राजनीति

गैरों पर इतना यकीन क्यों ?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में ब्रिटेन के विदेश सचिव जैक स्ट्रा के मार्गदर्शन मे ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कोरपोरेशन(बीबीसी) द्वारा ं सन् 2002 के गुजरात के दंगों पर निर्मित डाक्यूमेण्ट्री फिल्म ‘इण्डियाः द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर विवाद दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है,जो अब सर्वोच्च न्यायालय और सरहद पार ब्रिटेन तक पहुँच गया है। इस डाक्यूमेण्ट्री में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोषी ठहराने का कुत्सित प्रयास किया गया है। इसीलिए केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस डाक्यूमेण्ट्री के प्रदर्शन पर गत 21जनवरी को प्रतिबन्ध लगाया गया है। फिर भी उनकी विरोधी सियासी पार्टियों वामपंथी तथा काँग्रेस से सम्बन्धित छात्र संगठन ‘स्टूडेण्ट फेडरेशन ऑफ इण्डिया’ (एसएफआइ), ‘आइसा’, ‘एन.एस.यू.आई.’के छात्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने ‘जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी’(जे.एन.यू.),दिल्ली यूनिवर्सिटी (डी.यू.),जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी, भारतीय फिल्म एण्ड टेलीविजन संस्थान(आइ.एफ.टी.आइ.),पुणे, टाटा सोशल साइन्स इन्स्टीट्यूट, मुम्बई आदि में पुलिस-प्रशासन के रोकथाम के उपायों के बाद भी दिखाने की कोशिशें जारी हैं, जिससे स्पष्ट है कि मोदी विरोधी ये सियासी पार्टियाँ उनकी देश -विदेश में बढ़ती ख्याति, विश्वसनीयता, लोकप्रियता से बेहद परेशान हैं और उन्हें किसी भी तरह नीचा दिखाने, बदनाम करने और मुसलमानों का शत्रु साबित करने में लगे हैं, ताकि उनके एकमुश्त वोट हासिल किये जा सके। इसके विपरीत बोलने की आजादी के ये ही पहरूहे जम्मू-कश्मीर के नब्बे के दशक में कश्मीरी पण्डितों के नरसंहार पर गहन शोध के बाद बनी ‘कश्मीर फाइल्स’ को प्रोपेगेण्डा फिल्म बताकर उसके प्रदर्शन का विरोध कर रहे थे, उसके पीछे भी ये सियासी पार्टियाँ और उनकी एकमुश्त वोट पाने की लालसा थी।
विडम्बना यह है कि ये लोग बी.बी.सी. द्वारा बनायी जिस ‘इण्डियाः द मोदी क्वेश्चन’ फिल्म विश्वसनीय मानते हैं जिसे देखने-दिखाने को उतावले बने हुए हैं, वह हकीकत में एक दुष्प्रचार फिल्म है। इसे बनाने वाली ‘बी.बी.सी.’ और उसके मार्गदर्शक ब्रिटेन के विदेश सचिव जैक स्ट्रा की विश्वसनीयता ही सवालों के घेरे में हैं। ब्रिटिश सरकार के धन से संचालित बी.बी.सी. और अपने देश के हितों का पोषक भी है। इतनी ही नहीं, वह अपनी वामपंथी विचारधारा के कारण उसके समाचारों, रिर्पोट्स, डाक्यूमेण्ट्री में निष्पक्षता/तटस्थता के स्थान पर पक्षधरता भी स्पष्ट दिखायी देती है। धुर वामपंथी चरित्र/आचरण के कारण बी.बी.सी. की अपने देश ब्रिटेन में ही विश्वसनीयता नहीं है। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेटे थैचर बी.बी.सी. को ‘बोल्शेविक ब्राडकास्टिंग कोरपोरेशन’ कहा करती थीं। उनका आरोप था कि उन्होंने तीन चुनाव लेबर पार्टी से नहीं, वरन् बी.बी.सी. के विरुद्ध लड़े हैं। ‘इण्डियाः द मोदी क्वेश्चन’ विवाद पर भी जहाँ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बी.बी.सी. के विचारों से असहमति व्यक्त की है, वहीं लार्ड रामी रेंजर, लार्ड डालर पोपट सहित ब्रिटेन के अनेक राजनेताओं ने बी.बी.सी. की घोर निन्दा और आलोचना की है। बी.बी.सी. का रुख सदैव से भारत तथा हिन्दू विरोधी रहा है। चाहे भारत के पाकिस्तान के साथ सन् 1965, 1971, 1999 (कारगिल युद्ध)युद्ध हों या फिर खालिस्तानी आतंकवाद या फिर कुछ समय पहले लेस्टर दंगे का प्रसारण रहा हो। इससे पहले सन् 2015 में बी.बी.सी. द्वारा निर्मित डाक्यूमेण्ट्री ‘इण्डियाज डाटर’ भी विवादित रही थी, जो ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ पर प्रसारित होने के बनायी गई थी,पर प्रसारण से पूर्व उसका वह हिस्सा जिसमें भारत की तुलना में ं पश्चिमी देशों में महिला यौन उत्पीड़न के अधिक आँकड़ें दर्शाता था,हटा दिया। कुछ ऐसे ही सन् 2008 के मुम्बई पर हमला करने वाले पाकिस्तानी दहशतगर्दों को गनमैन बताया था। इसके विरोध में तब प्रख्यात पत्रकार एम.जे.अकबर ने चैनलों में हिस्सा लेने से इन्कार कर दिया था। इधर ब्रिटेन के विदेश सचिव जैक स्ट्रा की गणना सच्चे और ईमानदार व्यक्ति में रूप में नहीं होती है,क्योंकि इन्होंने ‘इराक जंग’ की बुनियाद तैयार करने के लिए ‘वीपंस ऑफ मॉस डिस्ट्रक्शन’ नामक दस्तावेज तैयार किया था, वह पूरी तरह निराधार और फर्जी साबित हो चुका है। वस्तुतः इराक युद्ध के पीछे जैक स्ट्रा का दिमाग माना जाता है। अब इन्हीं जैक स्ट्रा के हवाले के आधार पर ‘इण्डियाः द मोदी क्वेश्चन’डाक्यूमेण्ट्री बनी है। इस डाक्यूमेण्ट्री को 2002के गुजरात दंगे की प्रमाणिक फिल्म बताया जा रहा है, उसके फर्जी होने का पता इस तथ्य से चलता है कि इसमें गोधरा काण्ड की झलक भर दिखायी गई है, जिसमें 27 फरवरी,2002 को साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 में अयोध्या से आ रहे कारसेवक सवार थे। इसमें इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। जब वे निकलने की कोशिश कर रहे थे, तो पत्थर वर्षा कर उन्हें न निकलने दिया और न ही लोगों को उनका बचाव ही करने दिया था। परिणामतः 59 कारसेवक जलकर मार गए। उसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे, क्योंकि यहाँ बहुत पहले से इस्लामिक कट्टरपंथी आए दिन किसी न किसी बहाने दंगा कर हिन्दुओं पर कहर बरसाते आए थे,जिनसे हिन्दुओं में भारी नाराजगी थी। तब दंगे शुरू होते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तत्काल पुलिस ही नहीं, सेना को भी दंगे रोकने के लिए बुलाया था। उन्होंने अपने स्तर पर हर सम्भव उपाय किये थे। इस दंगे में पुलिस की गोली से मरने वाले दंगाइयों में मुसलमानों से कुछ कम हिन्दू भी थे। इसके बाद केन्द्र में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के नेतृत्व वाली ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन’(यूपीए) सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एस.आइ.टी.की जाँच की थी। उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट दी है, फिर भी अपने दुराग्रह/पूर्वाग्रह और सियासी स्वार्थों के कारण उन्हें बार-बार बदनाम और दोषी ठहराने की कोशिशें की जाती रही हैं इन लोगों को न भारत के पुलिस, न्याय व्यवस्था, सर्वाच्च न्यायालय पर विश्वास है, पर पराये मुल्क की संस्था बी.बी.सी. पर पूरा भरोसा है,जो अब भी अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त है। अब ये लोग नरेन्द्र मोदी विरोध करते-करते, देश को बदनाम करने पर उतर आए हैं।
इस बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बनी बी.बी.सी. की आपत्तिजनक डाक्यूमेण्ट्री के प्रसारण के समय को लेकर सवाल उठाया है।कहा है कि यह प्रसारण ऐसा पर हुआ है जब भारत प्रतिष्ठित जी 20 समूह का की अध्यक्षता कर रहा है और इसके तहत भारत में कई बडे़ आयोजन होने हैं। बहरहाल, बीबीसी और ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री जैक स्ट्रा और उन जैसे लोगों के भारतीय संस्थानों से अधिक महत्त्व देना खतरनाक चलन है। इससे देश की सम्प्रभुता प्रभावित होगी। ऐसे में सरकार को विशेष सर्तकता-सावधानी से काम लेना होगा। वैसे सम्भव हो, तो इस डाक्यूमेण्ट्री के प्रसारण के तथ्यों और उसकी मंशा को लेकर बी.बी.सी. के खिलाफ सक्षम न्यायालय में केस दायर किया जाना चाहिए। अब जिन लोगों ने प्रतिबन्ध के बाद भी ‘इण्डियाः द मोदी क्वेश्चेन’ का प्रदर्शन करा कर कानून का उल्लंघन किया है,उन्हें भी दण्डित किया जाना जरूरी है,ताकि भविष्य में ऐसा करने से पहले सौ बार सोचने को विवश हों। इस डाक्यूमेण्ट्री को लेकर जो लोग या संस्थाएँ अपने हित साधने भारत विरोधी विचारधारा को हथियार के रूप में उपयोग करते हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई कदम करने का सही समय आ गया है।अब देखना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार कब ऐसा करती है?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003,मो.नम्बर-9411684054

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