राजनीति

शहीद के चरित्र हनन पर बेशर्म खामोशी

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
पिछले दिनों शिरोमणि अकालीदल(अमृतसर)के सिमरनजीत सिंह मान ने ‘शहीद-ए-आजम’ सरदार भगत सिंह द्वारा तत्कालीन नेशनल असेम्बली में ब्रिटिश सरकार की नीतियों के विरोध में पर्चे फेंकते हुए बम विस्फोट करने के कारण जहाँ उन्हें ‘आतंकवादी’, वहीं जनरैल सिंह भिण्डरांवाला को धार्मिक नेता साबित करने समेत ‘खालिस्तान’ के गठन और उससे दक्षिण एशिया में शान्ति स्थापित होने से सम्बन्धित जो बयान दिया है, अत्यन्त निन्दनीय और भर्त्सना योग्य है।उनका यह बयान न सिर्फ शहीद भगतसिंह का,बल्कि तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष करने वाले हर स्वतंत्रता सेनानी के चरित्र हनन की श्रेणी में आता है। इस मामले में सियासी पार्टियों समेत जनसंचार माध्यमों की खामोशी हैरान करने वाली है। जहाँ सिमरनजीत सिंह मान के वक्तव्य को ज्यादातर समाचार पत्रों ने प्रकाशित नहीं किया, वहीं शायद ही किसी टी.वी.चैनल ने इस मुद्दे पर बहस करायी हो।
वैसे शहीद भगत सिंह ने जो कुछ किया, वह कोई अपने लिए या किसी जाति/पंथ विशेष के लिए हुकूमत हासिल करने के लिए नहीं किया। उनका मकसद पूरे देश को साम्राज्यवादी ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुल्क को आजादी दिलाना था, जो इस देश की प्राकृतिक सम्पदा और उसके बाशिन्दों की लूट के साथ उन पर हर तरह के जुल्म ढहा रहा था।शहीद भगत सिंह ने नेशनल असेम्बली में बम किसी की जान लेने के इरादे से नहीं, वरन् ब्रिटिश हुकूमत के बन्द कान खोलने के लिए किया था,जो भारतीयों की पीड़ा को सुन नहीं रही थी। उन्होंने किसी जाति/मजहब के नाम पर किसी/किन्हीं बेकसूरों की हत्या नहीं की।देश,स्वतंत्रता,मानवता,समता आदि विषयों पर उनके विचार और प्रेरणादायी जीवन/आचरण देश के लोगों के लिए आदर्श रहा है। उनसे प्रेरणा लेकर अनगिनत युवाओं स्वयं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया। भगत सिंह ने अपना सर्वस्व देश पर न्योछावर कर दिया, उन्हें दहशतगर्द कहना, देश और दुनियाभर के आजादी की दीवानों/परवानों की तौहीन है, लेकिन अफसोस की बात है किसी भी राजनीतिक दल ने सिमरनजीत सिंह मान की निन्दा करना तो दूर रहा,उसे गलत भी नहीं बताया। सिमरनजीत सिंह मान ने यह वक्तव्य सांसद की शपथ लेने से पहले दिया था, फिर भी वहाँ भी उनके ‘देशद्रोहपूर्ण’ वक्तव्य पर किसी ने सवाल नहीं किया है? पंजाब की जिस संगरूर लोकसभा क्षेत्र से ये निर्वाचित हुए हैं,उनसे पहले यहाँ पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान ‘आम आदमी पार्टी’(आप) के सांसद थे।उन्होंने यह जीत ‘आप’ के उम्मीदवार को पराजित कर प्राप्त की है। वैसे देश की सभी सियासी पार्टियों से उम्मीद थी कि सिमरनजीत सिंह मान के शहीद भगतसिंह को आतंकवादी साबित बताने वाले बयान की निन्दा करेंगी, किन्तु केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल चुप्पी साधे रहे। शहीद भगतसिंह की विरासत की दावेदारी के लिए झगड़ने वाले वामपंथी और राष्ट्रवाद की झण्डाबरदार भारतीय जनतापार्टी और उसके अनुषांगिक संगठन,शिवसेना आदि का इस मामले में कुछ न बोलना बहुत आहत करता है। वैसे वामपंथी भगत सिंह को अपनी विचारधारा का पुरोधा कहते-मानते नहीं थकते,वहीं हैं,राष्ट्रवादी/हिन्दुत्वादी उन पर अपना हक जताते आए हैं। इधर हाल में ही उनकी नई-नइ भक्त ‘आम आदमी पार्टी उनकी सबसे बड़ी अनुयायी बन गई है। यह पार्टी खुद को शहीद भगत सिंह और डॉ.भीमराव आम्बेडकर को अपना आदर्श बताती है। दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ ‘आम आदमी पार्टी’ की जिन सरकारों द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सभी सरकार कार्यालयों को इनके चित्र लगाए हुए हैं,उन्होंने भी सिमरनजीत सिंह मान के अनुचित वक्तव्य का प्रतिवाद करने की आवश्यकता नहीं समझी है। आखिर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों उत्सर्ग करने वाले भगत सिंह के चरित्र हनन पर देश की सभी पार्टियाँ खामोश क्यों है?क्या इन सियासी पार्टियाँ की खामोशी की वजह एक समुदाय के एकमुश्त वोटों का लालच या फिर सिमरनजीत सिंह मान का उग्रवादी संगठन खालिस्तान का समर्थक होना है। इस मामले में खासकर बलिदानियों की धरती पंजाब में लोगों की खामोशी सबसे ज्यादा खलने वाली है। वैसे भगत सिंह हों या दूसरे सिख गुरु उनका सारा संघर्ष सिर्फ सिखों,पंजाब/या खालिस्तान के लिए नहीं था। दरअसल, सिख धर्म की स्थापना ही हिन्द और हिन्दुओं की रक्षा के लिए हुई है। इनके सभी गुरु मूलतः हिन्दू थे। सिख गुरुओं ने हिन्दू धर्म, हिन्दू मन्दिरों, हिन्दुओं की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया है। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि के मन्दिर के लिए सिख गुरुओं का संघर्ष विशेष उल्लेखनीय है।
कई काशी विश्वनाथ समेत कई मन्दिरों को सिख गुरुओं ने दान किया है। सिखों के तीर्थ स्थल पूरे देश में हैं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दसवें गुरु गोविन्द सिंह द्वारा यमुना किनारे स्थापित ‘पौंटा साहिब गुरुद्वारा’,इसके मण्डी जिले में एक झील के किनारे बना ‘पवित्र रिवालसर’, है तो इसी सूबे में सिख धर्म प्रथम गुरु गुरुनानकदेव के भ्रमण की स्मृति में बना ‘मणिकर्ण गुरुद्वारा’ है। ऐसे ही बिहार की राजधानी पटना दसवें गुरु गोविन्द सिंह की जन्मभूमि है, यहाँ पर ‘पटना साहिब’ तथा ‘तख्त हरिमन्दिर साहिब भी हैं, तो उनके निर्वाण स्थल महाराष्ट्र के नादेड़ में ‘नादेड़साहिब’ और तख्त सचखण्ड साहिब भी हैं।इनका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था। फिर सिखों के सभी पाँचों तख्त सिर्फ पंजाब में नहीं हैं। वैसे देश में सिख गुरु जहाँ-जहाँ पधारे, वहाँ-वहाँ गुरुद्वारे बने हुए हैं। सन् 1984 में 3से 8जून तक अमृतसर स्थित ‘स्वर्ण मन्दिर’ में अपने सशस्त्र समर्थकों समेत डेरा जमाए बैठे जनरल सिंह भिण्डराला को निकालने के लिए सेना द्वारा ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’ चलाया गया था।उस वक्त सिमरनजीत सिंह मान उन शख्सों में शुमार हैं जिन्होंने ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’के विरोध में 7जून, 1984को ‘भारतीय पुलिस सेवा’(आइ.पी.एस.)से इस्तीफा दे दिया था। इनकी और इनके समर्थकों की विचारधारा, इनके मकसद और इनकी सियासत से पंजाब और देश के लोग बखूबी परिचित हैं। यह सब जानते हुए भी लोगों ने इन्हें अपना मत दिया है। इससे उनके इरादों को समझना मुश्किल नहीं हैं।पंजाब में ये लोग हर साल ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दिन का काला दिवस के रूप अपना विरोध व्यक्त करते आए हैं।लेकिन पंजाब में सरकार किसी भी सियासी पार्टी की रही हो, उनमें किसी ने मुखालफत नहीं की है। वैसे इनमें से किसी ने भी उन कारणों पर ध्यान देने की वजह पर विचार करने की आवश्यकता नहीं समझी,जिसके कारण भारत सरकार को ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’जैसा कठोर कदम उठाने को तब मजबूर होना पड़ा था। खालिस्तान का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान की मदद से इस देश को खण्डित करना चाहते थे, जो भारत से सन् 1971में अपनी हार का बदला लेना चाहता था। उस दौरान खालिस्तान समर्थकों ने कितने बेकसूर लोगों का बहाते हुए उन्हें अपने घरों से पलायन को विवश किया था। उस दौरान कोई 36 हजार लोगों को अपने प्राण गंवाने पड़े थे। इनमें से 20से 25हजार हिन्दू तथा बाकी सिख थे। उस समय भी पंजाब के ज्यादातर लोग खालिस्तानियों के भय अथवा अज्ञात कारणों से खामोश बने रहे थे।
ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के बाद भी इनके समर्थक तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के अंग रक्षकों ने अक्टूबर,1984 को उनकी हत्या कर दी, जिनका उनका अटूट विश्वास था। उनकी हत्या से आक्रोशित लोगों ने हजारों निर्दोष सिखों की जान ली, जिसे किसी भी तरह सही नहीं माना जा सकता। लेकिन खालिस्तान समर्थक फिर भी शान्त नहीं बैठे। उन्होंने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार बेअन्त सिंह की हत्या की, जिन्होंने पंजाब में शान्ति बहाली में अहम भूमिका निभायी थी। यहाँ तक कि इन्होंने सेवानिवृत्त थलसेनाध्यक्ष जनरल वैद्य की महाराष्ट्र में जाकर हत्या की,जिनका कसूर बस इतना था कि उन्होंने देश की स्वतंत्रता, एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’की अगुवाई की थी। इतने खूनखराबे के बाद पंजाब में अमन चैन की वापसी हुई,लेकिन खालिस्तान का ख्वाब देखने वालों ने उस त्रासदी से कोई सबक नहीं लिया।उनमें से कुछ देश में रहकर तो कुछ कनाडा, इंग्लैण्ड, अमेरिका आदि मुल्कों में रहकर‘सिख फॉर जस्टिस’संगठन बनाकर अब भी पहले जैसी दहशतगर्दी के जरिए खालिस्तान का ख्वाब पूरा करना चाहते हैं,जो कभी पूरा नहीं होने वाला।वैसे इस्लामिक कट्टरपंथ की बिना पर बने पाकिस्तान की मदद ले रहे है,जिसके मुकाबले के लिए ‘सिख पंथ’ की स्थापना हुई थी। पंजाब और इसके बाशिन्दें भारत के अभिन्न अंग हैं और रहेंगे।यह हकीकत उनकी समझ में जितनी जल्दी समझ आ जाए,उतना उनके लिए बेहतर है।
डॉ. बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

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