राजनीति

पंजाब में खालिस्तानियों की दस्तक की अनसुनी

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पंजाब के अजनाला थाने में अपने एक साथी को रिहा कराने पहुँचे खालिस्तान समर्थक तथा ‘वारिस पंजाब दे’का नेता अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने बन्दूकों के साथ तलवार लहराते और लाठियाँ भांजते हुए पुलिस अधीक्षक जुगराज सिंह समेत पाँच सिपाहियों पर हमला किया गया। फिर भी पुलिस ने अपहरण और मारपीट के आरोपी उनके साथी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान सिंह को दिखावे के लिए कुछ औपचारिकता पूरी कर रिहा कर दिया। लेकिन थाने पर हमले और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले की बाद भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया। निश्चय ही इतनी बड़ी घटना पर पुलिस का यह रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। यह सब देखते यही लगा कि खालिस्तान समर्थकों को पंजाब पुलिस का कोई भय नहीं है और वह उनके आगे पूरी तरह बेबस, असहाय और मजबूर है। उनतीस वर्षीय अमृतपाल सिंह जिस तरह भारी भीड़ के साथ जनरैल सिंह भिण्डरावाला सरीखी वेशभूषा धारण कर खुले आम खालिस्तान के समर्थन में तकरीर करता आया है, उससे लगता है कि एक बार फिर इस सूबे में पुराना दौर लौट आया है।वह केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह को धमकाने का भी दुस्साहस कर रहा है और केन्द्र सरकार ने पिछले महीन उसे अलर्ट जारी किया है। यह देखते हुए अब केन्द्र सरकार ने पंजाब की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए रिपोर्ट माँगी है। इधर जब देशभर में पंजाब सरकार की ‘आम आदमी पार्टी’(आआपा) के सरकार की आलोचना हुई, तब मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान और पंजाब पुलिस अपने-अपने तर्कों से सफाई दे रही है। अब जहाँ मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान ने अमृतपाल सिंह पर हमला करते हुए कहा कि शब्द गुरु श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को ढाल बनाकर थानों में ले जाने वाले पंजाब और पंजाबियत के वारिस नहीं हो सकते। फिर अगले दिन 26फरवरी को मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान ने खालिस्तानी समर्थकों पर आरोप लगाया कि उन्हें पाकिस्तान तथा दूसरे देशों से पैसा मिल रहा है। उन्होंने खालिस्तानियों तत्त्वों से निपटने की कोई ठोस रणनीति उजागर नहीं की है,पर पंजाब पुलिस इस मसले से निपटने में सक्षम है। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में सिर्फ मुठ्ठीभर लोग ही खालिस्तान समर्थक आन्दोलन को शह दे रहे हैं। यह पहला अवसर है जब ‘आम आदमी पार्टी’की सरकार ने खालिस्तान समर्थकों की खुलकर मुखालफत की है,जबकि काँग्रेस की भाँति पंजाब में सत्तारूढ़ ‘आप’ की सरकार पर भी अलगाववादी तत्त्वों से निकटता रखने का आरोप लगते आए हैं। जुलाई,2022को जब पंजाब की सार्वजनिक बसों पर भिण्डरावाले आदि की तस्वीर लगाने का मामला सामने आया,तब इसे हटाने के आदेश को भगवन्त सिंह मान सरकार ने दाबव में आकर वापस ले लिया। इससे पहले 2017में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा अलगाववादी के घर ठहरने पर विवाद हो गया था।ऐसे तत्त्वों के से सम्पर्क रखने का आरोप केजरीवाल के सहयोगी रहे कुमार विश्वास कई बार लगा चुके हैं।
अब जहाँ तक अमृतपाल सिंह का प्रश्न है तो उनके समर्थकों के एक गुरुद्वारा साहिब से जबरन कुर्सियाँ हटवा दी थीं और अब पालकी में सुशोभित श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के पावन स्वरूप को अजनाला थाने ले जाने के लिए ढाल की तरह प्रयोग किया। कुछ इसी तरह चण्डीगढ में पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने ़श्री गुरुग्रन्थ साहिब की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने संयम बरता था। उन्होंने कहा कि 16 फरवरी को चमकौर साहिब के वरिन्दर सिंह ने अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर अपने अपहरण और मारपीट की आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज करायी थी। इसके खिलाफ कुछ लोगों ने थाने के बाहर शान्तिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत माँगी थी, किन्तु उन्होंने श्री गुरुग्रन्थ साहिब की आड़ में हिंसक प्रदर्शन किया। उधर अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने अमृतसर में दरबार साहिब में मत्था टेकने के बाद डीजीपी को धमकी देते हुए कहा कि वह सोच समझ कर बयान दें। एफ.आइ.आर. दर्ज करने की बात से पंजाब का माहौल फिर खराब हो सकता है। अमृतपाल सिंह सन्धू सन् 2012को पंजाब में स्थित रोडेवाल गाँव से दुबई चला गया, जहाँ उसके परिवार का ‘सन्धू कार्गो’ नाम से ट्रान्सपोर्ट का व्यवसाय है। वहाँ से ये 29सितम्बर,2022 को वापस पंजाब लौट आया है।उसके बाद अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ भिण्डरावाले के गाँव जुल्लुपुरखेड़ा गया था,तब सांसद सिमरनजीत सिंह मान भी उसके साथ थे। 26जनवरी को किसान आन्दोलन के दौरान लाल किले पर धार्मिक झण्डा फहराने वाले वारिस पंजाब दे के संस्थापक गायक दीप सिंह सन्धू की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद खुद ‘वारिस पंजाब दे’ का सर्वेसवा बन बैठा है।अब अजनाला थाने में श्रीगुरुग्रन्थ साहिब को ढाल बनाकर उपद्रव मचाने को राजनीतिक दलों ने बेदबी करार दिया है, लेकिन सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी(एसपीजीसी) इस मामले पर खामोश है। इसके अध्यक्ष हरजिन्दर सिंह धामी ने कहा कि इस मामले को श्रीअकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह देखेंगे। इस ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कहना है कि श्री गुरुग्रन्थ साहिब के मान सत्कार का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। इसके विपरीत शिरोमणि अकाली दल(शिअद) ने अजनाला की घटना की निन्दा की है। खालिस्तान समर्थकों का पंजाब में अपनी उपस्थिति दर्शाने की लम्बी फेहरिस्त है,लेकिन यहाँ की सभी सियासी पार्टियों की सरकारें बराबर अनदेखी करती आयी है। हर साल ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दिन काला दिवस मनाया जाता है और भी कई दूसरे कार्य किये जाते हैं।
केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ किसान आन्दोलन के दौरान खालिस्तानी समर्थकों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। उस समय टै्रक्टरों पर जनरैल सिंह भिण्डरावाले के फोटो और खालिस्तान जिन्दाबाद लिखे हुए थे। इनकी हर तरह की मदद की वजह से यह आन्दोलन लम्बे समय तक चला और लाल किले पर आन्दोलनकारियों ने हिंसका हमला करने का दुस्साहस किया। लेकिन सब कुछ जानकर भी केन्द्र सरकार ने उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की थी। पंजाब में बेअदबी के नाम कई बेकसूर लोगों की जान ली गई है। जिस दिन भगवन्त सिंह मान ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन जालन्धर में माता के जागरण पर प्रसाद बाँट रहे थे तभी दो लोग तलवार लेकर घुसे तथा लोगों से अभद्रता करते हुए श्रद्धालुओं के साथ पूजा के मंच पर हमला कर दिया।
पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान द्वारा छोड़े संगरूर संसदीय क्षेत्र से उप चुनाव निर्वाचित शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) जीते सिमरनजीत सिंह ने सांसद की शपथ लेने से पहले शहीद भगत सिंह को आतंकवादी बताते हुए खालिस्तान की स्थापना की पुरजोर हिमायत की। अफसोस की यह है कि भाजपा समेत देश की किसी भी सियासी पार्टी ने निन्दा/आलोचना करने की हिम्मत नहीं दिखायी। फिर गत 29 अप्रैल, 2022को को पंजाब के पटियाला में हिन्दू और खालिस्तान समर्थक संगठनों के हिंसक झड़प हुई थी,क्योंकि वे खालिस्तान के समर्थन दिवस मना रहे थे। इसका हिन्दू शिवसेना के नेता हरीश सिंगला ने ‘खालिस्तान मुर्दाबाद’के नारे के साथ विरोध में जुलूस निकाला था। हिमाचल प्रदेश की असेम्बली की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए। इसके पश्चात् 10मई,2022को मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर राकेट प्रोपाल्ड ग्रेनेड(आरपीजी)से हमला किया, जिसकी जिम्मेदारी प्रतिबन्धित खालिस्तानी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ने ली थी। अमृतपाल सिंह की बढ़ती अराजक गतिविधियों को देखते हुए अक्टूबर,2022कोकेन्द्र सरकार ने उसका टिवट्र डिलीइट करा दिया,जिस पर 11हजार फोलोअर्स थे। इसके दिसम्बर में उसका इंस्टाग्राम अकाउण्ट ब्लाक कराया है। 4नवम्बर, 2022को अमृतसर में एक हिन्दू मन्दिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के अनादर के विरोध में धरना दे रहे वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त हिन्दू नेता सुधीर सूरी की पुलिस के सामने सन्दीप सिंह सन्नी ने गोलियों की बौझार की हत्या कर दी। बाद में सिख कट्टरपंथियों ने अमृतसर के न्यायालय में उस पर फूल बरसाये। फिर गत 10नवम्बर,2022को सच्चा डेरा समर्थक तथा सात सालों से बेअदबी के आरोपी प्रदीप सिंह की फरीदकोट में हत्या कर दी गई। इसके उपरान्त 10दिसम्बर, 2022को तरनतारन जिले के सरहाली थाने पर अर्द्धरात्रि रूस निर्मित आरपीजी से हमला किया, जिसमें ‘खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स’ के लखवीर सिंह का हाथ बताया गया। फिर 20दिसम्बर,2022को अमृतसर में श्रीमुक्तसर साहिब के सरकार महाविद्यालय की दीवारों पर ‘खालिस्तान जिन्दाबाद’नारे लिखे गए। इन्हें लिखने की जिम्मेदारी सिख फॉर जस्टिस के दहशतगर्द गुरुवन्त सिंह पन्नू ने ली थी। तदोपरान्त 24फरवरी को आस्ट्रेलिया की ब्रिस्बेन में स्थित मानद महावाणिज्य दूतवास पर खालिस्तानियों ने झण्डा लगाया,जिसे यहाँ की पुलिस ने जब्त कर लिया। इससे पहले इस देश में कई हिन्दू मन्दिरों पर ये हमला कर चुके हैं। जब अपने कार्यालय पहुँची, कनाडा के मिसिसागा में राम मन्दिर के दीवारों पर भद्दे,अपमानजनक, भड़काऊ और खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए। इससे पहले भी खालिस्तान समर्थक दूसरे हिन्दू मन्दिरों पर हमला कर चुके हैं। कनाडा के मेलबर्न में 12जनवरी को स्वामीनारायण मन्दिर विक्टोरिया में खालिस्तानियों ने तोड़फोड़ और फिर 23जनवरी को इसी शहर के ‘इस्कान टेम्पल’ में बवाल किया। इसी 26जनवरी मेलबर्न स्क्वायर जब भारतीय तिरंगा लेकर चल रहे,तब खालिस्तानी झण्डा लिए इसके समर्थकों ने उनके साथ मारपीट की। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार 29जनवरी को खालिस्तान समर्थक संगठन‘सिख फॉर जास्टिस’ने खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराने की घोषणा की,इसका विरोध करने पर भारतीयों के मारपीट की। अब जहाँ तक कनाडा सरकार का प्रश्न है तो भारत सरकार के विरोध के भी उसने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ किसी तरह की सख्त कार्रवाई नहीं की है, क्योंकि वहाँ के राजनीतिक दल सिखों के वोटों के लालच में उनकी बेजां हरकतों की बराबर अनदेखी करती आ रही है। कमोबेश यह हालत आस्ट्रेलिया में रह रहे है खालिस्तानियों की है,जो बार-बार हिन्दू मन्दिरों को निशाना बना रहे हैं। यहाँ तक कि कुछ माह पहले बिट्रेन के लेस्टर शहर में जिहादी तत्त्वों ने एक मन्दिर पर हमला किया गया था। ब्रिट्रेन समेत ज्यादा देशों में खालिस्तान समर्थकों को इन जिहादी तत्त्वों का साथ भी मिल रहा है। 17फरवरी,2023को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने ‘खालिस्तान टाइगर फोर्स’(के.टी.एफ.) को 44वाँ आतंकवादी समूह और खालिस्तान समर्थक हरविन्दर सिंह सन्धू उर्फ रिन्दा को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए 54वाँ आतंकवादी घोषित किया है। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की इमारत के मुख्य द्वार पर खालिस्तानी भारत के लिए अपशब्द लिख चुके हैं,लेकिन कहीं भी उनके विरुद्ध किसी भी देश की सरकार ने कार्रवाई नहीं की है। इससे उनके हौसले बड़े हुए हैं। इसकी वजह केन्द्र और राज्य सरकारों का इन अलगाववादी तत्त्वों के खिलाफ ढुलमुल रवैया रहा है, जो यह अच्छी तरह से जानते और मानते हैं कि इनके पीछे न केवल पाकिस्तान सरकार,सेना और उसकी गुप्तचर संस्था ‘आइएसआइ’,बल्कि दुनिया भर में फैले खालिस्तान समर्थक मददगार है। अफसोस की बात यह है इस मामले में सिख के धर्मगुरु भी खामोश है, जबकि वे इसके दुष्परिणामों से परिचित है। इनकी उदासीनता के कारण जनरैल सिंह भिण्डरावाल ने स्वर्णमन्दिर परिसर पर कब्जा जमा लिया था।उससे निपटने के लिए सेना को ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’ करने को विवश होना पड़ा,तब 15साल में खालिस्तान आन्दोलन खत्म हुआ। सिखों से भारत से अलग खालिस्तान की माँग करने वालों को सिख पंथ गुरुओं को समझाना चाहिए कि सिख पंथ की स्थापना हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए की गई थी। सिखों की तीर्थस्थल पूरे देश में फैले हुए हैं।उन्होंने हिन्द की चादर की बात कही था न कि सिर्फ पंजाब को खालिस्तान बनाने की। जिस मजहब की आक्रमकता से रक्षा करने के लिए सिख पंथ की स्थापना की गई, उसके मानने वाले अब उनके अपने कैसे हो गए? क्या उनका यह रवैया अपने गुरुओं के सीख के अनुसार है?यह विचारणीय प्रश्न है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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