आगरा 28नवम्बर। सिकन्दरा स्थित मुगल बादशाह अकबर के मकबरे (अकबर टॉम्ब) के परिसर में सदियों से रह रहे और पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे कृष्णमृग/काले हिरन अब अपने आखिर दिन गिन रहे हैं। ये काले हिरन मकबरे के परिसर में उगने वाली दूब घास चरने के साथ यहाँ की झाड़ियों की पत्तियाँ खाकर और सिंचाई के लिए बनी जलप्रणालियों और कुण्ड में भरा पानी पीते थे। उछलते-कूदते, अपना धमा-चौकड़ी मचाते और अपने छोटे शावकों के साथ खेलते काले हिरन पर्यटकों को बहुत लुभाते रहे हैं। अक्सर पर्यटक अपने साथ लाए खाद्य पदार्थ हिरनों को खिलाते रहे हैं। इन काले हिरनों के बारे में बताया जाता है कि मुगल बादशाह अकबर द्वारा कबूतर,हिरन,हाथी आदि पशु-पक्षी पाले जाते थे।उसने फतेहपुर सीकरी में हिरन मीनार का निर्माण कराया ।बाद में इस मकबरे के निर्माण उनके द्वारा काले हिरनों को लाया गया था,तब से ये काले हिरन इस मकबरे की शोभा और आकर्षण का केन्द्र बने रहे। मुगल काल से इसी परिसर में रहते आए हैं।
कुछ सालों पहले तक यहाँ काले हिरनों की संख्या कोई 400 थी, जो अब पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से इन काले हिरनों की सुरक्षा को लेकर लम्बे समय से बरती जा रही उपेक्षा/लापरवाही की वजह से परिसर मंे उपस्थित हिंसक जंगली जानवरों गोदुए(जैकाल) द्वारा काले हिरनों को मार खा लिया है। वर्तमान में यहाँ सिर्फ 3 काले हिरन बचे हैं। अगर समय रहते इनकी सुरक्षा के समुचित व्यवस्था नहीं की गई,तो इनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इन हिंसक जानवरों द्वारा कभी पर्यटकों पर भी हमला किये की जाने की आशंका बनी हुई है।अगर ऐसा होता है कि तो यह स्थिति पर्यटन विभाग के लिए बदनामी का कारण बनेगा।
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