डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों कुरुक्षेत्र में महर्षि दयानन्द सरस्वती के द्वितीय जन्म शताब्दी पर आयोजित में अन्तर्राष्ट्रीय सर्वधर्म सम्मेलन में कई इस्लामिक मजहबी रहनुओं/गुरुओं द्वारा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के भारत में फिर से विलय , ‘अखण्ड भारत’ और ‘विश्व गुरु’ बनाने को लेकर जो विचार व्यक्त किये हैं, निश्चय ही उनके ये विचार इस्लामिक कट्टरपंथियों, वामपंथियों समेत देश को तोड़ने की मुहिम में लगे लोगों को न सिर्फ बेहद नागवार लगे होंगे, बल्कि उन्हें अपनी मुहिम ही ध्वस्त होती नजर आ रही होगी। इन इस्लामी कट्टरपंथियों को इनके कहें पर कतई यकीन नहीं हो रहा है, क्योंकि ऐसा तो कट्टर हिन्दूवादी और राष्ट्रवादी संगठनों के नेता कहा करते थे, जिनके कहे पर अक्सर वे यह कर हँसी उड़ाया करते थे,कि सबको ख्वाब देखने का पूरा हक जरूर है,पर इनमें दम नहीं है कि जो ऐसा कर सके। लेकिन यह बात इन सभी रहनुमाओं ने किसी के दबाव में नहीं, पूरे होशो-हवास में कहीं है। इसलिए उन्हें हैरानी और ताजुब हो रहा होगा कि जिनके भरोसे वे हिन्दुस्तान में ‘निजाम-ए-मुस्तफा’/‘दारूल-इस्लाम’ कायम करने का ख्वाब दे रहे थे, वे ही उसमें ही अब पलीता लगा रहे हैं।
वैसे भी वर्तमान में पाकिस्तान के जैसे हालात हैं, उन्हें देखते हुए कुछ इस्लामिक मजहबी रहनुमा को अब इस इस्लामिक मुल्क की जन्नत की हकीकत पता चल गई होगी,जो दुनिया भर में अपना मुल्क चलाने को कटोरा लिया कर्ज माँगता फिर रहा और भारी कर्ज के बोझ तले डूबा हुआ है, जहाँ की अवाम रोटी के एक -एक टुकड़े को मोहताज है। लोगों को थोड़े-थोड़े अनाज के लिए एक-दूसरे की जान लेने पर उतारू हैं। फिर पाकिस्तान के नेता अपनी जनता की तकलीफें दूर करने के बजाय कुर्सी को लेकर एक-दूसरे की टोपी उछाल रहे हैं। पाकिस्तान में सिर्फ हिन्दू, सिख, ईसाई जैसी अकलियतों(अल्पसंख्यकों)के लिए नर्क नहीं हैं, बल्कि शिया,अहमदियों,कादियानों आदि मुसलमानों के लिए भी जहन्नुम से कम नहीं है। फिर सुन्नी मुसलमानों में भी सिन्धी, मुहाजिर, पंजाबी, पश्तूनों में भी एका नहीं हैं। यहाँ के बलूच तो अपने ही मुल्क में दोयाम दर्जे के शहरी बने हुए हैं, उन पर कैसे जुल्म ढहाए जा रहे हैं, यह सच्चाई दुनिया से छुपी नहीं है। इधर अफगानिस्तान को भी तालिबानों ने जहन्नुम बनाया हुआ, उसके हालात भी पाकिस्तान से जुदा नहीं हैं, जिसकी हुकूमत के को डेढ़ साल से ज्यादा हो गया, पर दुनिया के किसी मुल्क ने तालिबान सरकार को तस्लीम(मान्यता)तक नहीं किया है। बांग्लादेश में भी इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यकों का जीना हराम किया हुआ है। इसके बाशिन्दे भी बेहतर जिन्दगी की तलाश में भारत की सरहद में गैर कानूनी तरीके से दाखिल होते आए हैं। यह सब देखते हुए, हो सकता है कि अब इन इस्लामिक मजहबी रहनुमाआें को ‘इस्लामी मुल्क’की जन्नत हकीकत समझ आ गई हो और उससे तोबा कर , उन्हें हिन्दुस्तान ही सबसे प्यारा और नजारा नजर आने लगा हो। वैसे भी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है,जहाँ इस्लाम मनाने वाले सभी फिरके अमन चैन से रहते हैं।
दरअसल, कुछ लोग देश के आजाद होने के बाद से तरह-तरह से उसे कमजोर और तोड़ने में लगे हैं, पर इनकी तमाम कोशिशों के बाद भी अब भारत दिनोंदिन हर तरह से मजबूत होता जा रहा है। जो इन्हें कतई अच्छा नहीं लग रहा है। इनमें से ही जहाँ कुछ लोग सालों-साल से हिन्दुओं को मतान्तरित कर इस्लामिक मुल्क तो कुछ ईसाई देश बनाने में जुटे हैं, तो वहीं कुछ नक्सलियों और भारत को भाषा-बोलियों या क्षेत्रवाद के बहाने तोड़ने में लगे हैं। यहाँ तक कि इनमें से कुछ लोग तो जम्मू-कश्मीर को इस्लामिक मुल्क या पाकिस्तान को सौंपना चाहते हैं। वैसे 5 अगस्त, 2019 को जब से केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को विशेष दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म करने के साथ इसे दो राज्यों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को केन्द्र शासित बनाए हैं,तब से उनको अपना ख्वाब हमेशा के लिए टूटता नजर आ रहा है, लेकिन उनका इन्होंने इस ख्वाब को पूरा करने की कोशिशें छोड़ी नहीं हैं। इस सूबे के नेताओं ने अब भी अनुच्छेद 370 और 35ए की वापसी और इसके एकीकरण करने की मुहिम चला रहे हैं। इनमें पी.डी.पी. अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुपती सबसे आगे हैं और सूबे में अमन-चैन के लिए पाकिस्तान से बातचीत करने की वकालत करना छोड़ नहीं रही हैं। इसके उल्ट अब जहाँ ‘ऑल इण्डिया इमाम आर्गेनाइजेशन’ के मुख्य इमाम डॉ.उमर अहमद इलियासी ने उक्त समारोह में कहा कि पाकिस्तान जल्द भारत में शामिल हो जाएगा। इसके बाद बांग्लादेश और अफगानिस्तान भी भारत में आ जाएँगे। यही उत्तम भारत और अखण्ड भारत है। आज भारत एक बार फिर विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है। पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रही है, वहीं मौलाना फाउण्डेशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष कौकब मुजतबा कहना था कि शान्ति देखना है तो भारत की तरफ देंखे और दहातगर्दी/आतंकवाद देखना है तो पाकिस्तान को देखें। जब अखण्ड भारत बनेगा तो पहला इस्लामिक कार्यालय लाहौर में बनेगा और उस पर तिरंगा लहराएगा।जिस रास्ते पर भारत हैकोई भी उसे विश्वगुरु बनने से रोक सकता। यह पैगाम पाकिस्तान तक जाना चाहिए। इसके अलावा दरगाह शरीफ अजमेर के हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि विदेशी हमसे अध्यात्म सीखने आते हैं। हम धर्म,जाति से ऊपर उठकर कार्य करें और एक दूसरे का सम्मान करें।अब प्रश्न यह है कि क्या वामपंथी और उनसे मिलते-जुलते विचार रखने वाले भी इन इस्लामी मजहबी रहनुमा से कोई सबक लेंगे।
इस अवसर योग गुरु बाबा रामदेव ने भी सच ही कहा है कि कातिलाना हमला बन्द होना चाहिए तथा पूर्वजों को सांझी संस्कृति और विरासत को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए। एक-दूसरे के धर्म और संस्कृति का सम्मान करें। भारत में रहने वाले हम सभी आर्य हैं। चाहे हमारा धर्म के अनुसार पहनावा और वेशभूषा भले अलग हों। हम एक-दूसरे के घर में घुसते हैं ऐसा नहीं करें और स्वयं दृढ़ता रखें। अगर सचमुच भारत के सभी धर्म/मजहब के लोग हिलमिल कर रहें और एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ दें। ऐसा होने पर दुनिया की कोई भी ताकत भारत को परम वैभव प्राप्त करने और ‘विश्व गुरु’ बनने से रोक पाना सम्भव नहीं होगा।इससे भारत के अपने और पड़ोसी मुल्कों के दुश्मनों को परेशानी तथा ईष्या हो,तो होती रहे।
सम्पर्क-डॉ. बचनसिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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