भ्रष्टाचार

जेलों में फैले भ्रष्टाचार की अनदेखी क्यों?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में चित्रकूट के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के जिला जेल में मनी लाणि्ंड्रग के आरोप में निरुद्ध माफिया मुख्तार अंसारी के सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी( सुभासपा) के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को जेल अधिकारियों द्वारा गैरकानूनी तरीके उसकी पत्नी से भेंट कराते पाये जाने और वहीं से खौफ फैलाने, रंगदारी का साम्राज्य चलाने, मुकदमे से सम्बन्धित अधिकारियों की हत्या और उन्हें धमकाने ,फरार कराने की साजिश रचने की घटना देश की जेलों में फैले अपार भ्रष्टाचार एक छोटा-सा नमूनाभर है। वैसे चित्रकूट जेल के अधिकारियों और दूसरे कर्मियों का यह दुस्साहस कहा जाएगा,क्योंकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टोलरेन्स’की नीति पर चल रही है।लेकिन ये लोग बेखौफ होकर अपराधियों से धन लेकर अपनी जेबें भरने में लगे हुए थे। चित्रकूट की जिला जेल में गत 11फरवरी को छापे के समय बन्दी विधायक अब्बास अंसारी अपनी पत्नी निखत बानो के साथ अधीक्षक कार्यालय के बगल वाले कक्ष में मौजूदा था। जेल में बिना इण्ट्री इन्हें मुलाकात कराने के मामले में आरक्षी जगमोहन आरोपित है। अब पुलिस ने विधायक अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो और उसके कार चालक नियाज को गिरपतारी किये जाने के साथ पुलिस अधीक्षक अशोक सागर, उप कारागार अधीक्षक सुशील कमार, जेल आरक्षी जगमोहन समेत ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के विरुद्ध गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। अब मामले की जाँच के लिए एएसपी चक्रपाणि त्रिपाठी के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय‘विशेष जाँच दल’(एस.आइ.टी.)गठित की गई है। वैसे जिस तरह से निखत बानो जेल में बिन इण्ट्री के आती-जाती रही है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि पूरे खेल में जेल के अधिकारी भी सम्मिलित रहे हैं। निश्चय ही उन्हें अधिक रकम दी गई होगी। कुछ बन्दी भी निखत बानो के साथ शामिल हो सकते हैं।
वैसे अपने देश में शायद ही कोई ऐसी जेल हो, जहाँ रिश्वतखोरी का चलन में न हो। इस हकीकत से देश की सभी राजनीतिक दलों के नेता और उनकी विभिन्न राज्यों की सरकारें वाकिफ न हो असम्भव है। इसका एक कारण राजनीतिक दलों से सम्बन्धित कार्यकर्ताओं/नेताओं का अपने जीवन में कभी न कभी विभिन्न आन्दोलन में भाग लेने की वजह से कई जेल जाना पड़ा होगा। ऐसे में उन्हें जेल की तकलीफों और वहाँ के भ्रष्टाचार की जानकारी होना स्वाभाविक है। फिर जेलों में बन्दियों के बीच गोलीबारी या छापे में उनके पास मादक पदार्थ या फिर हथियार पकड़े जाते रहे हैं। आखिर जेलों में यह सब चीजें कैसे पहुँच जाती है? फिर कभी इसका पता लगाने के गम्भीर प्रयास क्यों नहीं किये गए। वैसे ताजुब्ब की बात यह है कि जेलों की दशा का सही पता लगाने के लिए सरकार समाज के लोगों को जेल विजिटर पर नियुक्त करती है और अधिकारियों को निरीक्षण हेतु भेजती है,पर उन्हें ज्यादातर दौरों में सब कुछ दुरुस्त ही मिलता है।ऐसा क्यों?यह भी विचारणीय/शोध का विषय है।
आश्चर्य की बात यह है कि इसके बाद भी किसी सियासी पार्टी की सरकार ने अब तक जेलों में फैली घूसखोरी खिलाफ के नमूने की कार्रवाई नहीं की है। इन सभी के इस रवैये से स्पष्ट है कि कहीं न कहीं सभी सियासी पार्टियों की सरकारों की जेलों में होने वाले हर तरह के भ्रष्टाचार और उगाही में भागीदार रही हैं। कुछ माह पहले भी दिल्ली की जेल में जेल में बन्दी दिल्ली की आप सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन अपनी बेटी के साथ बलात्कार के आरोप में सजा काट रहे बन्दी से न केवल मसाज करा रहे थे,बल्कि जेल के बाहर से आया खाना तथा फल आदि खाने के साथ-साथ अपना दरबार भी लगा रहे थे। इससे पहले पंजाब की एक
रूपनगर रोपड़ जेल में सजा काट रहा माफिया मुख्तार अंसारी सूबे के काँग्रेस सरकार की मेहरबानी से शाही ढंग से रहा था और एम्बुलेन्स में आता-जाता था,जिसे बहुत मुश्किल से उत्तर प्रदेश सरकार 7अप्रैल,2021को अपने राज्य की बांदा मण्डल कारागर में ला पायी,ताकि उसके खिलाफ चल रहे मुकदमों में कार्यवाही आगे बढ़ सके।उसके यहाँ आने के बाद से डेढ़ सेक्शन से अधिक पीएसी पहरा दे रही है।
फिर चित्रकूट जेल की सुरक्षा में सेन्ध पहली बार नहीं लगी है। जिला में विचाराधीन बन्दी रहे सीतापुर के मुख्तार गिरोह के शार्प शूटर अपराधी अंशु दीक्षित ने 14मई, 2021 को कैराना के अपराधी मुकीम काला और उच्च सुरक्षा बैरक में बन्द मेराज खान उर्फ मेराजुद्दीन की गोली मार कर हत्या कर दी थी। गाजीपुर का मेराज रिश्ते में मुख्तार का भांजा था। मेराज और मुकीम की हत्या के बाद पाँच बन्दियों को बन्धक बनाया था उस समय जेल वार्डेन जगमोहन बार-बार अंशु से बातचीत कर समर्पण करने के लिए कह रहा था। पुलिस ने मुठभेड़ में जेल के अन्दर ही अंशु दीक्षित को मार गिराया था। बागपत जिला जेल में 9 जुलाई, 2018 को माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या की गई थी। जेल में कुख्यात अपराधी सुनील राठी ने गोलियों से उसे भून दिया था। मुन्ना कभी माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी हुआ करता था। मुन्ना बजरंगी की हत्या के समय भी जगमोहन बागपत जेल में तैनात था। अब चित्रकूट की जिला जेल में यही आरक्षी(वार्डेन) जगमोहन में तैनात है,उसका नाम भी एफ.आइ.आर. में है।इसके बावजूद में चित्रकूट जिला जेल की खास निगरानी क्यों नहीं की जा रही थी?
जेलों में भ्रष्टाचार की अपनी व्यवस्था है।इसमें एक ओर बन्दियों को घटिया खाना देकर और उनकी दूसरी सुविधाओं में कटौती कर जेल अधिकारी अवैध धन कमाते हैं, दूसरी ओर उन्हें अनुचित तरीके से मादक पदार्थ समेत कई सुविधाएँ और काम न कराके उनसे धन की वसूली करते हैं।दरअसल, जेलों में बन्दी की आर्थिक स्थिति के अनुसार उसके बर्ताव किया जाता है। आम कैदियों के लिए जेल का हर छोटा-बड़ा कर्मी जल्लाद से कम नहीं होता, लेकिन ये ही कैदियों से रिश्वत लेकर उनके हर काम/सेवा करने को हमेशा तैयार रहते हैं, पर चौथ न देने पर मामूली बातों पर उनके साथ गाली-गलौज और प्रताड़ित करते रहते हैं। जेलों में जहाँ धनी बन्दियों के लिए जेल में सभी तरह की सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हैं,वहीं निर्धन बन्दियों के लिए यह जहन्नुम से अधिक तकलीफ देह है,क्योंकि उनके पास जेलकर्मियों की जेब गरम करने को धन नहीं होता। इनके अलावा में जो खूंखार अपराधी हैं,उन्हें भी हद तक सुविधाएँ मिल जाती हैं। जेलों में बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, शराब, गांजा, भांग, चरस आदि मादक प्राप्त करने और काम न करने या फिर मोबाइल, आरामदेह बिस्तार,कूलर, जेल में अच्छे से अच्छा खाने या बाहर से खाना मँगाने के लिए भारी रकम चुकानी पड़ती है।यहाँ तक कि जेल में अपने घर वालों से मिलायी के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है।इसके बाद उनके द्वारा दिये गए रुपए और खाने-पीने की वस्तुओं में हिस्सा देना पड़ता है।
अब जहाँ तक विधायक अब्बास अंसारी का चित्रकूट जिला जेल में भेजने और निरुद्ध रखे जाने का प्रश्न है,तो उसे यह सोच कर भेजा तथा रखा गया है कि उसे अपने इलाके से दूर रखा जा सके,ताकि आपराधिक घटनाओं को अंजाम न दे सके।लेकिन यहाँ तो मददगार के तौर उसकी बीवी आकर रहने लगी।इधर कुछ जानकारों का विचार है कि अपराधी अपनी शासन/सत्ता में रिश्तों/ पहुँच के जरिए छोटे जिलों में अपना स्थानान्तरण करा लेते हैं,क्योंकि इमें प्रशासनिक निगरानी कम होती है। इन जेलों के अधिकारी सर्वाधिकारी/निरंकुश बन जाते हैं,जिनकी अण्टी गर्म कर खुली छूट पाना आसान होता है।ऐसे में जरूरत इस बात की है कि चित्रकूट की जिला जेल की वारदात से सबक लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ही नहीं, देशभर की सरकारों को जेलों में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को खत्म करने विशेष ध्यान देना चाहिए।ऐसे किये बगैर जेलों का जेल कहना ही फिजूल होगा।
सम्पर्क-डॉ. बचनसिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0114511
This Month : 9832
This Year : 51804

Follow Me