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आदत से मजबूर हैं अधीर रंजन चौधरी

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
आखिर अपनी और पार्टी की छीछालेथर कराने के बाद लोकसभा में काँग्रेस के नेता अधीन रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिख कर मजबूरी में अब क्षमा याचना अवश्य कर ली है, वह भविष्य में अपनी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे अब जैसी नौबत न आए। इसकी कोई और तो क्या खुद खुदा भी गारण्टी नहीं ले सकता है। उनके बिगड़ैल बोलने पर लगाम लगाना सम्भव नहीं है। उनके बिगड़े बोलों के कारण ही काँग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा इस विवाद के कारण की पूरे देश विशेष रूप से आदिवासियों में यह सन्देश गया कि काँग्रेस राष्ट्रपति के पद पर ‘आदिवासी’ को आसीन किये जाने के पक्ष में नहीं है, जबकि आमतौर पर वह अल्पसंख्यक, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति की पक्षधर होने के दावा करती आयी है। वैसे भी कई भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों द्वारा भी किसी न किसी रूप में परोक्ष रूप में आलोचना की गई। इसका कारण है कि अब तक सवर्ण हिन्दुओं के अलावा मुसलमान, सिख और एक बार अनुसूचित जाति के शख्स राष्ट्रपति तो बन चुके हैं, पर अनुसूचित जनजाति की द्रौपदी मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं। ये कुछ मानों में उनकी निगाह में पूर्ववर्तियों जैसी नहीं हैं। इधर इन सियासियों पार्टियों को यह भी डर है कि इससे भाजपा का देश के कई राज्यों में अच्छी खासी आबादी वाली अनुसूचित जन जाति में प्रभाव बढ़ेगा और इसका असर आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा।

अब फिर आते हैं अधीर रंजन चौधरी पर। वह अपनी आदत से मजबूर हैं। वैसे भी अगर उनके बारे में यह कहा जाए, तो गलत नहीं होगा कि उन्हें अपने विरोधियों का हर तरह से दिल दुःखाने/अपमान करने/नीचा दिखाने में मजा आता है। यहाँँ तक कि वह अपने मालिक/नेता को खुश या प्रसन्न करने या फिर अपने फायदे के लिए उन्हें देश हित के खिलाफ बोलने/कुछ करने से भी गुरेज नहीं है। वह अब तक विभिन्न अवसरों ऐसा कर चुके हैं। वस्तुतः उनका व्यक्तित्व और व्यवहार/आचरण पूरी तरह उनके नाम के अनुरूप है। हिन्दी शब्दकोश में ‘अधीर’ का अर्थ- धैर्य रहित, उतावला, उद्विग्न, आकुल, दृढ़ता रहित, अस्थिर चिŸा, भीरु। उनका यह कथित गुण उनके बयानों में भी झलकता है।
नाम का दूसरा शब्द ‘रंजन’ के माने प्रसन्न करन, रंगना, रंगने का काम । ऐसा व्यवहार अपनी नेता सोनिया गाँधी या जो भी नेता/मालिक रहा हो,उसे प्रसन्न करने के लिए करते हैं।
‘चौधरी’ का शब्दार्थ- किसी जाति या समाज का मुखिया,यह सब करने की वजह से आज वे बंगाल काँग्रेस के अध्यक्ष होने के साथ-साथ लोकसभा में काँग्रेस के नेता भी हैं। अधीर रंजन चौधरी का अभी तक वे कई बार अपने विरोधियों के विरुद्ध मर्मांतक कटु व्यंग्य/तंज/कटाक्ष करना ही नहीं, अभद्र भाषा और अपशब्द बोल चुके हैं। सम्भतःऐसे लोगों को सीख देने के लिए सैकड़ों साल पहले सन्त कबीर ने कहा था -‘ऐसी बानी बोलिये मन का आपा खाए,और न को शीतल करे,आप हू शीतल हो।’ पर अधीर रंजन चौधरी जैसे लोगों के लिए उनकी यह सीख बेमानी है। ऐसा लगता है कि अधीर रंजन चौधरी ने ‘पहले तोलो, फिर बोलो‘ यह कहावत भी नहीं सुनी है/या उन्हें अपने लिए हितकर/ जाँची नहीं/फायदे की नहीं लगी होगी।
काँग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर आपत्तिजनक टिप्पणी पर संसद से लेकर सड़क तक बवाल मचा। इसके बाद उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी। फिर कहा कि बांग्लाभाषी हैं। उन्हें हिन्दी का समुचित ज्ञान नहीं है। इसलिए गलती हो गई। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है, क्यांेकि बांग्लाभाषा में ‘राष्ट्रपति’ को ‘राष्ट्रपति’ ही कहते हैं, तब उनसे/यह किसी से ऐसी चूक क्यों नहीं हुई ? द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रतिभा सिंह पाटिल पहली राष्ट्रपति बनी थीं, तब तो किसी न राष्ट्रपत्नी नहीं कहा और न ही नजमा हेपतुल्ला उपसभापति बनी, तब उनसे भी किसी ने उन्हें ‘उपसभापत्नी’ नहीं कहा। अब आपके सामने प्रस्तुत हैं अधीर रंजन चौधरी के बिगडै़ल बोलों की कुछ बानगियाँ हैं-
अधीर रंजन चौधरी जब एक बार बोलना शुरू करते हैं तो शायद वे भूल जाते हैं कि क्या सही और क्या गलत है? लेकिन काँग्रेस के इतने वरिष्ठ नेता होने के बावजूद वे ऐसी भूल कर देते हैं, तो सवालिया निशान खड़ा होता है। सन् 2020 में अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा की कार्यवाही के दौरान यह कह दिया था कि कश्मीर भौगोलिक रूप से भले ही भारत के साथ हो, लेकिन भावनात्मक रूप से ऐसा नहीं है, कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी भारतीय द्वारा ऐसा बयान देने की चूक करना समझ से परे है। अब आप ही बताएँ कि क्या कोई भारतीय जम्मू-कश्मीर के बारे में ऐसा अनुचित बयान दे सकता है?
ऐसे ही उनकी दूसरी बयान पर गौर फरमाएँ, जिसमें अधीर रंजन केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर संसद में अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने टैक्स पर चर्चा के दौरान कहा था- ‘आपके लिए सम्मान तो बहुत है, लेकिन कभी-कभी सोचता हूँ कि आपको ‘निर्मला सीतारमण’ की जगह ‘निर्बला सीतारमण’ कहना ठीक होगा, कि नहीं? आप मंत्री तो हैं,लेकिन जो आपके मन में जो हैं वह कह भी पाती हैं या नहीं?’

काँग्रेस की अल्पसंख्यक तुंष्टिकरण पर नीति चलते हुए एक बार अधीर रंजन ने पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए खुद को ‘पाकिस्तानी; बताया था, तब उन्होंने कहा था-‘मुझे पाकिस्तानी कहकर बुलाया जाता है। आज मैं कहना चाहता हूँ-‘ हाँ, मैं पाकिस्तानी हूँ। आप जो करना चाहते हैं वे कर सकते हैं। आज हमारे देश में कोई सही बात नहीं कर सकता है, क्यों कि अगर आप सच कहते हैं? तो आपको ‘देशद्रोही’ कह दिया जाता है।’

उन्हें अपने /पार्टी के हित में देशहित के खिलाफ बोलने में भी कतई संकोच नहीं होता। मिसाल के तौर पर । ‘जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370हटने पर भी सबसे ज्यादा दर्द पाकिस्तान को हुआ था, लेकिन भारत में भी कुछ ऐसे लोग थे, जिन्हें सरकार के इस कदम से खुशी नहीं हुई। उनमें से अधीर रंजन चौधरी भी एक थे। उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370ें के निरस्त होने पर कहा था कि इस मामले में ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ देख रहा है। ऐसे में भारत इससे सम्बन्धित विधेयक को कैसे ला सकता है? उन्होंने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताया था। अधीर रंजन चौधरी जब संसद में बयान दे रहे थे, तब सोनिया गाँधी सदन में उपस्थित थीं। चौधरी ने जैसे ही बयान दिया, तो सोनिया गाँधी समझ गईं कि वह गलत बयानी कर रहे हैं। सोनिया गाँधी ने चेहरे और उनके प्रतिक्रिया/रियक्शन से साफ नजर आ गया था।
अधीर रंजन चौधरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। दरअसल, वह ऐसा करके काँग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी की नजरों में अपने नम्बर बढ़ाना चाहते हैं। यह हाल में ई.डी.द्वारा पूछताछ के लिए राहुल गाँधी तथा सोनिया गाँधी के बुलाने के ं काँग्रेस के उग्र विरोध में प्रदर्शन अधीरंजन चौधरी की भूमिका से साबित होता है।
उन्होंने नरेन्द्र मोदी तथा अमित शाह को ‘घुसपैठिया’ बता दिया था। एनआरसी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था-हिन्दुस्तान सबके लिए हैं। ये हिन्दुस्तान किसी की जागीर है क्या? सबका समान अधिकार है। अमित जी और मोदी जी आप खुद बाहरी हैं? घर आपका गुजरात में है आ गए दिल्ली। वैध-अवैध बाद में पता चलेगा।
संसदी कार्यवाही के दौरान कुछ समय पहले अधीर रंजन चौधरी ने ये बोल कर नया विवाद खड़ा कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी के नेता ‘रावण की औलाद’ है, लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी ने कहा था-ऐसे व्यक्ति के लिए इस तरह शब्द कैसे बोल सकते हैं, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में काफी योगदान दिया, बल्कि पूरी दुनिया में शान्ति और अहिंसा का संदेश फैलाया। महात्मा गाँधी के ‘सत्याग्रह’ को ड्रामा कहने वाले ‘रावण की औलाद’हैं। वे भगवान राम के उपासक को गाली दे रहे हैं।
अन्त उनके विवादित बयानों की एक और उदाहरण प्रस्तुत है। अधीर रंजन चौधरी ने 10 दिसम्बर, 2019 को लोकसभा में कहा था-‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री जी हर मुद्दे पर बोलते रहते हैं। इस मुद्दे पर (महिलाओं के साथ अपराध) पर शान्त हैं। मेक इन इण्डिया से भारत धीरे-धीरे ‘रे……..इन इण्डिया’की तरफ बढ़ रहा है।’
अब अधीर रंजन चौधरी के उक्त बिगड़ैल बयानों से आप स्वयं अन्दाज लगा सकते हैं कि किसी मानसिकता, विचारों, आचरण वाले नेता हैं? क्या अब भी आप उनसे भविष्य में अपने विरोधी के विरुद्ध बिगड़ैल बोल न बोलने पर विश्वास कर सकते हैं?
डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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