डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनांे झारखण्ड के दुमका में मुस्लिम युवक शाहरुख हुसैन द्वारा नाबालिग 15वर्षीय छात्रा अंकिता सिंह को अपने कमरे में सोते हुए खिड़की से पेट्रोल छिड़क कर आग लगाकर जलाना और चार दिनों तक अस्पताल में जिन्दगी की जंग लड़ते हुए मरने की घटना की अत्यन्त भयावह, निर्मम और क्रूरता पूर्ण कुकृत्य है, जिसकी जितनी निन्दा,भर्त्सना और आलोचना की जाए,वह कम ही होगी। इस हैवानियत को करने वाले दरिन्दे और पेट्रोल लाकर देने वाले उसके साथी नईम अंसारी को यथाशीघ्र ऐसी सख्त सजा दी जानी चाहिए, जिससे देख-सुनकर कोई भी भविष्य में तरह की कोई भी दरिन्दगी करना तो दूर, सोचे भी नहीं। इस मामले में पीड़ित छात्रा अंकिता सिह ने स्वयं कहा था कि जो दर्द भुगतते हुए मैं मार रही हूँ, वैसा ही दर्द शाहरुख भोगे और उसकी वैसी ही मौत हो। अब प्रश्न यह है कि क्या सरकार और न्यायालय आरोपी शाहरुख हुसैन को ऐसी सजा दिला पाएँगी? बताया जाता है कि शाहरुख हुसैन छात्रा अंकिता सिंह के पड़ोस में रहता था और उससे सम्बन्ध बनाने के लिए लगातार दबाव बना रहा था। जब उसने ऐसा करने से इन्कार किया ,तो उसने उसे और उसके परिजनों को जान से मारने की धमकी दी थी।
वैसे इस मामले में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की संप्रग सरकार और उसमें सम्मिलित ‘झारखण्ड मुक्ति मोर्चा’(झामुमो),‘काँग्रेस’,’राष्ट्रीय जनता दल’(राजद) राजनीतिक दलों ने जैसी असंवेदनशीलता दिखायी है, वह अत्यन्त दुःखद है। इस घटना ने एक बार फिर राजनीतिक दलों का जनविरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया है। वैसे इन नेताओं के चुनाव से पहले और बाद में उनके व्यवहार से लोग अच्छी तरह परिचित हैं। झारखण्ड की संप्रग सरकार में शामिल ये दल भी इसके अपवाद नहीं हैं। यही कारण है कि जब अंकिता सिंह का अस्पताल मेें उपचार चल रहा था, तब खनन का पट्टा आवण्टित कराने के मामले में अपनी कुर्सी जाने के भय से डरे हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ राजधानी रांची से दूर एक रिसोर्ट में पिकनिक करते हुए नौका विहार में व्यस्त थे, ताकि वे कहीं कोई उन्हें पक्ष में न कर ले, या फिर वे भाजपा से न मिल जाएँ। इस दौरान सरकार का कोई मंत्री या विधायक उसका हाल जानने नहीं आया।गत 23 अगस्त की घटना के दिन उपचार के लिए एम्बुलेन्स की व्यवस्था भाजपा सांसद ने जरूर की थी। झारखण्ड सरकार और इसमें शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं की उदासीनता का सबसे बड़ा आरोपित का मुसलमान होना था। झारखण्ड में 16विधानसभा क्षेत्रों में मुसलमानों की अच्छी खासी आबादी का होना है। इन्हीं विधानसभाओं से 12 विधायक महागठबन्धन में शामिल झामुमो ,काँग्रेस, राजद के विधायक हैं। वे मुसलमानों को किसी भी दशा में नाराज नहीं करना चाहते। यही कारण है कि गोली लगने पर एक मुस्लिम के इलाज के लिए सरकार द्वारा हैलीकोप्टर उपलब्ध कराया था, पर हिन्दू होने के कारण अंकिता सिंह के लिए उचित उपचार व्यवस्था तक नहीं कर सकी। यही दोगला रवैया अपने देश में ज्यादातर कथित सेक्युलर सियासी पार्टियों का है। वामपंथी नेता सुभाषिनी अली ने गुजरात के बिलकिस बानो दुष्कर्म और हत्या के मामले में 11दोषियों को सरकार द्वारा माफी देकर रिहा करने के आदेश को चुनौती देने सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गईं। ऐसे में भला काँग्रेस कैसे पीछे रहती? उसने अपनी तरह से विरोध जता दिया। लेकिन झारखण्ड के दुमका की अंकिता सिंह को जला कर मार डालने की मामले में सुभाषिनी अली को किसी तरह का जुल्म नजर नहीं आया, क्योंकि जलाकर मारने वाला मुसलमान जो था। यह सोचकर दुःख होता है कि सुभाषिनी अली नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी सहगल की बेटी हैं, फिर भी उन्होंने अपनी माँ जैसे गुणों का परित्याग कर दिया है। लगता है कि निकाह कर मजहब बदलने के बाद उनका देश के लोगों को एक ही तरह देखने का नजरिया भी बदल लिया है। अब अंकिता सिंह की बर्बर हत्या को टी.वी.चैनलों पर बहुत अधिक प्रसारित करने पर काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जरूर निन्दा की है,जो राजस्थान में अल्पसंख्यक समुदाय के दरिन्दों द्वारा दलित युवती या युवकों के साथ ऐसी दरिन्दगी करने पर वे अक्सर खामोश ही बने रहते हैं। लेकिन जब झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस ने इस घटना को दुःखद बताते हुए इस पूरे मामले को डीजीपी से रिपोर्ट माँगी है। उन्होंने इस मामले में अनुमण्डल पुलिस अधिकारी नूर मुस्तफा की भूमिका काफी संदिग्ध माना और इस मामले की उनकी भूमिका की जाँच करने को भी कहा है। इस बीच इस मामले का झारखण्ड उच्च न्यायालय ने भी स्वत संज्ञान लिया और आरोपियों के खिलाफ शीघ्र जाँच के आदेश दिये हैं। इस दौरान दुमका,जमशेदपुर झारखण्ड के कई जिलों में ही नहीं, छत्तीसगढ़ में अंकिता सिंह की मौत पर हिन्दू संगठनों के उग्र विरोध और बन्द के आवाह्न के बाद 29अगस्त को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस मुद्दे पर एक्शन में आए। उन्होंने अंकिता सिंह के परिवार को 10लाख रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराने का आदेश दिया। उनके आदेश के बाद 10लाख रुपए का चेक सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने इस घटना की जाँच गम्भीरता से करने व फास्ट टैªक कोर्ट से इसका निष्पादन कराने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटना को समाज में कोई स्थान नहीं है और दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इधर,डीजीपी ने कहा है कि मामले की स्पीडी ट्रायल कर दोषी को शीघ्र सजा दिलायी जाएगी। उधर अंकिता सिंह को जलाकर मार डालने वाला शाहरुख गिरपतार के बाद भी जिस तरह बेखौफ होकर हँस रहा था,उससे यही लगता है कि उसे अपने सियासी आका पर पूरा यकीन है कि वे उसे हर हाल में बचा लेंगे।उसे पेट्रोल लाकर देने वाला नईम अंसारी का सम्बन्ध दहशतगर्द इस्लामिक संगठन‘ अंसार-उल-बांग्लादेश’ बताया जा रहा है,जिसका मकसद हिन्दू युवतियों को मुहब्बत के जाल मेें फँसा कर मतान्तरण कराना है।यह पहले भी दूसरी युवतियों को फँसाने की कोशिश कर चुका है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा, सांसद निशिकान्त दुबे तथा मनोज तिवारी ने अंकिता सिंह के परिवार से भेंट कर 27लाख की आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी है।
वैसे झारखण्ड की अंकिता सिंह के तुरन्त बाद रांची के पास एक आदिवासी युवती के साथ मुस्लिम युवक द्वारा दुष्कर्म का मामला ही नहीं, बहादुरगढ़ की निकिता तोमर की मुस्लिम युवक के सारे आम गोली मार कर हत्या किये जाने पर किसी उदार बुद्धिजीवी, साहित्यकारों, लेखक, पत्रकार, फिल्मी अभिनेता, अभिनेत्रियों, गीतकारों को कहीं भी असहिष्णुता दिखायी नहीं दे रही है। इसी 25अगस्त को दिल्ली के संगम विहार मुहल्ले की 16वर्षीय छात्रा पर एक मुस्लिम युवक अमानत अली ने अपने साथी बॉबी तथा पवन के साथ मिलकर गोली मार दी,जिसका उपचार बत्रा अस्पताल में चला रहा। इस मामले का मुख्य आरोपी अमानत अली भी गिरपतार कर लिया गया। इसके दो साथी पहले ही बन्दी बनाये जा चुके हैं। उक्त दोनों मामले ‘लव जिहाद’ के बताये जा रहे हैं,जो किसी भी तरह हिन्दू युवतियों को फँसा कर उनका मतान्तरण कराना चाहते थे। बागपत में भी रईस विकास बनकर हिन्दू युवती को भगा लेगए,जब युवती को पता लगा,तो वह अपने घर लौट आयी। ऐसे अभिभावकों और शिक्षकों ऐेसे छद्म मुहब्बत करने वालों से सर्तक-सावधान करने का अभियान चलाना चाहिए।
यह सब देखते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए,ताकि युवतियाँ और छात्राएँ स्कूल,कॉलेज और अपने कार्यस्थलों पर बगैर किसी के भय के आ जा सकें। देश के लोगों को भी मजहब देखकर सहानुभूति जताने -दिखाने वालों की निन्दा और भर्त्सना करने को आगे आना चाहिए,ताकि भविष्य में असहिष्णुता का दुष्प्रचार कर दुनिया में देश का बदनाम न कर सकें।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
दुमका की हैवानियत फिर खामोशी?

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