएमसी)से भाजपा में आए सुवेन्दु अधिकारी और मुकुल राय की है। यही हाल महाराष्ट्र में नारायण राणे समेत कई नेताओं का है। विपक्षी दलों का केन्द्र सरकार पर यह आरोप पूरी तरह सही है कि सन् 2014 से केन्द्र में भाजपा के आने के बाद जिन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है उनमें ज्यादातर विपक्षी पार्टियों से सम्बन्धित हैं इनमें कई इस समय केन्द्रीय जाँच एजेन्सियों से सम्बन्धित हैं। इनमें राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक, अनिल परब, तृणमूल काँग्रेस(टीएमसी) के नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के नाम शामिल हैं। यह भी सच है कि अभी जिन भाजपा विरोधी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में जाँच हो रही है, वे किसी भी माने में बेकसूर नहीं हैं। हकीकत यह है कि देश की राजनीति में सिर्फ इतने ही नेता भ्रष्ट नहीं हैं, बल्कि इनकी बहुत लम्बी फेहरिस्त बन सकती है। इसमें बड़ी तादाद में भाजपा और उसकी सहयोगी सियासी पार्टियों के नेता भी आ सकते हैं, पर मौजूदा केन्द्र सरकार के रहते उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी, यह कहना भी बेहद मुश्किल है। लेकिन इसके बाद भाजपा विरोधी दूसरी पार्टियाँ भी सत्ता में आने पर अपनी प्रतिद्वन्द्वी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करने को आगे तो आएँगीं,जो अब तक एक-दूसरे को बचाती आयी हैं।अन्ततः इससे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और लोकतंत्र सुदृढ़ होगा।भ्रष्टाचारियों का सत्ता से मोहभंग होगा। वैसे अपने देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार की शुरुआत प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय से ही मूदड़ा और जीप काण्ड से हो गई थी,फिर यह सिलसिला बढ़ता ही चला रहा है।
अब सबसे पहले चर्चा करते हैं लाल प्रसाद यादव की। सन् 2004 से 2009के बीच रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने बिहार के दर्जन भर लोगों को ’समूह घ’ नौकरी लगवायीं, जिसके बदले में उन्होंने उनकी जमीन अपने परिवार के सदस्यों के नाम करायी। इस घोटाले को ‘आइ.आर.टी.सी. घोटाला’ या ’जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ कहा जाता है। इस मामले में सी.बी.आई. आरोप पत्र(चार्जशीट) दाखिल कर चुकी है। इस मामले में लालू प्रसाद यादव पर 1.05लाख वर्ग फीट जमीन अपने परिवार के नाम कराने का आरोप है। प्राथमिक दर्ज करने के बाद सी.बी.आई. ने पटना में राबड़ी देवी के आवास सहित अलग-अलग 17स्थानों पर छापा मारा। नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 18मई, 2022 में सी.बी.आई.ने प्राथमिक दर्ज की,इसके पूर्व 23 सितम्बर, 2021में सी.बी.आई.ने इस मामले को पंजीकृत किया था। लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी,उनकी पुत्री डॉ.मीसा भारती, हेमा यादव समेत 16 लोगों को नामजद आरोपित बनाया है, जबकि 17वें स्थान पर अन्य लोगों के नाम हैं । फिर चारा घोटाले से सम्बन्धित चार मामलों अदालत लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दे चुकी है। इन मामलों की जाँच के लिए भाजपा नेता सुशील मोदी और जदयू नेता ललन सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।लेकिन कथित पंथनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टियों की नजर में लालू प्रसाद यादव गरीबों के मसीह और बेहद ईमानदार हैं।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार में तत्कालीन कैबीनेट मंत्री और राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी(एन.सी.पी.)के नेता नवाब मलिक का हाल बताते हैं जिनके अण्डरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से सम्बन्धित जमीन डील से जुड़े होने और कथित मनी लाण्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण में संलिप्तता जमीन के आरोप लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने हाल में अण्डर वर्ल्ड के खिलाफ केस दर्ज कर कई ठिकानों पर छापा मारी की थी। इस सिलसिले में कुछ हपते पहले दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल काटकार को भी दबोचा गया था। नवाब मलिक और दाऊद इब्राहिम के बीच लेन-देन हुआ था। इससे पहले जाँच एजेन्सी की टीम ने एनसीपी नेता और राज्य सरकार में मंत्री नवाब मलिक से पूछताछ की थी,जिसके बाद उन्हें गिरपतार किया गया। उन पर मुम्बई के पूर्व कमिशनर कर्मवीर सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाया था। नवाब मलिक ने चुनाव आयोग को सौंपे अपने शपथ पत्र के अनुसार नवाब मलिक के पास 33,07,396 रुपए की चल सम्पत्ति है। इसके अलावा कुछ पुश्तैनी जमीन और मुम्बई में एक पलैट के साथ करीब 1,14,00,716रुपए का अचल सम्पत्ति भी है।उस समय नवाब मलिक की गिरपतारी के बाद महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना और काँग्रेस ने केन्द्र सरकार की तीखी आलोचना की। एनसीपी के प्रमुख नेता शरद पवार ने ईडी की कार्रवाई को गलत बताया और कहा कि केन्द्र सरकार केन्द्रीय जाँच एजेन्सियों का दुरुपयोग कर रही है।
अब आते हैं शिवसेना के मुखपत्र दैनिक ‘सामाना’ के कार्यकारी अध्यक्ष तथा राज्ससभा के सदस्य संजय राउत पर, जो अपनी कठोर और तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं। उन्हें 23 जुलाई,2022को :‘पात्रा चॉल जमीन घोटाले‘ में मनी लाणि्ंड्रग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी)द्वारा गिरपतार किया गया। इन्हें चार महीने बाद जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए हैं।निर्धन लोगों की जमीन बिल्डरों को देने वाले ये संजय राउत कैसे बेकसूर हैं,आप स्वयं निर्णय कर लें।
इनके अलावा पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को पिछले साल नवम्बर,2021 में मनी लाण्डिं्रग के एक अन्य कथित मामले में हिरासत में लिया गया था और जेल में डाल दिया। अनिल देशमुख पर 100करोड़ रुपए की कथित वसूली का आरोप है। इसी मामले में उन्हें गिरपतार किया गया। सी.बी.आई.इस मामले की जाँच कर रही है। इससे पहले सी.बी.आई.की विशेष अदालत ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख किया था। 14 अक्टूबर,2022को अनिल देशमुख को पिछले साल नवम्बर में धनशोधन के मामले में प्रर्वतन निदेशालय ने गिरपतार किया था।
इसके साथ ही शिवसेना के नेता और महाविकास आवाड़ी सरकार में तत्कालीन परिवहन मंत्री अनिल परब पर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, तब उन्होंने किरीट पर 100करोड़ रुपए के मानहानि का दावा किया। 26 मई, 2022 महाराष्ट्र के मंत्री अनिल परब के खिलाफ मनी लाण्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज किया था उन पर करोड़ों की रिश्वत लेने का आरोप है। ई डी ने उनके सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। उन पर पूर्व ए.पी.आई. सचिन वाजे ने कई आरोप लगाए, जिसमें सबसे बड़ा आरोप था कि अनिल परब कई मामलों में करोड़ों की रिश्वत लिया करते थे उनके खिलाफ करीब 50 करोड़ रुपए की वसूली के आरोप लगाया, वहीं बताया की वह स्थानान्तरण-तैनाती (ट्रान्सफर-पोस्टिंग) को लेकर भी लगातार वसूली कर रहे थे। तीन बार महाराष्ट्र विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित 57 वर्षीय राज्य के परिवहन मंत्री है। ई डी की कार्रवाई दापोली में 2017 में परब के एक करोड़ रुपए के प्रतिफल मूल्य पर एक जमीन की खरीद सम्बन्धी आरोपों से जुड़ी है। इस जमीन की 2019 में रजिस्टर किया गया था। एजेन्सी कुछ अन्य आरोपों की भी जाँच कर रही है। आरोप है कि इस जमीन के बाद मुम्बई के केवल ऑपरेटर सदानन्द कदम को 2020 में 1.10करोड़ रुपए में बेच दिया गया था। इस बीच इसी जमीन पर 2017से 2020 तक एक रिजोर्ट बनाया गया। आयकर विभाग की जाँच में पहले कह दिया कि रिजोर्ट का निर्माण 2017 में शुरू हुआ था। इसके निर्माण में 6 करोड़ रुपए कम खर्च किये गए था। इससे पहले निदेशालय ने पूर्व मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े धनशोधन के एक अन्य मामले में परब से पूछताछ की थी।
एक अन्य चर्चित मामला पश्चिम बंगाल के शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी का,जिन्हें 29 जुलाई, 2022को शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोप में गिरपतार किया। उनसे जुड़ी अर्पिता मुखर्जी के यहाँ 22 करोड़ रुपए बरामद होने के बाद गिरपतार की थी शिक्षक भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरपतार पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे भ्रष्टाचार या किसी गलत काम का समर्थन नहीं करती। अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे दण्डित किया जाए। लेकिन मेरे खिलाफ चलते जा रहे दुर्भावनापूर्ण अभियान की निन्दा करती हूँ।अपिता मुखर्जी से उनका कोई रिश्ता नहीं है और न ही मैं उसे जानती हूँ। मैं कई कार्यक्रमों में जाती हूँ। अगर कोई मेरे साथ तस्वीर खिंचवाता है तो क्या यह मेरी गलती है? कई साल तक ममता बनर्जी का यह शिक्षा मंत्री रिश्वत लेकर अयोग्य लोगों को शिक्षक बनाता रहा,फिर भी उन्हें भनक तक नहीं लगी?उनके सूबे में हर काम के लिए ‘कट मनी’का दस्तूर/परम्परा है। उनके कई दूसरे नेता भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैंपर वह उन पर भी खामोश हैं। देश में भ्रष्टाचार के आरोप में अब तक बड़ी संख्या में राजनेता जेल की सजा काट चुके हैं उनमें से कुछ ये हैं। नेशनल लोक दल(एनएलडी) के नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाला में,बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले और राष्ट्रीय लोकदल(रालोद)के सांसद रशीद मसूद मेडिकल कॉलेज में भर्ती में गड़बड़ी में जेल की सजा भुगत चुके हैं।अब दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन मनी लाण्ड्रिंग के आरोप में कई महीने से जेल में बन्द हैं। फिर भी सियासी पार्टियों के नेताओं और मंत्रियों ने उनसे कोई सबक नहीं लिया है। वर्तमान में भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ केन्द्रीय जाँच एजेन्सियाँ जिस मुस्तैदी से अपनी कार्रवाई कर रही हैं,इसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।भले ही विपक्षी राजनीति दल वर्तमान केन्द्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं, किन्तु इससे भविष्य में राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी,यह तय है। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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