राजनीति

हकीकत पर पर्देदारी की फिर नाकाम कोशिश

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित 53वें ‘भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ (आइएफएफआइ)के समापन समारोह में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की उपस्थिति में निर्णायक मण्डल के अध्यक्ष तथा इजरायल के फिल्म निर्माता नदव लैपिड द्वारा फीचर फिल्मों की विश्व प्रतिस्पर्द्धा सूची में ‘द कश्मीर फाइल्स ’ को रखे जाने पर सवाल उठते हुए यह कहा जाना कि ज्यूरी में हम सभी इस फिल्म से परेशान और हैरान थे। यह हमें ‘अभद्र दुष्प्रचार करने वाली’ (वल्गर प्रोपेगण्डा ) फिल्म की तरह लगती है, जो इस तरह के प्रतिष्ठित समारोह के कलात्मक और प्रतिस्पर्द्धा वर्ग के लिए अनुपयुक्त है। यह सब बताते हुए उन्होंने जिस तरह हकीकत पर डालते हुए भद्दे और अमर्यदित शब्दों में आलोचना की है, वह हतप्रभ करने वाली और किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उनके इस पूर्वाग्रह/दुराग्रहाग्रस्त वक्तव्य/कुकृत्य की जितना निन्दा की जाए, वह कम ही होगी। वह फिल्म में स्तर सम्बन्धित और अन्य त्रुटियों की दूसरे फिल्मों की भाँति सम्यक् समीक्षा कर सकते हैं,तब निर्णायक मण्डल के अध्यक्ष के रूप में उनका कहा स्वीकार्य होता।
वैसे इजरायली फिल्म निर्माता लैपिड ने यह सब अनायास नहीं, बल्कि षड्यंत्र के तहत भारत-इजरायल के रिश्ते बिगाड़ने और अपने मुल्क की अन्दुरूनी सियासत के तहत मौजूदा इजरायल सरकार को नीचा दिखाने के इरादे किया प्रतीत होता है। वैसे इनके कहे को सही मानने/ठहराने वालों में से किसी ने भी इस इजरायली फिल्म निर्माता से यह प्रश्न करने की जरूरत नहीं समझी कि वह जम्मू-कश्मीर के बारे में कितना जानते-समझते हैं? क्या उन्हें नब्बे के दशक में इस्लामिक कट्टरपंथियों/जेहादियों द्वारा कश्मीरी हिन्दुओं/पण्डितों को बन्दूक के जोर पर उन्हें कश्मीर घाटी से अपना सबकुछ छोड़ कर पलायन करने, उनकी बहन-बेटियों के साथ बलात्कार, अपहरण, लूटपाट की जानकारी है? क्या इन तीन दशकों से अधिक समय तक शिविरों में रहते उन्हें कैसी-कैसी मुसीबतों को झेलना पड़ा, इसका उनको कुछ पता है? अगर नहीं, तो उन्होंने किस हैसियत से ‘द कश्मीर फाइल्स’को प्रोपेगण्डा और अश्लील/वल्गर फिल्म करार बता दिया। शर्म और अफसोस की बात यह है कि एक यहूदी और इजरायली होने के नाते नदव लैपिड से यह कतई उम्मीद नहीं थी कि वह हकीकत पर पर्देदारी करने/सच को झूठ साबित करने की इस तरह की नाकाम कोशिश करंेगे ,जिसकी कौम भी नाजी जर्मनों के नरसंहार(होलोकास्ट) का शिकार हुई थी। उस यहूदी नरसंहार पर ‘शिंडर्स लिस्ट’ जैसी विश्व प्रसिद्ध फिल्में भी बनी हैं। वैसे भी किसी दूसरे के दर्द/तकलीफ को समझ पाना हर किसी के बस/बूते की बात नहीं,पर किसी की दर्द/पीड़ा पर अकारण अशोभनीय टिप्पणी करने के लिए निहायत ही बदतमीज/क्रूर/पत्थर दिल और संवेदनहीन होना पड़ता है, नदव लैपिड ने यही तो किया है। घिन आती है,ऐसी शख्सयितों पर और शक होता है उनकी संवेदनशील फिल्म बनाने की काबिलियत पर ।
अब जहाँ तक ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की बात है, तो इस फिल्म के निर्माता/निर्देशक विवेक अग्निहोत्री स्वयं कश्मीरी हिन्दू हैं। उन्होंने यह फिल्म उस जनसंहार के पीड़ित और विस्थापित सैकड़ों कश्मीरी हिन्दुओं/पण्डितों से साक्षात्कार कर, पा्रमाणिक जानकारी और दस्तावेजों पर शोध कर सत्य घटनाओं पर यह फिल्म बनायी है। इस फिल्म की कहानी को फर्जी/झूठी बताने/साबित करने वालों में बहुत से सियासी नेता और फिल्मी दुनिया से जुड़ी शख्सियतें रही हैं, पर उनमें से कोई भी फिल्म निर्माता इस फिल्म के किसी भी दृश्य को असत्य सिद्ध करने को अभी तक आगे नहीं आया है और न ही इनमें से किसी ने न्यायालय में इस फिल्म के किसी भी हिस्से को झूठा साबित करने को मुकदमा ही दायर किया है।
अफसोस की बात है कि आयोजनकर्ताओं ने नदव लैपिड को फिल्म महोत्सव में आमंत्रित करने से पहले उनकी वैचारिक पृष्ठभूमि जानने में बड़ी चूक की है, इस कारण अच्छे भले महोत्सव की जग हँसाई हुई है। इजरायल के फिल्म निर्माता के इस अक्षम्य अपराध/दुष्कृत्य से दोनों मुल्कों के रिश्तों को नुकसान पहुँचे, इससे पहले इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने नदव लैपिड के बयान की निन्दा करते हुए उसे शर्मनाक बताया है। उनका यह कहना सही है कि सम्भवतः उन्हें इतिहास का सही-सही ज्ञान नहीं है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत और इजरायल देशों के लोगों की मित्रता बहुत सुदृढ़ है। यह लैपिड द्वारा पहुँचायी गई क्षति को सहन कर लेगी। एक मनुष्य के रूप में मुझे शर्मिन्दगी महसूस हो रही है, क्योंकि हमने अपने अतिथियों की भलमनसाहत और दोस्ती का जो बुरा सिला दिया है। लैपिड को इस कृत्य के लिए शर्मिन्दा होना चाहिए और माफी माँगनी चाहिए।
वैसे भी भारत के दुश्मन सरहद पार ही नहीं, उसके अन्दर भी बहुतरे हैं। ऐसा ही इस बार भी हुआ। जैसे ही इजरायली फिल्म निर्माता नदव लैपिड ने बयान दिया, वैसे ही पंथनिरपेक्षता, वामपंथी विचारधारा,मानवाधिकारवादियों और शहरी नक्सलों के झण्डाबरदारों, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी/भाजपा विरोधियों ने खुशी मनाना शुरू कर दिया, जैसे उन्हें संजीवनी/मन माँगी मुराद या अपने कहें फिल्म की कहानी झूठी होने के पुख्ता सुबूत मिल हांे। उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट करने शुरू कर दिये। फिर क्या था, एक बार फिर विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित ‘द कश्मीर फाइल्स’ चर्चा में आ गई। इसी मुद्दे पर बॉलीवुड के कलाकार दो गुटों में बँट गए। एक ओर फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री, अभिनेता अनुपम खेर, अभिनेता दर्शन कुमार आदि,तो दूसरे ओर अभिनेत्री स्वरा भास्कर, दक्षिण भारतीय फिल्मों के अभिनेता प्रकाशराज इत्यादि। अभिनेत्री स्वरा भास्कर पहले भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर सवाल खड़ी चुकी हैं। अब नदव लैपिड पर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, ‘लीजिए एक बार फिर दुनिया में जगजाहिर हो गया।’ इस ट्वीट के जरिए स्वरा भास्कर ने इशारा किया, कि वह भी हम से सहमत हैं। उन्हें भी ये फिल्म प्रोपेगेण्ड लगती है, वहीं अभिनेता प्रकाशराज ने व्यंग्य करते हुए लिखा, ‘बेशर्मी ऑफिशियल हो गई।’ इनका साथ देते हुए काँग्रेस के नेता सलीम अहमद ने भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में नदव लैपिड के कहे को सही माना। भाजपा से अपने शत्रुता निभाते हुए शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसद तथा पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने कहा, ‘यह प्रोपेगेण्डा था एक पार्टी का।
इन सभी पर पलट वार करते हुए ‘द कश्मीर फाइल्स’के अभिनेता अनुपम खेर ने भी लैपिड पर के साथ कथित टूल किट पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक आन्दोलन है और कई लोगों को यह सच पच नहीं रहा है। जो सच जितना भद्दा और नंगा है, उसे अगर आप देख नहीं पाते तो आँखें बन्द कर लीजिए और मुँह सिल लीजिए, क्योंकि हम इस सच के भुगतभोगी हैं। हमने और हमारी बहन-बेटियों ने इस सच को झेला है।’ उधर ‘ द कश्मीर फाइल्स’के निर्माता/निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा, ‘यह मेरे लिए नई बात नहीं है, क्योंकि इस तरह के बातें सारे आतंकवादी संगठन, शहरी नक्सवादी और भारत को टुकड़े-टुकड़े करने का सपना देखने वाले लोग हमेशा से कहते आए हैं। आज मैं विश्व के सारे बुद्धिजीवियों और इन अर्बन नक्सलियों को चुनौती देता हूँ कि इजरायल से आए फिल्म निर्माता को भी चैलेंज करता हूँ कि ‘द कश्मीर फाइल्स का कोई भी एक शाट या संवाद साबित कर दें कि यह सत्य नहीं है, तो मैं फिल्में बनाना छोड़ दूँगा।’
दरअसल, अपने देश में एक ऐसा वर्ग है,जो संविधान, पंथनिरपेक्षता, समरसता, वामपंथी विचारों का पोषक जरूर बताता है,लेकिन हकीकत में उसे इस देश और उसके हितों से कोई सरोकार नहीं है। ये वर्ग हर उस शख्स/वर्ग के साथ है,जो इस देश को बर्बाद/तोड़ना चाहता है। अगर ऐसा नही ंतो उनका उस टुकड़े-टुकड़े गिरोह, जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों/इस्लामिक कट्टरपंथियों और पूर्वात्तर राज्यों को भारत से अलग करने वालों से खास लगाव और रिश्ता क्यों हैं? अभिनेत्री स्वरा भास्कर, तापसी पन्नू, अभिनेता आमिर खान, जावेद अख्तर, जावेद जाफरी, दक्षिणी भारतीय फिल्मों के अभिनेता प्रकाशराज, निर्देशक अनुराग कश्यप आदि इसी वर्ग से आते हैं। इनमें वामपंथी पार्टियाँ, नक्सलवादी, कुछ साहित्यकार, पत्रकार और मीडिया हाउस भी शामिल हैं, ऐसा गुनाह बार-बार करने के ये आदतन गुनाहगार/अपराधी हैं। ये लोग हर उस सच्चाई को छुपाना/पर्देदारी करते हैं, ताकि उनका असली चेहरा और करतूतों कोई जान न सके। ये हर उस शख्स को बदनाम/बेइज्जत करते हैं, जो इनकी असलियत /हकीकत को सामने लाने की हिम्मत दिखाता है। इसी कारण ये ‘द कश्मीर फाइल्स’ को फर्जी/झूठी साबित करने की मुहिम चलाते आए हैं।
सम्पर्क- डॉ. बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0105368
This Month : 689
This Year : 42661

Follow Me