डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल द्वारा पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहसिना किदवई की जीवनी के विमोचन के अवसर कहा कि ‘जिहाद’ की अवधारणा केवल इस्लाम मजहब में ही नहीं, बल्कि श्रीमद्भगवद् गीता और ईसाई धर्म में भी है। यह तुलना उन्होंने अचानक और बगैर सोचे-विचारे नहीं की है, बल्कि बाकायदा पूरी तरह सियासी नफा-नुकसान का हिसाब-किताब लगाकर की है। इस तरह की टिप्पणी करने
के पीछे उनका इरादा ‘इस्लाम’ का बचाव करना है और मुसलमानों को फिर से काँग्रेस की ओर आकर्षित करना है, जो उसे छोड़कर सपा, बसपा, आप आदि दूसरे सियासी पार्टियों से जुड़ गए हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने जा रहे विधानसभा और कुछ राज्यों में नगर निगमों के चुनावों को देखते हुए उनका द्वारा उक्त बयान दिये जाना स्वाभाविक है। लेकिन इस्लाम मानने वालों को खुश करने के लिए इस बार उन्होंने सारी हदें पार कर दीं। श्री पाटिल ने ‘श्रीमद्भगवद् गीता‘ को ही दाँव लगा दिया और उसे जिहाद की सीख देने वाला बता दिया।
निश्चय ही यह बयान देते वक्त शिवराज पाटिल अच्छी तरह जानते थे कि इससे हिन्दुओं की भावनाएँ आहत होंगी, पर उन्होंने और उनकी पार्टी काँग्रेस ने इनकी परवाह कब की है? आश्चर्य की बात यह है कि ऐसी तुलना करते हुए लगता है श्री पाटिल ने अपने नेता और प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखित ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ को नहीं पढ़ा है जिसमें उन्होंने साफ लिखा है कि गीता का सन्देश न साम्प्रदायिक है और न ही किसी विशेष विचारधारा को सम्बोधित है, बल्कि यह सार्वभौमिक है।’
शिवराज पाटिल की असल मंशा को जानते हुए ही अब भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूना ने यह कहा कि उनके इस बयान से काँग्रेस के मन में हिन्दुओं के खिलाफ गहरे बैठी नफरत साफ दिखायी देती है। भाजपा का यह आरोप भी सही है कि यह उसकी वोट बैंक की राजनीति है। मामले को तूल पकड़ता देख काँग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट के माध्यम से सफाई देते हुए शिवराज पाटिल के बयान को अस्वीकार्य करार दिया है। काँग्रेस के लिए ‘श्रीमद्भगवद् गीता’ भारतीय सभ्यता का एक प्रमुख आधार स्तम्भ है।यह सच भी है। पर इसके बाद भी शिवराज पाटिल ने खेद जताने के बजाय ठिठाई दिखाते हुए एक और विवादित बयान देते हुए कहा कि महात्मा गाँधी को मारना जिहाद है।वैसे नाथूराम गोडसे उनकी हत्या किसी मजहबी वजह से नहीं,उनके द्वारा देश के बँटवारे के समय पाकिस्तान के हिस्से 55करोड़ रुपए दिये जाने के लिए की जिद/अनशन करने से नाराज होकर की थी,जबकि पाकिस्तान से आने वाली रेले हिन्दुओं की लाशों से भरी हुई आ रही थीं।इससे उस समय पूरे देश के लोगों में पाकिस्तान को लेकर भारी गुस्सा और नाराजगी फैली हुई थी।
हकीकत यह है कि शिवराज पाटिल ने ‘श्रीमद्भगवद् गीता‘,डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’,बाइबिल और ‘जिहाद’ के बारे में जरूर पढ़ा होगा, पर वे ‘जिहाद’ की चर्चा छेड़ कर इस्लाम और उनके अनुयायियों को लेकर वर्तमान में अपने देश और दुनिया भर के लोगों में फैले शक-शुबहा और दहशत को मिटाना चाहते हैं। इसी मकसद से वह ‘जिहाद’की अवधारणा का दूसरे धर्मों/मजहबों के समकक्ष लाना चाहते हैं। अब आते काँग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल के बयान पर,जिसमें जिहाद के विषय में उन्होंने कहा है। इस्लाम धर्म में जिहाद की बहुत चर्चा है। यह अवधारणा तब सामने आती है जब सही इरादे और सही काम करने के बावजूद कोई नहीं समझता, तब कहा जाता है कि कोई बल प्रयोग कर सकता है। शिवराज पाटिल ने अपनी इस टिप्पणी में यह दावा किया है कि जिहाद सिर्फ कुरान में ही नहीं, बल्कि महाभारत के अन्दर जो गीता का भाग है उसमें भी है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जिहाद का पाठ पढ़ाया था।
वैसे ‘जिहाद’ एक अरबी शब्द है जिसका मतलब/अर्थ दीन-ए-हक की और बुलाने तथा उससे इनकार करने वाले से जंग करने को या संघर्ष करने को कहते हैं। कुरान में इसका जिक्र बहुत साफ है। ‘जिहाद’ का अर्थ है खुद की बुराइयों पर जीत हासिल करना है। इस्लाम के जानकार मानते हैं कि जिहाद का शब्दिक अर्थ ‘अत्यधिक प्रयास’ भी है। अत्यधिक प्रयास का अर्थ है खुद में बदलाव करने की बड़ी कोशिश। कुछ परिस्थितियों में जिहाद को अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना बताया जाता है। मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि जिहाद कभी दूसरे के खिलाफ नहीं,बल्कि खुद के अन्दर बैठी बुराइयों पर पार पाने के लिए कोशिश है। इससे इतर एक तबका वह भी जो मानता है कि जिहाद हमेशा बाहरी दुश्मनों के खिलाफ छेड़ा जाता है।
जिहाद का हिन्दी में अर्थ- प्रयत्न,सुरक्षात्मक युद्ध, धर्म -युद्ध, धर्म की सुरक्षा। जिहाद का कुरान में स्पष्ट उल्लेख नहीं है, पर इसका अर्थ कभी दूसरों को मारने के लिए नहीं हुआ। इसका इस्तेमाल अलग-अलग कार्य के लिए इस्तेमाल हुआ है ,किन्तु आतंकवादी अपने काम को ‘जिहाद’ बोलते हैं। जहाँ तक हकीकत का सवाल है तो दूसरे मुल्कों के इस्लामिक आक्रान्ता भारत और दुनिया के दूसरे देशों पर इसी की आड़ लेकर गैर मुसलमानों के सामूहिक नरसंहार और लूटपाट करते आए हैं,इसे कुछ लोग ‘सियासी इस्लाम’ बताते हैं। वर्तमान में अपने देश और इस्लामिक मुल्कों में खून-खराबे के पीछे कहीं न कहीं इसकी यही गलत व्याख्या है। जहाँ तक श्रीमद्भगवद् गीता’के भगवान श्रीकृष्ण के अर्जुन का उपदेश देने का प्रश्न है,उसमें पाप का विनाश करने के लिए शस्त्र उठाने को कहा है। किसी मत/मजहब/धर्म के लोगों को मारने की बात नहीं कही है। श्रीमद्भगवद् गीता को पढ़कर आजतक किसी हिन्दू ने न तो सेना/दल बनाया और न कभी किसने किसी गैर धर्म के मानने वाले की हत्या की है। इसी तरह बाइबिल में क्या कहा/लिखा है,पता नहीं। लेकिन ईसाई मत मानने वालों ने एक हाथ में बाइबिल और दूसरे हाथ में बन्दूक लेकर दुनिया(एशिया,अफ्रीका,उत्तर-दक्षिण अमेरिका) जरूर फतेह की थी। वे ‘क्रूसेड’(धर्मयुद्ध) भी कर चुके हैं।
दरअसल, काँग्रेस और उसके ज्यादातर नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आर.एस.एस.)का विरोध करते-करते वे हिन्दुओं, हिन्दू धर्म और देश का विरोध करने पर कब उतर आते हैं, उन्हें यह पता नहीं रहता। तभी तो राहुल गाँधी हिन्दू और हिन्दुत्व को अलग बताने लगते हैं।उनके अनुसार आगे से वार करने वाला हिन्दू और पीछे हमला करने वाला हिन्दुत्ववादी है। काँग्रेस अपनी सियासती फायदे के लिए वतन परस्त और वतनफरोश का फर्क पहले भुला चुकी है, अगर ऐसा नहीं होता,तो क्या वह कश्मीर घाटी से इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा कश्मीरी पण्डितों को बन्दूक के जोर पर पलायन अपनी आँखें मूँदे रखती है? अब राहुल गाँधी ‘भारत जोड़ा यात्रा’पर निकले हुए हैं,लेकिन वे देश जोड़ने के नाम पर भाजपा, आर.एस.एस.को गरयाने के साथ-साथ हिन्दुओं विरोधियों से मिल रहे हैं और हिन्दूफोबिया फैला रहे हैं ,जैसे इन्हीं ने उन्हें सत्ता से बाहर किया हो और उन्होंने और दूसरे काँग्रेसियों कोई खता नहीं की है।
वैसे हकीकत यही है। अब इसी मकसद से केन्द्रीय गृहमंत्री रहते सुशील कुमार शिन्दे ने‘हिन्दू आतंकवाद’/‘भगवा आतंकवाद‘ का शब्द का आविष्कार कर देश भर में बम विस्फोटों के लिए हिन्दुओं को बदनाम करने को कुत्सित प्रयास किया था। उनके नक्शे कदम पर चलते हुए मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तो 26 सितम्बर,2008के मुम्बई पर हमले में राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ(आर.एस.एस.)का हाथ बता दिया था,वह तो उनके दुर्भाग्य से पाकिस्तानी दहशतगर्द अजमल कसाब मौके पर जिन्दा पकड़ा गया, जिसने उनकी साजिश को नाकाम कर दिया। इतना ही नहीं,उन्होंने साजिश के तहत साध्वी प्रज्ञा ठाकुर,कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत कई निर्दोष लोगों को जेल में डालकर बहुत यातनाएँ दिलायी थीं। वैसे भी काँग्रेस का अल्पसंख्यक प्रेम और तुष्टिकरण की नीति जगजाहिर है। 20जुलाई,2009को राहुल गाँधी ने अमेरिकी राजदूत से कहा,‘‘इस्लामिक आतंकवाद से बड़ा खतरा है ‘हिन्दू आतंकवाद’। 17दिसम्बर,2008को काँग्रेस के सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ए.आर.अन्तुले ने संसद में संकेत दिया था कि मुम्बई हमले के पीछे हिन्दू हो सकते हैं। 2008में दिल्ली के जामिया-मिलिया में स्थित बाटल हाउस में जैश -ए-मुहम्मद के आतंकवादियों से मुठभेड़ में इन्सपेक्टर मोहन चन्द शर्मा शहीद हुए थे। ये आतंकवादी नयी दिल्ली को दहलाने के लिए इकट्ठे हुए थे। तब इन दहशतगर्दों की मौत पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि उनकी मौत की खबर सोनिया गाँधी जी की आँखों में आँसू आ गए और उन्हें रातभर नींद नहीं आयी । एक बार राहुल गाँधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवाद की जड़ भी बता चुके हैं। 2013में हाफिज सईद तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील शिन्दे को ‘हिन्दू आतंकवाद’ कहने पर बधाई दी थी।‘भगवा आतंकवाद’काँग्रेस की ईजाद है,दूसरे ज्यादातर बम विस्फोटों में एक ही समुदायों के लोगों के गिरपतार होने पर यह सफाई जरूर दी कि आतंकवाद का कोई मजहब या रंग नहीं होता।
यूपीए की सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुलकर कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। लेकिन काँग्रेस का एक वर्ग यह अच्छी तरह जानता-मानता है कि उनकी पार्टी की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीति के चलते पार्टी से बहुसंख्यक हिन्दू दूर हो गया है। इसलिए उसे विभिन्न चुनावों में हार पर हार मिल रही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों मे उसकी पार्टी के इतने उम्मीदवार भी नहीं जीत पाए,कि उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके। वर्तमान में पार्टी सिर्फ दो राज्यों राजस्थान,छत्तीसगढ़ में सत्ता में हैं। इसके सिवाय झारखण्ड की मिलीजुली सरकार में भी शामिल है। उसके पराभव में मुख्य कारण अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीति है।
काँग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल के जिहाद, श्रीमद्भगवद् गीता, ईसाई धर्म पर दिये वक्तव्य से खुद अलग जरूर किया है, पर इतने से काम चलने वाला नहीं है। उसके लिए केवल अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के सहारे सत्ता हासिल करने सम्भव नहीं है। अगर दोबारा काँग्रेस को देश और विभिन्न राज्यों में चुनावी सफलता पानी है,तो उसे देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं का फिर से विश्वास प्राप्त करना होगा। इसके लिए उसे अपने सभी नेताओं को यह तकीद करना होगा कि वे ऐसे बयान देने से बचें, जिनसे हिन्दुओं की भावनाएँ आहत होती हों।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054 सम्भव नहीं है।
कितना खुद को गिराएँगे शिवराज पाटिल

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