डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में पटना में पाकिस्तानी इस्लामिक कट्टरपंथी दहशतगर्द संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ का सदस्य मरगूब अहमद दानिश तथा इससे पहले फुलवारी शरीफ में एक ऐसे इस्लामिक आतंकवादी संगठन के तीन सदस्य गिरपतार हुए हैं, जिसका मंसूबा सन् 2047 तक अपने मुल्क में ‘इस्लामिक हुकूमत’ कायम करने का है। ये सभी गत 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पटना आगमन पर गड़बड़ी करने के इरादे से इकट्ठे हुए थे। अपने इस मंसूबे को अंजाम तक पहुँचाने के लिए उसने बाकायदा विजन-2047 शीर्षक से न सिर्फ सिलेसिलेबार पूरा दस्तावेज तैयार किया हुआ है, बल्कि इसके अलग-अलग अध्यायों में मकसद हासिल करने के तौर-तरीके भी दिये हुए हैं। अब इस दहशतगर्द तंजीम के खुलासे पर देश के उन कुछ लोगों को भले ही हैरानी-परेशानी हुई होगी, जो अब भी अनजाने में या फिर अपने सियासी फायदों के लिए ऐसे लोगों की हकीकत जानते हुए भी उनकी पर्दादारी के इरादे से ऐसी तंजीमों की तुलना हिन्दू संगठनों से करते रहते हैं। यहाँ तक कि पटना के एस.एस.पी.मानवजीत सिंह ढिल्लों तक पी.एफ.आइ.के प्रशिक्षण की तुलना ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’(आर.एस.एस.)से कर बैठे,जिसके लिए उनकी भत्र्सना हो रही है। ऐसे लोग इस्लामिक कट्टरपंथियों के रहनुमाओं के कहे पर अन्धविश्वास की हद तक यकीन भी करते आए हैं। ऐसे लोगों के लिए यही कहा जा सकता है कि उन्होंने न उनके मजहब को ठीक से समझा और न उनका इतिहास ही पढ़ा और न ही उसे समझा है। ऐसे में इन लोगों से उन पर चिन्तन-मनन और उससे पैदा खतरों के बारे में सोचने तथा खबरदार रहने की उम्मीद करना ही बेमानी है।
वैसे भी ‘विजन-2047’में जो कुछ लिखा-कहा गया है,वह सब एक अर्से या कहें आजादी के बाद से ही इस्लामिक कट्टरपंथी भारतीय संविधान और पंथनिरपेक्षता की आड़ में खुले आम यही सब करते आए हैं।ये लोग अलग-अलग सियासी पार्टियों में भले ही नजर आते हों, पर उनका मकसद एक ही है। ये कट्टरपंथी अपने लिए पाकिस्तान बनने भर से सन्तुष्ट नहीं हैं, इन्हें तो हर हाल में भारत समेत दुनियाभर में ’दारूल इस्लाम’ यानी ‘निजाम-ए-मुस्तफा’ चाहिए। इस मकसद के लिए ये लोग अपनी जनसंाख्यिकी में बदलाव के साथ दहशत फैलाकर या ‘लव जिहाद’ के जरिए हर किसी को अपना मजहब कुबूल कराना चाहते हंै। इसे हासिल करने को इनका मंसूबा देश के 10 प्रतिशत मुसलमानों को अपने मकसद से जोड़ने के साथ-साथ हिन्दुओं को विभाजित कर उसके अनुसूचित जाति (एसटी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी)को अपने साथ लाकर इस मुल्क की हुकूमत पर कब्जा करना है, ताकि बाद में बाकी हिन्दुओं को आसानी से घुटनाओं पर लाया जा सके। अब आप भी देख लीजिए, क्या ये लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं?
जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला और उसके वारिस डाॅ.फारूक अब्दुल्ला,उमर अब्दुल्ला तथा वहाँ के दूसरे सियासी रहनुमा महबूबा मुपती द्वारा,इस सूबे में ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद‘, ‘हिन्दुस्तान मुर्दाबाद‘ के नारों के साथ पाकिस्तान और दुनिया के सबसे दहशतगर्द इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘आइ.एस.आइ.एस. के झण्डे लहराती भीड़ की अनदेखी क्या वजह थी, क्या आपने ऐसा करने वालों की इनमें से किसी के द्वारा कभी मजम्मत करते देखा या सुना है? केरल में ‘मुस्लिम लीग’ तथा दूसरे इस्लामिक तंजीम, ओवैसी की ‘आॅल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन’,जमीयत-ए-उलमा-हिन्द,देबबन्द का दारुल उलूम आदि क्या करते आए हैं और क्या अब कर रहे हैं? हर जुमे को मस्जिदों में कैसी तकरीरें की जाती हैं, जिनको सुनकर अल्लाह की इबादत के बाद भी हजारों नौजवान पत्थर, लट्ठी, डण्डे, छुरा, तलवारें , बारूदी बम, पैट्रोल बम लेकर गैर मुसलमानों का कत्ल करने निकल पड़ते हैं। इनके तमाम मदरसों में क्या तालीम दी जा रही है, जिसकी वजह से ये लोग दूसरे मजहबों को दोयाम दर्जे का मानते/समझते हैं? हाल ईरान में पिछले साल अगस्त माह में अफगानिस्तान में मुस्लिम महिलाएँ हिजाब तथा बुर्का का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रही थीं, इसके उलट भारत में छात्राएँ के हिजाब और बुर्का पहने की जिद्द करते हुए स्कूल छोड़ रही हैं और इसके अदालतों के दरवाजे खटखटा रही हैं। अब सामने आया है कि झारखण्ड के मुस्लिम बहुल इलाकों के सरकारी स्कूलों में प्रार्थना और उसका तरीका बदलने के साथ-साथ रविवार की जगह शुक्रवार/जुमे का अवकाश रखा जा रहा है। राजस्थान के कोटा के एक पब्लिक स्कूल में हैदराबाद से प्रकाशित ‘गुलमोहर’ नामक पुस्तक पढ़ाई जा रही है, जिसमें माता-पिता को अम्मी,अब्बू तथा बिरयानी आदि इस्लामिक कल्चर के अल्फाज ही नहीं, इसी कल्चर के पाठ भी हैं। उ.प्र.के सीतापुर स्थित पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालयके एडीजी जकी अहमद और एस.पी.शफीक अहमद पर जयहिन्द की जगह ‘सलाम’/आदाब कहने को मजबूर किये जाने के आरोप लग रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में नब्बे के दशक में कश्मीरी पण्डितों के पलायन की मुहिम से पहले स्कूलों में छात्रों नमाज पढ़ने शुरुआत की थी, जिन हिन्दू, सिख शिक्षकों ने विरोध किया, उन्हें प्रताड़ित करने को दूरदराज के इलाकों तबादला कर दिया गया था। अब 23जून को भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा टी.वी.चैनल की बहस में इस्लामिक स्काॅलर तस्लीम रहमानी द्वारा भगवान शिव समेत हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान से व्यथित/विचलित होकर पैगम्बर के अपमान की, जो बात कही जा रही है, वह सब उनकी मजहबी पुस्तक में दर्ज है। नूपुर शर्मा ने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है। उनसे पहले ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ मुद्दे पर कई मुस्लिम सियासी नेताओं से लेकर मुल्ला-मौलवी शिवलिंग को फुब्बारा तथा सड़क के किनारे लगे गोल पत्थर बताकर खिल्ली उड़ा चुके थे।
अब इन्सानियत तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक कहे ंजाने वाले अजमेर के दरगाह के खादिमों में एक गौहर चिश्ती ‘सर तन से जुदा’ करने वालों को इनाम ऐलान करता, तो इसकी तंजामिया का सचिव सरवर चिश्ती हिन्दू दुकानदारों से कुछ भी न खरीदने को ताकीद करता है, तो तीसरा खादिम आदिल चिश्ती नूपुर शर्मा के जवाब में हिन्दुओं के देवता विष्णु, गणेश जी, हनुमान जी के अस्तित्व पर सवाल उठा रहा है। उसे सिर्फ अपने इष्ट का ख्याल है, उसकी निगाह में अपने पैगम्बर की शान है,बाकी उसे मजाक के काबिल नजर आते हैं। फिर भी वह खुद को बेकसूर बता रहा है। अब जब नूपुर शर्मा के समर्थन में महाराष्ट्र अमरावती में 21जून और राजस्थान के उदयपुर में 28जून को क्रमशः उमेश कोल्हे और कन्हैयालाल की जिहादियों द्वारा की निर्मम हत्याएँ की गईं, तब इनमें से कुछ ने उसकी मजम्मत तो जरूर की ,पर ये ही वे लोग थे,जो इन वारदातों से ‘तन से जुदा’नारे को सही ठहरा रहे थे। ये जालिम भी पाकिस्तान के जिहादी तंजीब ‘दावत-ए-इस्लामी’से जुड़े हैं,जो दुनियाभर में दूसरे धर्म के लोगों को मतान्तरण कराने के लिए धन जुटाने में लगा है। पीलीभीत समेत देश भर में इसने दानपेटियाँ रखी हुई है,कानपुर की एक मस्जिद में इसका कार्यालय है।
विडम्बना यह है कि जिसने इन जिहादियों की हकीकत की तरफ उंगली उठायी उसे ही ये लोग हिन्दुत्ववादी,कट्टरपंथी हिन्दू कह कर लाक्षित करते आए हैं,यहाँ तक कि काँग्रेस द्वारा न सिर्फ 26नवम्बर, 2008के मुम्बई हमले, पुलवामा, समझौता एक्सपे्रस आदि की आतंकवादी घटनाओं के लिए हिन्दू संगठनों को आरोपित ठहराया,बल्कि हिन्दुओं को बदनाम करने को ‘भगवा आतंकवाद’ झूठा प्रचार किया। इसके विपरीत ‘आतंकवाद का कोई धर्म/मजहब नहीं होता’ कह कर समुदाय विशेष के दंगों और बम विस्फोटो के लिए जिम्मेदारों का बचाव किया। इनके एकमुश्त वोटों की तलबगार काँग्रेस, वामपंथी,समाजवादी ,राजद, तृणमूल काँग्रेस आदि अपनी आँखें मूँद कर इनकी आवाज में आवाज मिलाती आयी हैं। इतना सब होने के बाद भी इस्लामिक सियासी नेता,मुल्ला-मौलाना, इस्लामिक स्काॅलर टेलीविजन चैनलों पर अपनी कौम को मजलूम और हिन्दुओं को जालिम ठहराने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते। एक तरह से उनका बचाव करते हैं।वे हिन्दुओं के देवी-देवताओं की खुलकर खिल्ली उड़ाते हैं,पर उसके जवाब हिन्दू के मुँह से कुछ निकल जाए,तो ‘तन से जुदा’का नारा ही नहीं लगाते,ऐसा कर भी डालते हैं। ऐसे में पूरे वाक्ये को जाने बगैर उनके हममजहबी मुल्क भी उनकी हिमायत में कूद पड़ते हैं।
अब 11जुलाई को फुलवारी शरीफ के शरीफ नया टोला में झारखण्ड पुलिस से सेवानिवृत्त दारोगा मुहम्मद जलालुद्दीन के आवास में स्थित‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इण्डिया’(एस.डी.पी.आइ.) तथा ‘पापुलर फ्रण्ट आॅफ इण्डिया’(पी.एफ.आइ.) कार्यालय से, जो तीन लोग गिरपतार हुए हैं,वे इन्हीं संगठनों के अब सदस्य हैं। इनमें से गिरपतार अतहर परवेज प्रतिबन्धित दहशतगर्द संगठन ‘सिमी’ से जुड़ा है,इसका भाई 2012में पटना में हुए बम धमाके में पकड़ा गया था।ये दूसरे आतंकवादियों की जमानत कराने के साथ-साथ उनके मुकदमों की पैरवी किया करता था। एक सदस्य अरमान मलिक ऐसे आयोजनों के लिए धन जुटाता था। इस इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन को मुख्यालय केरल में है, जो एक तरह से कुख्यात प्रतिबन्धित दहशतगर्द संगठन ‘सिमी’ का बदला हुआ नया नाम है। इसकी शाखा दिल्ली के शाहीन बाग समेत देश के तमाम शहरों में हैं। इसकी राजनीतिक शाखा ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इण्डिया’ (एस.डी.पी.आइ.)तथा छात्र संगठन ‘कैम्पस फ्रण्ट आॅफ इण्डिया’(केएफ.आइ.)है।इसके सदस्य खास पोशाक पहनकर सैनिकों की तरह परेड करते हुए जुलूस निकालते हैं। फुलवारी शरीफ में कई राज्यों के इसके सदस्य एकत्र हुए थे। इन्हें इसी 6-7 जुलाई को यहाँ बुलाकर कथित मार्शल आर्ट और शारीरिक प्रशिक्षण के बहाने तलवार, छुरा, चाकू आदि चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।इसके लिए केरल से रसलान नामक व्यक्ति आया हुआ था। इस संगठन के पाकिस्तान, बांग्लादेश,यमन समेत दूसरे मुल्कों से जुड़े होने के सुबूत मिले हैं।इनसे मिली जानकारी के मुताबिक ये देश को कमजोर करने और शन्ति व्यवस्था को भंग करना चाहते थे। इन्हें दूसरे देशों से धन मिल रहा था। ये लोग विभिन्न आतंकवादी घटनाओं में गिरपतार किये गए सदस्यों की जमानत आदि कराने में भी दूसरे मुल्कों से मिले धन का इस्तेमाल किया जा रहा था। दिल्ली के शाहीन बाग में ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’(सी.ए.ए.) विरोधी धरने और दंगे में पी.एफ.आइ.का हाथ रहा था। नव वर्ष, रामनवमी, हनुमान जयन्ती के अवसर पर राजस्थान, दिल्ली, झारखण्ड, कर्नाटक समेत देश के दूसरे नगरों में हिन्दुओं के जुलूसों पर हमलों में इसी संगठन की भागीदार सामने आयी थी। इससे पहले कर्नाटक स्कूलों डेªस कोड लागू किये जाने पर हिजाब को लेकर देशभर में उत्पात मचाने में पी.एफ.आइ. की छात्र संख्या ‘के.एफ.आइ. की भूमिका रही थी। इधर पाकिस्तानी दहशतगर्द संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ का सदस्य मरगूब अहमद दानिश पाकिस्तान और कश्मीर के आतंकवादी संगठन से जुड़ा है। वह राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की मुहिम का कई देशों के आतंकवादी संगठनों के सम्पर्क में था। वह ‘गजवा-ए-हिन्द’ का मकसद पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत मुस्लिम मुल्कों की मदद से भारत में इस्लामिक हुकूमत कायम करना है। ग्रुप में कई पाकिस्तानी नम्बर है। इनका उद्देश्य भारत में साम्प्रदायिक दंगे कराना है। विदेश से सम्पर्क साध कर मुस्लिमों को जिहाद को उकसाना है।लखनऊ से 16जुलाई को फुलवारी शरीफ के नुरूद्दीन जंग उर्फ एडवोकेट नुरूद्दीन को पटना पुलिस ने पकड़ा,जो बिहार के दरभंगा जिले के उर्दू बाजार की शेरमुहम्मद गली का रहने वाला है और पीएफआइ के सदस्यों की बिहार से दिल्ली तक पैरवी करता रहा है तथा स्वयं भी इसका सदस्य है। फुलवारी शरीफ मामले में 26नामजद हैं,जिनमें से अब तक पाँच की गिरपतार हो चुकी है। देशभर में इस्लामिक जिहादियों ने अपना जाल बिछाया हुआ है। इस विकट स्थिति को देखते हुए अब केन्द्र और राज्य सरकारों को अब पहले से कहीं ज्यादा अपनी गुप्तचर व्यवस्था को सतर्क-सावधान रखना होगा, जो कट्टरपंथियों की हर गतिविधि पर नजर रखे। सरकार दूसरे देशों को भी इन कट्टरपंथियों की बेजां हरकतों से अवगत करते हुए उन्हें अपने निजी मामलों में किसी तरह दखलदांजी न करने के लिए ताकीद करना चाेिहए, जो हिन्दुस्तान को हर तरह से नुकसान पहुँचाना चाहते हैं। इनके इस खतरनाक ख्वाब के खात्मे के लिए इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने से सरकार को अब पीछे नहीं हटना चाहिए। ऐसा किये बिना ऐसे तत्त्वों का उन्मूलन सम्भव नहीं है, जो इस समय देश की स्वतंत्रता, अखण्डता, सामाजिक सौहार्द को गम्भीर खतरा बन हुए हैं।
डाॅ. बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
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