राजनीति

पंजाब के हिन्दू नेता के हत्या

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पंजाब के अमृतसर में गोपाल मन्दिर के पास खण्डित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं एवं चित्रों के अनादर के विरोध में धरना देते वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त और पुलिस अधिकारियों, पुलिस कर्मियों तथा अपने समर्थकों से घिरे हिन्दू नेता और शिवसेना (टकसाली) के अध्यक्ष 58वर्षीय सुधीर सूरी को सरेआम जिस तरह स्थानीय दुकानदार संदीप सिंह सन्नी ने अपनी लाइसेंस पिस्तौल से पाँच गोलियाँ चलाकर कर हत्या की है, उससे उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मियों और पुलिस द्वारा खालिस्तान समर्थकों से लगातार जान से मारने की मिल रहीं धमकियों को हल्के/गम्भीरता से न लेना तथा उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही/चूक सिद्ध होती है। इनका यह अपराध में किसी भी दशा में क्षमा योग्य नहीं है। पुलिस की इस घोर लापरवाही लेकर पंजाब के लोगों विशेष रूप हिन्दुओं में भारी दुःख और नाराजगी हैं।हत्या के दूसरे दिन 5अक्टूबर को हिन्दुओं और सिखों ने राज्य के कई शहरों में खालिस्तान के खिलाफ नारे लगाते हुए बाजारों को बन्द कराया।निश्चय ही है, इससे खालिस्तान समर्थक कुपित हो रहे होंगे, क्योंकि उन्होंने जिस मकसद जिस से इस राष्ट्रभक्त नेता का हत्या की है, वह नाकाम हो गया है। इस हत्या से हिन्दू खौफजदां नहीं हुए। एक अच्छी बात यह भी रही है कि इसमें सिख समुदाय के लोगों ने भी पूरा सहयोग किया। हिन्दू /शिवसेना नेता सुधीर सूरी की हत्या पर राजनीतिक दलों खासकर सत्तारूढ़ ’आम आदमी पार्टी’ (आप)की खामोशी बेहद खलने वाली है, इससे लगता है कि इन सभी को खालिस्तान समर्थकों की नाराजगी और उनसे इन्हें अपनी जान जाने का डर है। ऐसा भय तब भी दिखाई दिया था, जब वर्तमान मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान के त्याग पत्र से खाली संगरूर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से अकालीदल(अमृतसर)के प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए सिमरन जीत सिंह मान ने शहीद सरदार भगत सिंह को आतंकवादी बताने के साथ-साथ खालिस्तान की स्थापना की वकालत की थी। यह वही सिमरिन जीत सिंह मान हैं, जिन्होंने 7 जून, 1984में अमृतसर स्थित स्वर्णमन्दिर में जनरैल सिंह भिण्डरवाला तथा उनके समर्थकों को निकालने के लिए सेना के ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’ किये जाने के विरोध में पुलिस अधिकारी के पद से इस्तीफा देकर विद्रोह किया था ,तब उस समय सभी सियासती पार्टियाँ उनके शहीद भगतसिंह के चरित्र हनन करने पर खामोश रही थीं, क्योंकि सिमरनजीत सिंह मान को भी खालिस्तानियों का समर्थक समझा जाता है।इससे पंजाब में खालिस्तान समर्थकों के दबबे का अन्दाज लगाना मुश्किल नहीं है। गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 में गैर कानूनी गतिविधियों अधिनियम-1967के तहत सिख फॉर जास्टिस(एस.जे.एफ.)को गैर कानूनी संघ के रूप में घोषित करने के अलावा खालिस्तानी आन्दोलन रोकने लिए एक जुलाई, 2020 को नौ खालिस्तानियों को औपचारिक रूप से अगस्त, 2019 में संशोधित यूपीए (अनलॉफुल प्रिवेशन एक्ट)के तहत आतंकवादी के रूप में नामित किया था। वर्तमान में खालिस्तान समर्थक सिख इंग्लैण्ड, अमेरिका, कनाडा, पाकिस्तान में बसे हुए हैं, जो पंजाब में अपने समर्थकों को अनुचित/देश विरोधी कार्य करने को उकसाते/भड़काते रहते हैं। केन्द्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आन्दोलन में खालिस्तानियों का खुला समर्थन,सहायता, सहयोग रहा था। इन्होंने 26 जनवरी में लाल किले पर तिरंगे की बेअदबी की थी। इसके बाद पॉप सिंगर मूसा वाले की हत्या में भी खालिस्तान समर्थकों का हाथ रहा है।
वैसे भी पंजाब में जब से ‘आप’ सत्तारूढ़ हुई है,तब से खालिस्तान समर्थकों के हौसले कुछ ज्यादा बढ़े गए हैं। इससे पहले कनाडा में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर खालिस्तान समर्थकों ने जब खालिस्तान दिवस पर बंठिडा में जुलूस निकाला था, तब शिवसेना और हिन्दू संगठनों ने उसका खुलकर विरोध किया था। उस समय खालिस्तान समर्थकों ने उन पर गुरुद्वारों की छतों से पत्थरबाजी करने के साथ हाथ में तलवार लेकर उन पर हमले करने की कोशिश की थी। ऐसा लगता है कि पंजाब में खालिस्तानियों की भारी दहशत है, तभी तो पुलिस खालिस्तानियों द्वारा जान से धमकी देने वाले सुधीर सूरी की सुरक्षा करने से बचत दिखायी दी। अगर ऐसा नहीं होता, तो क्या वाई श्रेणी के तहत सुरक्षा के लिए 15सुरक्षाकर्मियों में से 12 तथा 8से 10अन्य पुलिस अधिकारी तथा पुलिसकर्मियों मौजूद रहते हत्यारा सुधीर सूरी के जान लेने में आसानी से ले पाता। उसके गोली चलाने के बाद इनमें से किसी सुरक्षाकर्मी ने हत्यारे पर गोली चलाना जरूरी नहीं समझा, इनकी यह हरकत इन सभी सुरक्षकमियों की नीति- नीयत पर शक-सन्देह पैदा करती है। हालाँकि अब न केवल सुधीर सूरी का हत्यारा संदीप सिंह सन्नी मौके पर पकड़ लिया गया, बल्कि उसकी पिस्तौल भी बरामद कर ली है। इसके साथ पुलिस ने पूछताछ के लिए उसे रिमाण्ड पर ले लिया है, ताकि सूरी को मारने के पीछे लेकर असल वजह का पता लगाया जा सके।
एक माह पहले कनाडा में रहे रहे खालिस्तानी लखबीर सिंह लंडा के कुछ गुर्गे अमृतसर में पकड़े गए थे। उनसे पूछताछ में सामने आया था कि उन्हें सूरी को मारने की सुपारी दी गई। इसके सिवाय दो दिन पहले केन्द्रीय खुफिया एजेन्सियांे ने सूरी की हत्या की आशंका जताते हुए पंजाब पुलिस को अलर्ट भेजा था। सूरी के साथी कौशल शर्मा ने बताया कि 3अक्टूबर की रात को सूरी ने बातचीत मे ं अपनी हत्या की आशंका भी जतायी थी। गाड़ी में मिले कागज पर हिन्दू नेताओं और पादरियों के फोटो आरोपित की गाड़ी से कुछ कागज मिले हैं, जिसे कुछ हिन्दू नेताओं, पादरियों और गर्मख्यालियों के फोटो छपे हुए हैं। इनमें कुछ हिन्दू नेताओं के फोटो पर क्रास लगा था। उसकी गाड़ी पर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का स्टिकर लगा मिला है।
अब सुधीर सूरी की हत्या क्योंकि की गई और उनकी जान लेने के पीछे किस संगठन का हाथ है,इसका पता तो पुलिस और जाँच एजेन्सियों की जाँच-पड़ताल के बाद ही चलेगा। लेकिन इतना तो सभी का पता है कि सुधीर सूरी कट्टर राष्ट्रभक्त और हिन्दूवादी नेता थे, इसमें शायद ही किसी को सन्देह हो। वह खुले आम खालिस्तान का विरोध करते थे। ऐसे में खालिस्तानियों की उनसे नाराजगी स्वाभाविक है, जो पंजाब को हिन्दू विहीन करना चाहते हैं। इन्होंने आठवें दशक में कोई 22से 26हजार तक हिन्दुओं की हत्या की थी और उस दौरान हिन्दू और सिखों को मिलाकर 36हजार लोग मारे गए थे। खालिस्तानियों के खालिस्तान की स्थापना के ख्वाब को पाकिस्तान की मदद हासिल थी, जो भारत से सन् 1971 युद्ध में पूर्वी बंगाल की हार का बदला लेना चाहता था। लेकिन काँग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअन्त सिंह और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक के.पी.एस.गिल ने खालिस्तानियों का कठोरता से दमन कर खात्मा कर दिया था। यह अलग बात है कि बाद में खालिस्तानियों ने बेअन्त सिंह की भी जान ले ली। खालिस्तानी अब भी अपने इस ख्वाब को पूरा करना चाहते है,लेकिन सुधीर सूरी और दूसरे राष्ट्रभक्त सिख इसमें बाधक बने हुए हैं। ऐसे में पंजाब पुलिस के लिए यह जरूरी है कि सुधीर सूरी जैसे देशप्रेमियों के हत्यारों को नमूने की सजा दिलाये,ताकि खालिस्तानियों के ख्वाब को पलीता लगाया जा सके।
सम्पर्क-डॉ. बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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