देश-दुनिया

अब अपने पाले साँपों से परेशान है पाकिस्तान

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस गु्रप(एसएसजी) ने अशान्त खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त में बन्नू छावनी स्थित आतंकवाद विरोधी विभाग(सीटीडी)थाने पर कार्रवाई कर ‘तहरीक-ए-तालिबान’(टीटीपी)के दहशगर्दों द्वारा बंधक पाकिस्तानी सेना के साथियों को छुड़ाने में कामयाब रहा, जिन्हें उन्होंने बन्धक बनाया हुआ था। इसमें दो दर्जन से अधिक टीटीपी के दहशगत गर्दों के मारे जाने के साथ दो कमाण्डो और एक अन्य व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी है। साथ ही विशेष बल के नौ सैन्यकर्मी जख्मी हुए हैं। ये दहशतगर्द सुरक्षित अफगानिस्तान जाने के लिए हेलीकॉप्टर की माँग कर रहे थे।इनसे बन्धक छुड़ाने के लिए बातचीत चल रही थे,पर समझौता नहीं हो पाया। टीटीपी दहशतगर्दों की इस हरकत से पाकिस्तान सेना के इकबाल/साख/सम्मान को बड़ा धक्का लगा था। उसने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि जिसे दुश्मन से लड़ने के लिए पैदा किया और पाला-पोषा था,वह उसके लिए ही गम्भीर खतरा बन जाएगा। वर्तमान में जिस तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान(टीटीपी)ने उसकी नाकम दम किया हुआ, जो उसकी ही पैदाइश ही है। दरअसल,पड़ोसी अफगानिस्तान में सन्1978 में नूर मोहम्मद तराकी की सेना ने बगावत कर मार्क्सवादी पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना की। फिर 1986में लेपिटनेण्ट जनरल नजीबुल्लाह राष्ट्रपति बने। अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं का मुजाहिदों ने लगातार मुखालफत की। अमेरिका इस इलाके में सोवियत रूस का के प्रभाव को बढ़ने देना नहीं चाहता था। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान ने अपने यहाँ अफगान मुजाहिदों को पनाह और अमेरिका ने उन्हें प्रशिक्षित करने का धन तथा हथियार मुहैया कराये। इन्हीं अफगान मुजाहिदों में से ये दोनों तालिबान पैदा हुए। इन्होंने पहले सोवियत रूस की सेना को अफगानिस्तान से बेदखल किया। फिर अमेरिका को अपना वतन छोड़ कर जाने को मजबूर किया है।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का मतलब ‘पाकिस्तानी छात्रों की मुहिम/अभियान‘। ‘तालिब’से आशय छात्र/विद्यार्थी या धार्मिक/मजहबी तालीम माँगने वाला तथा ‘तहरीक’ का मतलब मुहिम/अभियान। कुछ लोग 15अगस्त,2021 से अफगानिस्तान की हुकूमत पर काबिज ‘तालिबान’ और ‘तहरीक-ए-तालिबान(टीटीपी) को एक समझते हैं। हकीकत में ये दोनों अलग-अलग हैं। यह अफगानिस्तान के तालिबाने से अलग है,किन्तु यह उसकी विचारधारा का समर्थन करता है। टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी शासन कायम करना है। इसका गठन दिसम्बर, 2007 में 13इस्लामिक दहशतगर्द गुटों से मिलाकर की थी। पाकिस्तानी तालिबानी अक्सर पाकिस्तानी राज्यों को अपना निशाना बनाता आया है। लेकिन कई खुफिया एजेन्सियों का मानना है कि इस संगठन का असल मकसद अमेरिका के कई बड़े शहरों को निशाना बनाना है।
इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘अल कायदा’ से टीटीपी के गहरे रिश्ते माने जाते हैं। मई, 2010 को न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर हुए हमले में टीटीपी का नाम सामने आया था। इस संगठन ने ही ओसामा बिन लादेन के बाद अमेरिका पर हमले की धमकी दी थी तहरीक-ए-तालिबान के छह आतंकवादियों ने पाकिस्तान के पेशावर में 16 दिसम्बर,2014 का आर्मी स्कूल पर हमला किया था।इस हमले में तकरीबन 126मासूम बच्चों को जानें चली गईं। इस हमले से टीटीपी की नाम फिर से सुर्खियों में आ गया था। पाकिस्तान सरकार ने इसके बाद कई दहशतगर्द को ‘सजा-ए-मौत’ सुनायी गई थी।
टीटीपी का मकसद पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकने की है, ताकि वह इस्लामिक शरिया कानून का वहाँ पर लागू कर सके। इसके लिए टीटीपी ने पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए कई बार प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान सेना पर हमला किया था। उसने पाकिस्तानी नेताओं के कत्ल करने की कोशिश भी की है। सामान्यतः टीटीपी आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करता है, जिसके तहत वह पाकिस्तानी सेना के बहुत से सैनिकों और आम लोगों की जानें ले चुका है। टीटीपी के संस्थापक नेता बैतुल्लाह मसूद ने 30 मार्च, 2009के लाहौर की पुलिस अकेडमी पर हमले सार्वजानिक तौर पर जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में हमलावरों ने ऑटोमैटिक मशीन गनों से पुलिस रिक्रूटों की भीड़ पर गोलीबारी कर दी थी, जिसमें आठ की मौत हो गई थी,जबकि 100 घायल हो गए थे। पिछले साल अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तान पर टीम के हमले बढ़े हैं। इसके बाद से ही टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच अफगान तालिबान ने मध्यस्थ की भूमिका निभायी है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत के बीच पुरानी दोस्ती अब दुश्मनी में बदलती जा रही है। वर्तमान में अफगानिस्तान की हुकूमत काबिज तालिबान और पाकिस्तान के बीच दो मुख्य मुद्दे पर तनाव बढ़ा रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान चाहता है कि अफगान हुकूमत डूरेण्ड रेखा को तस्लीम/मंजूर करे , जबकि तालिबान इसके लिए कतई तैयार नहीं है। सन् 1893में अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के बीच सर मोर्टिमर डूरेण्ड ने विभाजक डूरेण्ड रेखा खींची, जिसने अफगानों/पश्तूनों/पठानों को दो मुल्कों में बाँट दिया।इस वजह से किसी भी अफगान सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी। वर्तमान में पाकिस्तान सरकार ने अपनी अफगानिस्तान से लगी 2700किलोमीटर लम्बी सरहद पर खम्भे गाड़ने की कोशिश कर रही है,तालिबान सरकार उसकी मुखालफत कर रही है। हालात तब और बिगड़ गए जब तालिबान के लोगों ने पाकिस्तानी सेना के सामने ही तमाम तारों को बुल्डोजर की सहायत से उखाड़ फेंका। इतना ही नहीं, उनका सामान जब्त करके अपने साथ ले गए। मोईद युसूफ इस मामले को हल करने के लिए काबुल गए। लेकिन तालिबान ने उनकी बात नहीं मानी। सोशल मीडिया पर तमाम ऐसे वीडियो वायरल है,जहाँ तालिबान के लड़ाकू पाकिस्तानी फौज को धमका रहे हैं और पाक फौज दबाव में पीछे हट रही है।
दूसरे मामले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान /टीटीपी से सम्बन्धित हैं। टीटीपी पाकिस्तान में लगातार हमले कर रहा है। अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत टीटीपी पर लगाम कसने के बजाय इसे पाकिस्तान के अन्तरिक मामला बता रही है।
उक्त तथ्यों का उल्लेख एक अमेरिकी थिंक रिपोर्ट में है। वाशिंगटन स्थित ‘ग्लोबल स्टार्स ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान और अफगान तालिबान के रिश्ते बहुत खराब हो चुके हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तान नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मोइद युसूफ को भी काबुल दौरे में रिश्ते दुरुस्त करने कामयाबी नहीं मिली। पिछले हपते हुए इस दौरे के फौरन बाद पाकिस्तान में टीटीपी ने एक के बाद एक तीन हमले किये। इनमें कई सैनिक मारे गए। बलूचिस्तान मंे हमले मंे भी टीटीपी का ही हाथ बताया जाता है।पाकिस्तान की सेना और सरकार इस हमले में मारे गए सैनिकों की संख्या बताने से बच रही है, जबकि मीडिया रिपोर्टस के मुताबिकं 192 सैनिकों के मारे गए है। अब पाकिस्तान का यह अफसोस हो रहा कि उसने जिस तालिबान को भरपूर मदद की, अब वही उसके लिए परेशानी का सबब बन गया है। टीटीपी के दहशतगर्द बड़ी आसानी से पाकिस्तान में दाखिल होते हैं। फिर हमले करने के बाद अफगानिस्तान भाग आते हैं। पाकिस्तानी फौज अफगानिस्तान में घुसकर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
यह सब देखते और सहते हुए क्या पाकिस्तान दूसरों को डसाने के लिए साँपों को पालन बन्द करेगा, क्योंकि अब उसके पाले साँप सिर्फ फँुकार ही नहीं रहे हैं, उसे डसने से भी नहीं चूक रहे हैं। वैसे गलतियों से अब तक सबक नहीं लेने वाला पाकिस्तान आसानी से सुधार जाएगा,यह उम्मीद करना आसान नहीं है।अगर ऐसा नहीं करता,तो वह किसी और का नहीं,खुद को ही बर्बाद करेगा।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

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