राजनीति

मंजूर नहीं है मजहबी कट्टरता

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में इण्टरनेट मीडिया पर पोस्ट करने से नाराज दो इस्लामिक कट्टरपंथियों गौस मुहम्मद और रियाज अख्तरी अंसारी द्वारा उदयपुर में 41वर्षीय दर्जी कन्हैयालाल तेली की दुकान में ग्राहक बनकर जिस वहशीपने और दरिन्दगी से हत्या की गई, उससे पूरा देश खौफजदा और गुस्से में है। यह पाशविक हत्या अपने देश में गैर मजहबियों लोगांे के खिलाफ ऐसी मजहबी नफरत रखने वालों की मानसिकता का बस नमूनाभर है। इन इस्लामिक कट्टरपंथियों के बेखौफ होने की इन्तहा यह है कि उन्होंने वीडियो जारी कर कन्हैयालाल को मारने के साथ-साथ उसके खूने से सने खंजर को दिखाते हुए नूपुर शर्मा के पक्ष में दूसरे पोस्ट करने वालों समेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक को धमकाते मार डालने का ऐलन भी किया है।दरअसल, इस वीडिया के जरिए ये दहशतगर्द दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों पर बहुत जुल्म ढहाये जा रहे है,उनकी कहीं सुनवायी नहीं हो रही है। इसकी वजह से मुसलमानों ने हथियारे उठा लिया हैं। अब ताजुब्ब की बात यह है कि कन्हैयालाल तेली की वहशी तरीके से किये कत्ल की मजम्मत अब वे इस्लामिक मजहबी कट्टरपंथी मुल्ला-मौलवी और सियासी नेता भी कर रहे हैं, जिन्होंने भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ टी.वी. चैनलों से लेकर हर जगह प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके बयानबाजी कर न सिर्फ उनकी जान लेने को उकसाया-भड़काया, बल्कि दूसरे मुल्क को खास कर मुस्लिम मुल्कों तथा उनके संगठन आई.ओ.सी. को भी भारत के खिलाफ भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनके उकसावे पर देश के कई राज्यों में भी हजारों की तादाद में मुसलमान उपद्रव करने को सड़कों पर आ गए। मजहबी नारे लगाते हुए इन लोगों ने पत्थरबाजी कर जमकर सरकारी और गैर सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाया तथा दुकानों- वाहनों की तोड़फोड़ कर उन्हें आग हवाले कर दिया। तब इनके उपद्रवों को रोकने के लिए पुलिस को भी लाठी चार्ज करने के साथ आँसू गैस के गोले भी दागने पड़े थे।तब इनके फेके पत्थरों से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और अधिकारी भी घायल हुए थे। अब बड़ी संख्या में की इन उपद्रवियों की गिरपतारियाँ भी हो चुकी हैं। ये लोग नूपुर शर्मा और भाजपा दिल्ली की मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिन्दल की गिरपतारी की माँग पर अड़े हुए थे। वैसे नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिन्दल की तत्काल गिपतारी की माँग तो इन इस्लामिक कट्टरपंथियों महज बहाना थी, क्योंकि लखनऊ में 18 नवम्बर, 2019को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ‘हिन्दू समाज पार्टी’ के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी। उन्होंने जब पैगम्बर के खिलाफ टिप्पणी की थी, तब उसके लिए पुलिस ने उन्हें तुरन्त न सिर्फ गिरपतार कर जेल भेज दिया था,बल्कि उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’(एन.एस.ए.)भी लगाया था।फिर भी उनकी हत्या किये जाने से क्या यह साबित नहीं होता कि इस्लामिक कट्टरपंथियों को देश के कानून पर भरोसा नहीं है,वे खुद ऐसे लोगों को सजा देना चाहते हैं। उस वक्त भी मुल्ला-मौलवी, कथित उदारवादी, मानवाधिकारवादी, सेक्युलर नेता, कलाकार, पत्रकार खामोश रहे थे।
अब 21 जून की रात को महाराष्ट्र के अमरावती में रात करीब 10 बजे दवा व्यवसायी उमेश काल्हे की गला रेत कर बेरहमी से हत्या कर दी, उन्होंने भी नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट की थी। इस मामले में मुदस्सर अहमद, शाहरुख पठान, अब्दुल तौफीक शेख, शोएब खान, अतीश राशिद को गिरपतार किया जा चुका है।
वैसे अब कट्टरपंथियों की बेशर्मी के इन्तहा यह है कि ये लोग कन्हैयालाल की हत्या के लिए परोक्ष रूप में देश का धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने को केन्द्र सरकार, भाजपा और नूपुर शर्मा को ही दोषी ठहरा रहे हैं।
अब जहाँ तक नूपुर शर्मा के कसूर/गुनाह का सवाल है तो एक टी.वी.चैनल पर ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हो रही बहस के दौरान जब कथित इस्लामिक स्काॅलर द्वारा शिवलिंग के बारे अनुचित के टिप्पणी की ,तब उससे विचलित होकर नुपूर शर्मा ने इस्लामिक ग्रंथ को पढ़कर बस सुनाया भर था। उसमें उन्होंने अपनी तरफ से कुछ भी नहीं जोड़ा था।फिर भी उन पर पैगम्बर के बेअदबी का इल्जाम लगा दिया गया।

वैसे ऐसी नृशंस हत्याएँ ये कट्टरपंथी किसी न किसी बहाने पहले भी राजस्थान समेत देश के अलग-अलग राज्य में पहले भी कई बार कर चुके हैं,केरल में तो एक ईसाई की हथेली ही काट दी। अफसोस की बात यह कि फिर भी न ऐसे कट्टरपंथियों को अभी तक नमूने की सजा मिल पायी है और न ही इनके हिमायतियों को, जिसकी वजह से जहाँ कुछ कट्टरपंथी टी.वी.चैनलों पर बैठकर परोक्ष रूप से देश में शरीयत लागू करने की वकालत करने लगते हैं,तो कुछ मुल्ला-मौलवी खुद के मजहब से अलहदा रुख-सोच रखने वालों के खुलेआम सिर काट कर लाने पर इनाम देने का ऐलान करते आए हैं। लेकिन आज तक े इनमें से किसी न कभी उनकी मजम्मत नहीं की, क्योंकि कहीं न कहीं ये भी खुद को उनसे अलहदा नहीं मानते और भविष्य में कश्मीर में ही नहीं, इस पूरे मुल्क को ‘दारूल इस्लाम’ कायम होने का ख्वाब देख रहे हैं,बल्कि उसके लिए अपने स्तर से कोशिश भी कर रहे हैं। तभी तो जब देशभर में लोग इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा कन्हैयालाल तेली के निर्मम हत्या से बहुत अधिक आक्रोशित ,उद्वेलित और आन्दोलित हैं। फिर भी उ.प्र. मेरठ में कुछ अराजक तत्त्वों द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करते हुए कन्हैयालाल के कत्ल पर खुशी मनाते हुए आतिशबाजी की। इस मामले में सरूरपुर के मैनापूठी में पिता-पुत्र शहजाद और उसके पिता मंजूर को गिरपतार कर जेल भेज दिया गया है।

वैसे हकीकत यह है कि अपने देश में उदयपुर में इन दोनों इस्लमिक कट्टरपंथियों जैसी मानसिकता रखने वाले अनगिनत हैं, जो कोई एक दिन में तैयार नहीं हुए हैं। इनमें से ज्यादा मदरसों ने तैयार किये हैं,जहाँ मजहबी तालीम के नाम पर बहुत कुछ ऐसा पढ़ाया-सिखाया जा रहा है, जो किसी भी सूरत में भारत जैसे कई धर्मों वाले देश के लिए किसी भी सूरत में मुफीद नहीं, उसके लिए जहर है। इन मदरसों को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान का यह सवाल मौजूं है। क्या हमारे बच्चों को ईशा निन्दा करने वालों का सिर कलम करना पढ़ाया जा रहा है? वैसे भी मुस्लिम कानून कुरान से नहीं आया है, मुस्लिम शासकों के दौर में इसे व्यक्तियों ने लिखा है, जिसमें सिर कलम करने का कानून है। यह कानून बच्चों को मदरसों में पढ़ाया जाता है।

वैसे इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा कन्हैयालाल तेली की पाशविक हत्या कोई मामूली घटना नहीं,जिसकी पहले की वारदातों की तरह अनदेखी कर दी जाए। सच्चाई यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की काँग्रेस की सरकार के लिए यह खतरे की घण्टी है, उसे अपनी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति पर गहन विचार करना चाहिए। उसकी इस अनुचित नीति से राज्य के लोग परेशान और आजिज आ चुके हैं। अब उनकी जान पर बन आयी है। काँग्रेस को अब हिन्दुओं को बाँटने और मुसलमानों को हिन्दुओं पर तरहजीह देने और उनकी मजहबी कट्टरता और निजाम-ए-मुस्तफा कायम करने के इरादे जानते हुए उनकी अनदेखी उस पर भारी पड़ रही। नतीजा यह है कि उसे हर चुनाव में पराजय का मुँह भी देखना पड़ा रहा है। कुछ इसी तरह ‘आम आदमी पार्टी’(आप) और भाजपा भी अपने सियासी फायदों के लिए पंजाब में खालिस्तानियों की बेजां हरकतों को देखकर अनजान बन रही हैं,जो उनके आॅपरेशन ब्ल्यू स्टार के दिन होने वाले कार्यक्रमों, पटियाला में उनके जुलूस बनाकर हिन्दुओं से टकराव,मन्दिर में घुस आना,दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखे जाना,पंजाब पुलिस के खुफिया आॅफिस पर हमला,किसान आन्दोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा,26जनवरी पर लालकिले की उपद्रव,हिंसा। अब उनकी बढ़ती ताकत का नमूना संगरूर लोकसभा के उपचुनाव में शिरोमणि अकालीदल (अमृतसर) सिरमनजीत सिंह मान की जीत है,जो किस ख्यालत के हैं।यह किसी का बताने-जताने की जरूरत नहीं है।
केन्द्र सरकार को भी इस्लामिक कट्टरपंथियों, उनके संगठनों समेत दूसरे धर्मों के कट्टरपंथियों के विरुद्ध नीति पर भी फिर से विचार करना चाहिए,ताकि इनके पुनः पनपने से पहले नष्ट किया जा सके। देश के लोगों को भी कट्टरपंथियों के खिलाफ सड़क पर आकर अहिंसक विरोध करना होगा,ताकि सरकारें इनकी अनदेखी न करें और सख्त कार्रवाई करते हुए समूल विनाश करें। याद रहे, ऐसा किये बगैर देश की स्वतंत्रता, एकता,अखण्डता को अक्षुण्ण रख पाना सम्भव नहीं है।
डाॅ. बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

 

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