राजनीति

दहशतगर्द का महिमामण्डन

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों मुम्बई की सिलसिलेबार बम धमाकों से दहलाने के आरोप में फाँसी सजा पाए इस्लामिक कटट्रपंथी दहशतगर्द याकूब मेमन की कब्र को मजार बनाये जाने का जो खुलासा हुआ है, वह हैरान और परेशान करने वाला है। इससे देश के लोगों में भारी क्षोभ, आक्रोश, असन्तोष और नाराजगी है, जिन्होंने उन धमाकों में अपनों को खोया था। उनका कोई कसूर भी नहीं था। लेकिन इन बातों से एक वर्ग को कोई फर्क नहीं पड़ता है। फिर ऐसा पहली बार नही हुआं है। इसी वर्ग के लोग दिल्ली की जे.एन.यू.में देश की संसद पर हमले के कसूरवार रहे अफजल गुरु के समर्थन में ‘अफजल हम शर्मिन्दा हैं,तेरे कातिल जिन्दा हैं’, ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ इंशा अल्लाह,इंशा अल्लाह सरीखे नारे लगाते हैं, जैसे वह कोई वतनपरस्त शहीद या पीर-फकीर हो। अफजल गुरु विदेशी हमलावरों के साथ मिलकर देश की संसद पर हमला की साजिश करने का दोषी था और उसे फाँसी दी गई थी। जम्मू-कश्मीर का दुर्दान्त आतंकवादी बुरहान वानी के हाथ तमाम बेकसूर लोगों के खून से रंगे थे, किन्तु जब वह सुरक्षा वालों के हाथों मारा गया, तब हजारों की संख्या में लोग उसके जनाजे में शामिल हुए थे। उस समय पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुपती समेत कई कश्मीर मुस्लिम नेताओं ने उसकी मौत पर अफसोस जताया था। दरअसल, देश का एक बड़ा वर्ग जिन्हें इन्सानियत का दुश्मन और देशद्रोही मानता है, वहीं दूसरा एक छोटा वर्ग उन्हें ‘मुजाहिद’ मानता आया है, जो हिन्दुस्तान को ‘दारुल इस्लाम’ में तब्दील करने के सिलसिले को आगे बढ़े रहे हैं। यही कारण है कि दहशतगर्द याकूब मेमन को 30 जुलाई, 2015 को नागपुर की जेल में फाँसी दिये जाने के बाद जब दक्षिण मुम्बई के बड़े कब्रिस्तान के लिए उसका जनाजा निकाला गया, तब कोई पन्द्रह हजार लोग उसके घर और दफनाये जाने के वक्त कब्रिस्तान में जमा हुए थे, किन्तु इसके विपरीत ‘मिसाइल मैन’ के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के जनाजे में महज हजार लोग भी शामिल नहीं हुए । ऐसी ही मानसिकता वालों ने औरंजेब रोड का नाम बदलकर ए.पी.जे.अब्दुलकलाम मार्ग रखे जाने की खुलकर मुखालफत की थी। वैसे दहशतगर्द याकूब मेनन के जनाजे में जुटी भीड़ को देखते हुए तब यह आशंका व्यक्त की गई कि कहीं उस की कब्र को कुछ लोग मजार न बना दें। अब वह अन्देशा सच सिद्ध हो गया है। इसी वर्ष मार्च, में ‘शब-ए-बरात’ के मौके पर उसकी कब्र हैलोजन लाइट लगाकर रोशनी की गई थी। अब उसकी कब्र के चारों ओर संगमरमर लगाकर उसका सौन्दर्यीकरण किया गया। याकूब मेमन का वहाँ दफनाए जाने के बाद उसके कुछ और रिश्तेदारों को भी उसके पास ही दफनाकर सभी कब्रों को एक साथ सजावट की गई। सरकार अपने बचाव में यह दलील दे रही है कि यह निजी कब्रिस्तान है,जिसमें वह कैसे दखल देती?

वैसे भी हकीकत यह है कि देश के इस वर्ग को मुल्क के बाकी लोगों की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह है देश की सियासी पार्टियाँ हैं,जो इस वर्ग हर तरह की गैरकानूनी,देशविरोधी हरकतों की अनदेखी करती आयी हैं। ये सियासी पार्टियाँ खासकर काँग्रेस,राकाँपा,तृणमूल काँग्रेस,सपा,बसपा,नेका,पीडीपी,वामदलों को इस वर्ग एक मुश्त वोट का लालच रहा है, जिनके जरिए वह आसानी से अब तक सत्ता सुख भोगती आयी हैं।इन सियासी पार्टियों को कोई मतलब नहीं कि ऐसी घातक विचारधारा के लोगों की अनदेखी करना मुल्क के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता?
अब दहशतगर्द याकूब मेनन की कब्र को मजार बनाये जाने पर जहाँ ज्यादातर कथित उदार, सेक्युलर ,वाम पार्टियाँ पूरी तरह खामोश बनी हुई हैं, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल ने दहशतगर्द याकूब मेनन की हिमायत लेते हुए कहा कि याकूब को कुछ लोगों अपना ‘हीरो’मानते हैं। उनका कहना है ‘किसी वजह के लिए अपनी जान देना आसान नहीं होता।’ ऐसा कह कर उन्होंने भी याकूब को अपना आदर्श होना जताता दिया है। इसी दौरान भाजपा के प्रवक्ता शहजादा पूनावाला ने लिखा है कि याकूब मेनन की कब्र की सजावट तक ही बात सीमित नहीं है। महाविकास आघाड़ी सरकार को याकूब प्रेम था। इसीलिए पहले काँग्रेस के नेता असलम शेख ने भी याकूब मेनन को माफी देने की माँग की थी, जिन्हें शिव सेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की अगुवाई में गठित ‘महाआघाड़ी विकास सरकार में मंत्री बनाया गया था।
अब भाजपा विधायक राम कदम ने आरोप लगा कि याकूब को कब्र को मजार बनाने का काम पूर्व उद्धव ठाकरे सरकार के समय हुआ। इस मामले में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और काँग्रेस को माफी माँगनी चाहिए। इसके लिए भाजपा और महाविकास आघाड़ी ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया हैं। इस मामले को तूल पकड़ता देख उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फण्डनवीस ने जाँच के आदेश दे दिया है। पुलिस उपायुक्त जाँच करेंगे कि यह काम किसने और कब कराया है?

दरअसल, 12मार्च, 1993 को मुम्बई में हुए श्रृंगलाबद्ध धमाके हुए थे। एक के बाद एक हुए उन धमाकों में ढाई सौ से अधिक लोग मारे गए थे और 700से ज्यादा घायल भी हुए थे।
इन बम धमाकों का मास्टर माइण्ड दाऊद इब्राहिम था। याकूब मेनन दाऊद इब्राहिम के निकटतम सहयोगी टाइगर मेनन का भाई था,जो पेशे चाटर्ड एकाउण्ट(सी.ए.) था। उसकी अकाटिंग कम्पनी टाइगर मेनन के दो नम्बर के धन्धे और गैर कानूनी तरीके से कमाई के हिसाब-किताब रखती थी। इन धमाकों के बाद याकूब मेनन भाग गया। बाद में नेपाल पुलिस ने उसे काठमाण्डू में गिरपतार कर भारत को सौंप दिया। कई साल चले ट्रायल के पश्चात् 30जुलाई, 2015 में उसे नागपुर की जेल में फाँसी दी गई। इस परिवार के चार सदस्यों याकूब मेमन, यूसुफ मेमन, ईसा मेनन और रूबीना मेमन को विस्फोट की साजिश एवं आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में दोषी पाया गया था। याकूब मेमन उन 12दोषियों में एक था, जिन्हें टाडा अदालत ने फाँसी की सजा सुनायी थी, लेकिन इस मामले में फाँसी सिर्फ याकूब मेमन को ही जा सकी थी।

इसी 1सितम्बर को ‘राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी’(एन.आइ.ए.)ने 1993 मुम्बई श्रंृखलाबद्ध बम धमाकों के मुख्य भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की गिरपतारी के लिए कोई भी सूचना देने पर 25लाख रुपए के इनाम देने की घोषणा की है। उसके करीबी सहयोगी शकील शेख उर्फ छोटा शकील पर 20लाख रुपए का इनाम रखा है। दाऊद इब्राहिम सहयोगियों हाजी अनीस उर्फ अनीस इब्राहिम शेख, जावेद पटेल उर्फ जावेद चिकना तथा इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन पर 15-15लाख इनाम देने का ऐलान किया है।अब देखते हैंइसमें एनआइए कहाँ तक कामयाबी हासिल होती है?

अब फिर आते हैं। याकूब मेनन के मजार विवाद पर। यह क्यों पैदा हुआ है? वस्तुतः इस विवाद उत्पन्न होने का अन्देशा तब ही हो गया था,जब याकूब मेनन के परिवार वालों ने नागपुर जेल में फाँसी लगने के बाद उसकी लाश माँगी थी।फिर उसके जनाजे में जैसी भीड़ उमड़ी थी, यह भविष्य के खतरे की तरफ इशारा था। तब ही सरकार को सर्तक हो जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने भावी खतरे की अनदेखी कर दी। इधर अमेरिका ने इस्लामिक कट्टरपंथी दहशतगर्द सरगना ओसामा बिन लादेन के मामले में ऐसा ही खतरा भांपते हुए बहुत सर्तकता बरती। उसने उसे पहले पाकिस्तान में ढूँढ कर मारा। फिर उसकी लाश को समुद्र में कहाँ डूबो दिया, आज तक किसी को पता नहीं है।लेकिन भारतीय विचारधारा इसके विपरीत है जो यह मानती है कि अपराधी मारा गया,उसकी लाश से कैसी दुश्मनी?इस विचार के चलते उसने भावी खतरे की उपेक्षा करते हुए दहशतगर्द याकूब मेनन की लाश उसके परिजनों के हवाले कर दी। सामान्यतः कब्र और मजार में बहुत अन्तर/भेद है। मजार के साथ लोगों की आस्था जुड़ी होती है। वैसे भी मजार सामान्यतः पीर,फकीर की होती हैं। एक दहशतगर्द की कब्र को मजार में तब्दील करने कोशिश शान्ति और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे की घण्टी है। इसका बनने से उक्त व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगता है।अमेरिका में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और वह इस व्यवस्था की कमियाँ-खामियों को भी जानता है। इस व्यवस्था का लाभ लेकर कोई व्यक्ति/संगठन कुछ लोगों के अपने अधिकार को लेकर भरमा न पाए,इसलिए ओसामा बिन लादेन के मामले में उसने किसी को फायदा उठाने का अवसर ही नहीं दिया।
अब सरकार को इस दहशतगर्द की कब्र को मजार में तब्दील होने की अपनी गलती मानते हुए इसके दोषियों को समुचित दण्ड देना चाहिए। उसे भविष्य में ऐसी गलती करने से बचने के लिए भी संकल्प लेना चाहिए,जिससे कोई भी आतंकवादी को भविष्य में महिमा मण्डित न कर सके।ऐसा किये बगैर देश देशद्रोहियों से मुल्क की हिफाजत सम्भव नहीं है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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